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जन्मदिन विशेष: राहुल द्रविड़ एक ऐसी शख्सियत जिसके लिए सभी उपमाएं छोटी हैं

नई दिल्ली। क्रिकेट के खेल में चकाचौंध का दायरा बहुत बड़ा है। छोटे या बड़े खिलाड़ियों को जुनून के इतर यही चकाचौंध सबसे ज्यादा आकर्षित करती है। क्रिकेट के इतिहास में सादगी और अपने खेल से वजूद गढ़ने वाले खिलाड़ियों के फेहरिस्त में राहुल द्रविड़ का नाम सबसे अग्रणी है। इंदौर में 11 जनवरी 1973 को जन्मे इस शख्स के बारे में साधारण शब्दों का इस्तेमाल बेइमानी है।

राहुल द्रविड़ के बारे में लिखने के लिए उपमाएं भी कम हैं । जिंदगी के 46 वसंत देख चुके इस शख्स ने खेल के मैदान से भले दूरी बना ली हो लेकिन युवा खिलाड़ियों की जिंदगी में राहुल द्रविड़ अब भी रंग भर रहे हैं। सादगी और संकल्प से खिलाड़ियों को खेल के गुर सीखाकर भारतीय क्रिकेट की नींव मजबूत कर रहे हैं।

महान होना और राहुल द्रविड़ होना दो बातें हैं:

महान होना और राहुल द्रविड़ होना दो बातें हैं:

राहुल द्रविड़ के बारे में लिखते हुए शब्दों का चयन करना मुश्किल है। कारण है कि उनके व्यक्तित्व के आगे सभी शब्द बौने हैं। क्रिकेट में महान होना और राहुल द्रविड़ होना दो अलग बातें हैं। राहुल द्रविड़ के समकालीन रहे खिलाड़ी जब ब्रांडिंग कर पैसे कमा रहे हैं ऐसे में राहुल द्रविड़ अपने हुनर से खिलाड़ियों को तराशकर भारत की भविष्य की नींव मजबूत कर रहे हैं। स्टेडियम में आम आदमी की तरह प्रवेश करना और दर्शकों के बीच बैठकर मैच देखना द्रविड़ को महानता की श्रेणी से भी आगे ले जाता है।

पढ़ाई लिखाई में भी अव्वल:

पढ़ाई लिखाई में भी अव्वल:

राहुल द्रविड़ की सादगी और उनके व्यवहार से नियति काफी प्रसन्न रही होगी यही कारण है कि राहुल द्रविड़ खेल के मैदान पर ही नहीं पठन पाठन में भी अव्वल रहे हैं ।16 साल तक भारत के लिए खेलने वाले राहुल द्रविड़ ने वर्ष 2012 के मार्च में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय क्रिकेट के सभी फॉर्मैट से सन्यास ले लिया। भारतीय क्रिकेट टीम की दीवार और मिस्‍टर डिपेंडबल के नाम से पहचान रखने वाले राहुल द्रविड़ ने सेंट जोसफ कॉलेज से एमबीए की डिग्री भी हासिल की है।

खास पारियां:

खास पारियां:

साल 1996 में श्रीलंका के खिलाफ सिंगर कप में डेब्यू करने वाले राहुल द्रविड़ को 'मिस्टर रिलायबल' और 'दीवार' जैसे उपनाम दिए गए। राहुल द्रविड़ जब मैदान पर बल्लेबाजी करते थे तो लगता था कि इस बल्लेबाज को गलितयां करने आती ही नहीं है। उनकी कई ऐसी पारियां रहीं जिस वजह से राहुल द्रविड़ ने विश्व पटल पर अपनी अलग छाप छोड़ी। साढ़ें बारह घंटे लगातार बल्लेबाजी का रिकॉर्ड रखने वाले इस खिलाड़ी ने साल 2003 ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड में 233 रन और 2004 में पाकिस्तान के खिलाफ रावलपिंडी में 270 रन की यादगार पारियां खेली।

शर्मीले राहुल को मिली विजेता:

शर्मीले राहुल को मिली विजेता:

स्भाव से शर्मीले राहुल द्रविड़ की प्रेम कहानी काफी दिलचस्प है। राहुल द्रविड़ की शादी 4 मई 2003 को विजेता पेंढरकर से हुई। विजेता एयर फोर्स अफसर की बेटी थी और पेशे से डॉक्टर बनना चाहती थी वहीं राहुल द्रविड़ ने क्रिकेट की राह चुनी। शुरुआती जिंदगी में दो दिशोओं में बढ़ रहे भावी प्रेमियों का मिलन बेंगलुरू में हुआ।विजेता के पापा बेंगलुरू में पोस्टेड थे (1968-71) और इंदैार में जन्मे राहुल द्र्विड़ बेंगलुरू में रह रहे थे दोनों के परिवार में आना जाना शुरू हुआ राहुल को विजेता मिली और फिर प्रेम और सादगी भरा विवाह हुआ। राहुल और विजेता के दो बच्चे हैं जिनका नाम समित और अनवे है।

करियर और आंकड़े :

करियर और आंकड़े :

राहुल द्रविड़ के करियर में आंकड़ें उनके व्यक्तित्व से काफी पीछे हैं। खेल के दौरान आंकड़े दर्ज करने की रस्मअदायगी की वजह से यह आंकड़े रखे जाते हैं। द्रविड़ का व्यक्तित्व और व्यवहार कहीं ज्यादा महान और ऊंचे हैं। राहुल द्रविड़ ने 164 टेस्ट में उन्होंने 52.31 की औसत से 13288 रन बनाए, जिसमें 36 शतक और 63 अर्धशतक शामिल रहे। इसी तरह 344 वन-डे मैचों में द्रविड़ ने 39.16 की औसत से 10889 रन बनाए, जिसमें 12 शतक और 83 अर्धशतक शामिल हैं।

Story first published: Friday, January 11, 2019, 13:12 [IST]
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