ठोका नाबाद दोहरा शतक
चंडीगढ़ ने टाॅस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला लिया। अरूणाचल प्रदेश की पहली पारी महज 147 रनों पर ही ढेर हो गई, लेकिन चंडीगढ़ ने पहली पारी में अर्सलान के दोहरे शतक की बदाैलत 2 विकेट खोकर 503 रनों पर पारी घोषित की। अर्सलान ने नाबाद 233 रनों की पारी खेली, जो महज 236 गेंदों में आई। उनकी इस पारी में 33 चाैके व 4 छक्के शामिल रहे। यानी कि 156 रन तो अर्सलान ने बाउंड्री लगाकर ही बना डाले। शिवम भांभरी के साथ उन्होंने पहले विकेट के लिए 220 रनों की साझेदारी की। अर्सनाल की पारी सहवाग की तरह ही रही जो कभी ओपनिंग करते हुए गेंदबाजों की धज्जियां उड़ाते थे।
रिकाॅर्ड तोड़ने से चूके
अर्सनाल के पास एक बड़ा रिकाॅर्ड तोड़ने का भी सुनहरा माैका था, लेकिन पारी घोषित होने के कारण ऐसा नहीं हो सका। उनके पास डेब्यू मैच में भारत की तरफ से सबसे बड़ी पारी खेलने का माैका था। वह 2018-19 में इंदौर में हैदराबाद के खिलाफ मध्य प्रदेश के लिए 267 रन बनाने वाले अजय रोहेरा के रिकॉर्ड को तोड़ सकते थे, जो प्रथम श्रेणी में किसी भी भारतीय बल्लेबाज द्वारा सबसे ज्यादा है।
अर्सनाल को नहीं है पछतावा
हालांकि अर्सलान को इस बात का पछतावा नहीं है कि वो रिकाॅर्ड नहीं तोड़ सके। अर्स्लान ने मंगलवार को द टेलीग्राफ को बताया, "मुझे टीम प्रबंधन द्वारा लिए गए निर्णय के बारे में कोई शिकायत नहीं है। यह तय किया गया था कि 500 रन के निशान तक पहुंचने के बाद हम घोषणा करेंगे। मुझे केवल दिन के खेल के बाद रिकॉर्ड के बारे में पता चला।" उन्होंने कहा, "मैंने रणजी ट्रॉफी की यादगार शुरुआत की है। एक खिलाड़ी के रूप में मेरा उद्देश्य टीम की मदद करना है। हम तीसरे दिन के सुबह के सत्र में चीजों को जल्दी से लपेटना पसंद करेंगे। टीम की सफलता सबसे महत्वपूर्ण है। यह मेरे दिमाग में था कि मुझे लंबे समय तक खेलना चाहिए। मैं अंडर -23 टूर्नामेंट में शतक तक पहुंचने के बाद जल्द ही अपना विकेट गंवा रहा था। आज मैंने सुनिश्चित किया कि मैं शतक बनाऊंगा और शतक को दोहरे शतक में बदलूंगा। मुझे खुशी है कि मैं ऐसा करने में सक्षम था।"