नई दिल्लीः आईसीसी अपनी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के बहुत करीब आ चुका है। आपको 18 जून को भारत और न्यूजीलैंड के बीच इंग्लैंड में टेस्ट मैच का खिताबी मुकाबला देखने को मिल जाएगा। विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का सफर बहुत ही रोमांचक रहा जिसमें विश्व की सभी टेस्ट खेलने वाली टीमों ने अपनी किस्मत आजमाई लेकिन बाजी लगी भारत और न्यूजीलैंड के हाथ। भारत ने चैंपियनशिप के पहले संस्करण में बहुत अच्छा खेल दिखाया और उसने अंक तालिका में नंबर एक स्थान प्राप्त किया जबकि न्यूजीलैंड को दूसरा स्थान मिला। यह दोनों ही विश्व क्रिकेट की ऐसी टेस्ट टीम है जिनके प्रदर्शन में अच्छी निरंतरता रही है और यह कहना बहुत मुश्किल होने जा रहा है कि इस खिताबी भिड़ंत के लिए जीत का दावेदार कौन होगा।
आईसीसी ने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का पहला सफर याद किया है और बताया है कि इस दौरान 16 टेस्ट सीरीज खेली गई जिसमें एक सीरीज सबसे टॉप की थी। आईसीसी के अनुसार इसके लिए बाकायदा वोटिंग कराई और आईसीसी की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार करीब 7 मिलियन वोट उनके सोशल चैनल पर डाले गए और उसमें 2020-21 में खेली गई बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी को सबसे बेहतरीन टेस्ट सीरीज करार दिया गया। यह टेस्ट सीरीज भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच ऑस्ट्रेलिया की धरती पर हुई थी। इस महान टेस्ट सीरीज को भारतीय टीम ने 2-1 से जीतने में कामयाबी हासिल की थी और किसी ने भी टीम इंडिया पर दांव नहीं लगाया था क्योंकि यह दिन पहले ही मुकाबले में 36 रनों पर ढेर हो गई थी और उसके बाद कप्तान कोहली समेत टीम का एक-एक खिलाड़ी इसका साथ छोड़ता गया।
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अंतिम टेस्ट के आते-आते भारतीय क्रिकेट भारतीय टेस्ट टीम लगभग नई थी लेकिन उन्होंने ब्रिसबेन में हुए इस मुकाबले में भी ऑस्ट्रेलिया का विजयी किला गाबा ढहा दिया। इससे पहले भी भारत ऑस्ट्रेलिया में 2017-18 के दौरान आया था और ऐतिहासिक जीत दर्ज करके गया था लेकिन तब सब ने टोंट मारी थी कि स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर तो थी ही नहीं जबकि इस बार भारत कंगारुओं की धरती पर था और उसके पास अपने सितारे नहीं थे। रोहित शर्मा पहले ही शुरुआती दो टेस्ट मैचों से बाहर थे इशांत शर्मा चोटिल हो चुके थे इसके बाद विराट कोहली एक टेस्ट मैच खेलकर बाकी तीन मैचों से अनुपस्थित हो गए। सीरीज के अंत तक ना रविचंद्रन अश्विन थे, ना रविंद्र जडेजा, हनुमा विहारी, मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह और उमेश यादव तक मौजूद नहीं थे।
इस सीरीज पर अगर नजर डालते हैं तो पहला मैच एडिलेड ओवल में हुआ था जिसको आस्ट्रेलिया ने आराम से 8 विकेट से जीतने में कामयाबी हासिल की थी। यह वही मुकाबला था जहां भारत की दूसरी पारी मात्र 36 रनों पर ढेर हो गई थी। लेकिन यह मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर खेला गया दूसरा मुकाबला था जिसमें अजिंक्य रहाणे ने कमान संभालते ही कप्तानी पारी खेली और अपने टेस्ट करियर की सर्वश्रेष्ठ में से पारी खेलकर भारत को इस मुकाबले में वापसी कराई। रहाणे ने 112 रन बनाए जबकि सुमन गिल ने 45 और रविंद्र जडेजा ने 57 रनों का योगदान दिया जिसके दम पर भारत ने 326 रनों का स्कोर पहली पारी में खड़ा किया था। इस मैच को जीतने के साथ ही भारतीय टीम में नई जान वापस आ गई और उसने अगला सिडनी टेस्ट ड्रा कराके एक और जीत सरीखा काम किया। यहां से विश्वास होने लगा था कि ये युवा कुछ भी कर सकते हैं जो गाबा में आखिरकार सच साबित हुआ।