मेरी बल्लेबाजी शैली को नहीं अपनाते
पुजारा ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू के दाैरान कहा, ''मैं इस बात से सहमत हूं कि युवा पीढ़ी मुझे फॉलो नहीं करती है लेकिन वो मेरे खेल को समझती है और फिर टेस्ट मैच अब बहुत कम खेले जा रहे हैं। ऐसे में जबकि सीमित ओवर प्रारूप के मैचों की संख्या बढ़ रही है तो युवा पीढ़ी मेरी बल्लेबाजी शैली को नहीं अपनाते क्योंकि वो टेस्ट क्रिकेट के अधिक मुफीद है। ऐसा नहीं है कि मैं तेज नहीं खेल सकता। मैं सीमित ओवर प्रारूप में भी खेल सकता हूं।''
पिच के हिसाब से पारी को आगे बढ़ाना होता है
पुजारा ने सौराष्ट्र की टीम को रणजी ट्राॅफी का चैंपियन बनाने के लिए अहम योगदान दिया। पुजारा ने 237 गेंद पर 66 रन बनाए थे। यह वैसे धीमी पारी थी। इसको लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि पिच के हिसाब से पारी को बढ़ाना पड़ता है। पुजारा ने कहा, ''पहली पारी में मैंने करीब 60 रन बनाने के लिए 200 से अधिक गेंदें खेली। मगर टीम के मेरे साथी और मैं जानता था कि पिच कितनी मुश्किल थी। वो फाइनल था और मुझ पर जिम्मेदारी थी। हालात के हिसाब से धीमा खेलने को लेकर मेरी बल्लेबाजी में कोई कमी नहीं है। अगर मुझे ये बात पता है कि पिच मुश्किल है और मैं अपने शाॅट नहीं खेल सकता तो मैं ऐसा नहीं करूंगा। न्यूजीलैंड में भी हालात ऐसे ही थे। मेरा काम किसी का मनोरंजन करना नहीं, अपनी टीम के लिए मैच जीतना है।''
लोग मेरा खेल नहीं समझते
न्यूजीलैंड के खिलाफ वेलिंगटन टेस्ट के बाद कोहली ने पुजारा की धीमी बल्लेबाजी पर सवाल खड़े कर दिए थे। दरअसल, इस मैच में पुजारा ने पहली पारी में 42 गेंद पर 11 रन बनाए थे, जबकि दूसरी पारी में 81 गेंद पर 11 रनों की पारी खेली थी। यहां तक कि क्राइस्टचर्च में खेले गए दूसरे टेस्ट में भी पुजारा ने 54 रनों के लिए 140 और 24 रनों के लिए 88 गेंदें खेली थीं। अब इस मामले में पुजारा का दर्द छलक आया है। पुजारा ने कहा कि सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने वाले अधिकतर लोग मेरा खेल और टेस्ट क्रिकेट नहीं समझते, क्योंकि वे अधिक वनडे और टी20 क्रिकेट देखते हैं. कृपया इस बात को समझिए, मेरा लक्ष्य किसी का मनोरंजन करना नहीं है, बल्कि अपनी टीम के लिए मैच जीतना है. चाहे वो भारतीय टीम हो या फिर सौराष्ट्र की।