कप्तानों का अहम रोल-
केन विलियमसन खेल की बारीकियों को शांति से पढ़ते हुए परिस्थिति के हिसाब से चलते हैं जो कई बार न्यूजीलैंड की जरूरत के हिसाब से होता है। इसके अलावा विराट कोहली अपने रूप में आक्रामक हैं और व्यक्तिगत तौर पर बहुत ही मोटिवेटेड खिलाड़ी माने जाते हैं जिन्होंने अपने टॉप फिटनेस लेवल से भारत के अन्य खिलाड़ियों को भी प्रेरित किया है और कई बार उनकी बल्लेबाजी में भी एक आक्रामकता की लय दिखाई देती है। विराट कोहली जब आक्रामक लेकिन समझदारी भरी लय में होते हैं तो किसी भी गेंदबाजी अटैक को फीका कर देते हैं।
भारत और न्यूजीलैंड 2019 के एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय विश्व कप में भिड़े थे जहां केन विलियमसन एंड कंपनी ने विराट कोहली की टीम इंडिया को हराने में कामयाबी हासिल की थी। भारतीय टीम तब भी बहुत अच्छी थी और अब भी यह टीम काफी अच्छी है लेकिन कुछ एक चीजें ऐसी हुई है जिसने भारत को काफी आत्मविश्वास दिया है जिसमें बड़े-बड़े दिग्गजों की गैरमौजूदगी में ऑस्ट्रेलिया को उसी की धरती पर टेस्ट सीरीज में हराना भी शामिल है। तो वहीं न्यूजीलैंड की टीम को भी जबरदस्त आत्मविश्वास मिला है क्योंकि उसने पिछले ही सप्ताह इंग्लैंड को उसी की मांद में घुसकर हराया है।
ऐसे में इसमें कोई शक नहीं है इन दोनों ही कप्तानों का रोल इस फाइनल मुकाबले में अहम होने जा रहा है।
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बॉलिंग अटैक-
दोनों ही टीमों के पास गजब का बॉलिंग अटैक है हालांकि न्यूजीलैंड के पास मैच फिटनेस के हिसाब से थोड़ा एडवांटेज है क्योंकि वह इंग्लैंड में दो टेस्ट मैचों की सीरीज खेल कर आ रहे हैं। भारतीय गेंदबाजी की बात करें तो रविचंद्रन अश्विन विकेट लेने के मामले में सबसे ऊपर हैं तो वहीं इशांत शर्मा टेस्ट खेलने के मामले में सबसे अनुभवी हैं। इन दोनों ही गेंदबाजों के अनुभव के इर्द-गिर्द जसप्रीत बुमराह मोहम्मद शमी जैसे दिग्गज गेंदबाजी करेंगे। भारतीय पेस अटैक गेंद को अच्छी लेंथ पर पिच कराने के बाद कहीं पर भी मूव कराने की क्षमता रखता है लेकिन न्यूजीलैंड के पास भी टीम साउथी और ट्रेंट बौल्ट के तौर पर जबरदस्त हथियार शामिल है। दोनों ही गेंदबाज नई गेंद के साथ अपने आपको लंबे समय से साबित करते रहे हैं।
ट्रेंट बोल्ट भारतीय बल्लेबाजों के लिए कहीं अधिक खतरनाक है क्योंकि वह बाएं हाथ से गेंदबाजी कर कर एक खास कोण से टप्पा खिलाकर कहीं भी स्विंग कराने की क्षमता रखते हैं। इंग्लैंड की पिचों पर अक्सर लेट स्विंग देखने को मिलती है और ट्रेंट बोल्ट को इसमें महारत हासिल है भारत को संभलकर खेलना होगा। बोल्ट और सऊदी के अलावा मैट हेनरी भी हैं जिन्होंने एजबेस्टन टेस्ट मैच में 6 विकेट लिए थे और बहुत लंबे कद के गेंदबाज काइल जैमिसन भी शामिल है जिनके खेलने की संभावना हेनरी से अधिक है।
लेकिन भारत जहां बाजी मार ले जाता है वह स्पिन विभाग है क्योंकि यहां पर न्यूजीलैंड के पास केवल एजाज पटेल है जिन्होंने प्रभाव डालने वाला खेल तो दिखाया है लेकिन अनुभव के सामने रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा जैसे दिग्गजों के सामने कहीं भी नहीं ठहरते हैं। न्यूजीलैंड के अपेक्षाकृत अधिक अनुभवी गेंदबाज मिचेल सेंटनर पहले से ही टीम से बाहर होकर स्वदेश की रवानगी कर चुके हैं।
ऋषभ पंत बनाम वाटलिंग-
विकेटकीपर की बात करें तो दोनों ही टीमों के पास अलग-अलग किस्म के लेकिन बहुत ही प्रभावशाली विकेटकीपर है। न्यूजीलैंड के बीजे वाटलिंग इस टेस्ट मैच को खेलने के बाद क्रिकेट से रिटायर हो जाएंगे जबकि भारत के ऋषभ पंत के लिए यह एक कैरियर माइलस्टोन मैच साबित होने जा रहा है। 35 साल के वॉटलिंग ने कई बार अपने आप को साबित किया है और उन्होंने 74 टेस्ट मैच खेले हैं। दूसरी ओर पंत आक्रामक बल्लेबाज हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 20 मैच खेलकर 45 से ऊपर का औसत निकाला है और 3 शतक लगाए हैं।
भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर सब ने देखा है कि ऋषभ पंत किस तरह का नुकसान विपक्षियों के लिए करने की क्षमता रखते हैं। बैटिंग में दोनों ही विकेटकीपर बल्लेबाज अपनी अपनी जगह एक दूसरे को बखूबी टक्कर देते हैं लेकिन यहां पर विकेटकीपिंग कौशल तय करेगा कि किस टीम को कितना फायदा होने जा रहा है। हमने देखा है ऋषभ पंत बैटिंग की तुलना में अभी भी कमजोर विकेटकीपर हैं तो वहीं बीजे वाटलिंग ने लॉर्ड्स में खेले गए पहले टेस्ट मुकाबले में विकेट के पीछे थोड़ी लचरता दिखाई थी।ऐसे में जो विकेटकीपर साउथैम्पटन में कम से कम मौके गंवाएगा उसी की टीम को फायदा मिलने जा रहा है।