खराब शुरुआत के बाद फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा-
कुंबले ने 1990 में भारत के लिए पहला पदार्पण किया, लेकिन तब वे उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए और आखिरकार उन्हें निकाल दिया गया। 1992 से पहले ऐसा कुंबले की असली प्रतिभा दुनिया ने नहीं देखी थी। कुंबले ने भारतीय टीम में दोबारा जगह बनाने से पहले ईरानी ट्रॉफी में दिल्ली के खिलाफ रेस्ट ऑफ इंडिया के लिए 13 विकेट लिए थे। उसके बाद उन्हें कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा और बहुत जल्द कुंबले, मोहम्मद अजहरुद्दीन और फिर सौरव गांगुली के कुशल नेतृत्व में, भारत के सबसे बड़े मैच विजेताओं में से एक बन गए। 1992 से 1996 के बीच, कुंबले ने कई रिकॉर्ड तोड़े। वे सबसे तेज 50 टेस्ट विकेट लेने वाले पहले भारतीय थे - बाद में यह रविचंद्रन अश्विन द्वारा यह तोड़ा गया। कुंबले ने केवल 21 टेस्ट मैचों में 100 विकेट पूरे करके करियर की शुरुआत में ही शिखर की सफलता का स्वाद चख लिया था।
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तेज गेंदबाज के तौर पर हुई थी होनहार विद्यार्थी की शुरुआत-
कोलकाता में वेस्टइंडीज के खिलाफ 6/12 भी एक भारतीय एकदिवसीय रिकॉर्ड था, यह रिकॉर्ड बाद में स्टुअर्ट बिन्नी ने 2014 में तोड़ दिया था। अनिल कुंबले स्कूल में एक होनहार छात्र रहे हैं। उन्होंने बैंगलोर के नेशनल हाई स्कूल से स्कूली शिक्षा पूरी की और राष्ट्रीय विद्यालय कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग से इंजीनियरिंग में स्नातक किया। एक शानदार विद्यार्थी रहने के साथ साथ उन्होंने एक तेज गेंदबाज के रूप में शुरुआत की और स्पिनर के तौर पर खुद को बदलने से पहले फ्लिपर को अपनी पहली ट्रेडमार्क डिलीवरी के रूप में विकसित किया। फ्लिपर बाद में भी कुंबले की सबसे बेहतरीन गेंदों के तौर पर शुमार रही। उन्होंने अपने टेस्ट करियर का समापन 30 बार पांच या उससे ज्यादा विकेट के साथ किया। कुंबले ने अपने टेस्ट करियर में 40850 गेंदों का रिकॉर्ड बनाया है, जो किसी भी भारतीय क्रिकेट के लिए सबसे अधिक और समग्र क्रिकेट रिकॉर्ड में दूसरा सबसे बड़ा रिकॉर्ड है।
ऐसे पड़ गया 'जंबो' नाम-
कुंबले को उनके भारतीय साथियों द्वारा दिया गया "जंबो" उपनाम कथित तौर पर दो बातों पर आधारित है। एक में दावा किया जाता है कि कुंबले के बड़े पैरों के कारण उनको ऐसा कहा जाता था और दूसरी बातें ये दावा करती हैं कि उनका यह नाम उनकी वैरिएशन और उछाल के कारण दिया गया था जो वह हर पिच से प्राप्त कर सकते थे। अनिल कुंबले एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैचों में 200 विकेट लेने वाले पहले स्पिनर थे। उन्होंने 26 सितंबर, 1998 को यह उपलब्धि हासिल की। वह तब भी केवल ऐसे दुनिया के सातवें और भारत के दूसरे गेंदबाज थे।
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पाकिस्तान के खिलाफ एक पारी में 10 विकेट-
कुंबले एक पारी में सभी 10 विकेट लेने वाले इंग्लैंड के जिम लेकर के बाद केवल दूसरे क्रिकेटर बने। उन्होंने 7 फरवरी, 1999 को दिल्ली के फिरोज शाह कोटला स्टेडियम में पाकिस्तान के खिलाफ उपलब्धि हासिल की। उन्होंने इस प्रदर्शन के दम पर 19 साल में भारत को पाकिस्तान पर पहली टेस्ट जीत भी दिलाई। पूर्व भारतीय कप्तान ने सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में अपनी अंतिम टेस्ट पारी में महान स्टीव वॉ को आउट किया। भारत ने उस श्रृंखला को 1-1 से बराबरी पर ला दिया। यह ऑस्ट्रेलिया मे किया गया टीम इंडिया का बेस्ट प्रदर्शन था। पिछले साल दिसंबर में शुरू हुई ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट सीरीज में विराट कोहली की टीम ने यह रिकॉर्ड तब तोड़ा जब उन्होंने कंगारूओं को उनके ही घर में 2-1 से पीटकर ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीत ली।
टूटे हुए जबड़े से गेंदबाजी करने का वो किस्सा-
कुंबले ने अपने पहले अंतरराष्ट्रीय शतक को बनाने के लिए 17 साल के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट और 118 टेस्ट मैचों का इंतजार किया - यह किसी भी क्रिकेटर का सबसे ज्यादा इंतजार के बाद बनाया पहला टेस्ट शतक था। कुंबले एक ऐसे खिलाड़ी रहे हैं जिनके समर्पण और निष्ठा पर कभी भी शक नहीं किया गया। सुपर क्लीन इमेज के राहुल द्रविड़ ही बाद में भारतीय क्रिकेट में ऐसी इज्जत हासिल कर पाए हैं। जब कुंबले के करियर का जिक्र होता है तो वेस्टइंडीज 2002 का भारतीय दौरा भी याद आता है जब टूटे हुए जबाड़े के बावजूद कुंबले ने टीम हित में गेंदबाजी करना जारी रखा था और ब्रायन लारा का विकेट भी हासिल कर लिया था।
'हैप्पी बर्थडे अनिल कुंबले'
2007 में राहुल द्रविड़ के इस्तीफे और सचिन तेंदुलकर के कप्तानी से इनकार करने के बाद, कुंबले अनिच्छा से कप्तान नियुक्त किए गए थे। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ भारत का नेतृत्व किया और बाद में ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया, जिसने समय के साथ भारतीय क्रिकेट के परिदृश्य को हमेशा के लिए बदल दिया। ये वो दौरा था जहां अंपायरिंग में गंभीर गलतियां हुई। ये वहीं टेस्ट सीरीज थी जहां पर मंकी गेट प्रकरण भी हुआ। इन सब विषम परिस्थितियों के बीच कुंबले के अंदर का असली लीडर सबने देखा। वह हर मामले में टीम के साथ खड़े रहे। उन्होंने तब एक शानदार बयान दिया था जिसको आज भी याद किया जाता है- 'केवल एक टीम ही खेल की भावना से खेल रही थी। ' भारत ने श्रृंखला 1-2 से गंवा दी, लेकिन कुंबले ने लीडर के तौर पर नई ऊंचाइयों को छुआ। उसी श्रृंखला में उन्होंने अपना 600 वां टेस्ट विकेट भी हासिल किया। बाद में उसी साल, कुंबले ने अपने पसंदीदा मैदान - फिरोज शाह कोटला अपनी शर्तों के साथ एक शानदार 18 वर्षीय करियर को बधाई दी- 'हैप्पी बर्थडे कुंबले'
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साथी क्रिकेटरों से मिल रही हैं बधाईयां-
कुंबले को जन्मदिन पर अपने क्रिकेट साथियों से शुभकामनाओं का तांता लगा हुआ है। गौतम गंभीर ने कुंबले को भारत का महानतम मैच विजेता करार दिया है। गंभीर ने बधाई देने के बाद आगे कहा, 'आपसे बहुत कुछ सीखा और आप बेस्ट लीडर हो जिनके अंतर्गत मैं खेला। क्रिकेटरों की पीढ़ियों को प्रेरणा देने के लिए धन्यवाद।' गंभीर के अलावा सहवाग ने भी उनको सबसे महान में एक मैच विजेता करार दिया है। इसके अलावा हरभजन ने भी उनको महानतम स्पिनर बताया है।