धोनी को नहीं मिली बलिदान बैज चिह्न की इजाजत-
आईसीसी ने स्पष्ट किया है कि धोनी को उनके दस्तानों पर 'बलिदान बैज' चिह्न लगाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। आईसीसी इस बारे में बयान जारी करते हुए बताया, 'आईसीसी इवेंट के लिए बने नियम किसी को भी कोई व्यक्तिगत संदेश या लोगो अपने कपड़े या सामान पर लगाने की इजाजत नहीं देते हैं।' इतना ही नहीं, आईसीसी ने यह भी साफ किया कि धोनी के दस्तानों पर बना हुआ यह 'लोगो' आईसीसी के उन नियमों का भी उल्लंघन करता है जो यह बताते हैं कि एक विकेटकीपर के दस्तानों पर क्या लगाने की इजाजत है।
बीसीसीआई है धोनी के साथ-
गौरतलब है कि इस मामले में सीओए प्रमुख विनोद राय ने धोनी का पक्ष रखते हुए कहा था, 'आईसीसी के नियमों के मुताबिक कोई खिलाड़ी ऐसा निशान नहीं पहन सकता है जिसकी कोई राजनीतिक, धार्मिक, नस्लीय, सैन्य या फिर व्यवसायिक महत्ता है। इस केस में धोनी का 'बलिदान बैज' किसी भी उपरोक्त श्रेणी में नहीं आता है। इसलिए अब हम आईसीसी को बताने जा रहे है कि इसको हटाने की कोई जरूरत नहीं है।' आपको बता दें कि धोनी को 2011 में टेरीटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि से नवाजा गया था। उसके बाद साल 2015 में धोनी ने पैरा फोर्सेज के साथ बुनियादी ट्रेनिंग और फिर पैराशूट से कूदने की स्पेशल ट्रेनिंग भी पूरी की जिसके बाद धोनी को पैरा रेजिमेंट में शामिल किया गया और उन्हें ये बैज लगाने की अनुमति दी गई।
सोशल मीडिया पर धोनी लाए राष्ट्रीयता की भावना-
आईसीसी के फैसले के बाद बीसीसीआई के पास अब ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं। विश्व कप पूरी तरह से आईसीसी के नियमों से संचालित टूर्नामेंट है। ऐसे में बीसीसीआई ज्यादा अड़ भी नहीं सकता है। हालांकि उम्मीद की जा रही है कि आईसीसी के इस फैसले का सोशल मीडिया पर मुखर विरोध देखने को मिल सकता है। आपको बता दें कि सोशल मीडिया पर धोनी के पक्ष में 'धोनी कीप्स द ग्लव्स' (धोनी गलव्स पहने रखिए) हैशटैग अभियान छा गया है। इसको लेकर विभिन्न तरह के ट्वीट्स की बाढ़ आ गई है। एक तरह ये विश्व कप देश में राष्ट्रीयता की एक नई जोशीली भावना को भी अपने में उमेड़ लाया है।
धोनी के 'ग्लव्स विवाद' के बाद ट्विटर पर क्यों वायरल हो रहा है #DhoniKeepTheGlove