फरारी को लेकर कर विवाद
जब तेंदुलकर ने डॉन ब्रैडमैन के 29 टेस्ट शतकों के रिकॉर्ड को तोड़ा, तो फिएट इंडिया ने उन्हें एक उपहार के रूप में एक फरारी दी थी। सरकार को इस पर कर लगाने की जरूरत थी, लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री जसवंत सिंह ने इसे माफ कर दिया। यह नियमों के खिलाफ था और दिल्ली की अदालत में अपील दायर की गई थी। इस मुद्दे को मीडिया ने काफी उठाया। काफी मामला उठने के बाद फिर फिएट इंडिया ने तब कर का भुगतान किया।
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गेंद से छेड़छाड़ करने का आरोप
सचिन की छवि साफ रही है, लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें बदनाम होना पड़ा। उनपर गेंद से छेड़छाड़ करने का आरोप लगा जिस कारण उनपर एक मैच का प्रतिबंध भी लगा दिया गया था। सचिन के साथ यह घटना साल 2001 में घटी थी जब मैच रेफरी माइक डेनिस ने पोर्ट एलिजाबेथ में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट मैच के दौरान उनपर गेंद से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया। डेनिस ने सचिन पर एक मैच का बैन लगाया और उनकी 75 फीसदी मैच फीस भी काट ली। दिलचस्प बात ये रही थी कि मैदानी अंपायरों ने सचिन की शिकायत नहीं की थी। किसी अंपायर को नहीं लगा कि गेंद से छेड़छाड़ हुई है लेकिन मैच रेफरी डेनिस ने सिर्फ टीवी फुटेज देख निर्णय ले लिया था।
सचिन और भारत का झंडा
2007 के विश्व कप से पहले, भारतीय टीम जमैका में थी और वहां भारतीय दूतावास में एक कार्यक्रम में, तेंदुलकर ने भारतीय ध्वज के साथ एक केक काटा। तेंदुलकर के खिलाफ इंदौर की एक अदालत में मामला दायर किया गया था। उनके खिलाफ नोटिस भी जारी हुआ। हालांकि बाद में माफी मांगने पर मामला खत्म हो गया।
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बालासाहेब ठाकरे ने दी थी नसीहत
सचिन को एक बार मुंबई को लेकर बयान देना इतना भारी पड़ा कि शिवसेना के प्रमुख रहे बालासाहेब ठाकरे ने उनको चुप रहने की नसीहत तक दे दी थी। दरअसल सचिन से मीडिया द्वारा गया था कि क्या मुंबई मराठियों की है? इसका जवाब देते हुए सचिन ने कहा था- मुंबई भारतीयों की है। मैं एक मराठी हूं। महाराष्ट्रियन हूं और मुझे इस पर गर्व है लेकिन इससे पहले मैं भारतीय हूं और मुंबई पर सभी का हक है। मुंबई सभी की है। सचिन के इस बयान का जवाब देते हुए बालासाहेब ने कहा था- सचिन राजनीति की पिच पर मत खेलो, तुम केवल क्रिकेट की पिच पर खेलो।
मंकीगेट का मामला
हरभजन सिंह को ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के एंड्रयू साइमंड्स ने मंकी कहकर पुकारा था। साइमंड्स पर नस्लवाद का आरोप लगाया गया था। लेकिन रिकी पोंटिंग और हेडन के आरोपों के बाद हरभजन को तीन मैचों के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था, लेकिन तब तेंदुलकर ने हरभजन की तरफ से गवाही दी और उन्हें बचाया। इसलिए तेंदुलकर पर झूठ बोलने का आरोप लगाया गया था।