नई दिल्ली। प्रशासकों की समिति (COA) ने फैसला किया है कि न तो कोई अधिकारी और न ही बोर्ड के सीईओ क्रिकेट समिति की किसी भी बैठक में भाग लेंगे। सीओए ने कहा, 'सीओए को जानकारी मिली है कि सचिव का चयन और चयन समिति की बैठकों में भाग लेने का काम बीसीसीआई के नए संविधान के लागू होने के बाद भी जारी रहता है।' विदेश दौरों के लिए बैठक प्रशासनिक प्रबंधक बुलाएंगे। निर्देश में साफ तौर पर कहा गया कि अब से सचिव किसी चयन बैठक में भाग नहीं लेगा और ना ही उसकी सहमति की जरूरत टीम में विकल्प को मंजूरी देने के लिए रहेगी।
सीओए ने कहा, ''प्रशासकों की समिति को बताया गया है कि बीसीसीआई का नया संविधान लागू होने के बावजूद चयन समिति की बैठके माननीय सचिव ही बुला रहे थे।'' आगे कहा गया कि यह भी पता चला कि टीम में किसी बदलाव के लिए चयन समिति माननीय सचिव की मंजूरी लेती रही है। इसके अलावा चयनकर्ताओं के क्रिकेट मैचों के लिए जाने संबंधी यात्रा बंदोबस्त के लिए भी सचिव की मंजूरी लेनी पड़ती थी। लेकिन अब चयन समिति को टीम में किए गए किसी भी चयन या बदलाव के लिए सचिव या सीईओ से अनुमति लेने की कोई जरूरत नहीं है।
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विदेश दौरों के अलावा चयन समिति का अध्यक्ष ही चयन समिति की बैठक बुलाएगा जिसमें पुरुष चयन समिति, जूनियर चयन समिति और महिला चयन समिति शामिल है। विदेश दौरों के लिए प्रशासनिक प्रबंधन बैठक बुलाएगा। कोई भी पदाधिकारी या सीईओ किसी क्रिकेट समिति की बैठक में भाग नहीं लेगा। चयन समितियों या प्रशासनिक प्रबंधन को बैठक का विस्तार से ब्यौरा तैयार करना होगा। टीम चयन या बदलाव की घोषणा के बाद अध्यक्ष को अपने हस्ताक्षर के साथ सचिव को यह ब्यौरा देना होगा।
सीओए के ताजा आदेश के मुताबिक अब कोच और कप्तान ये फैसला लेंगे कि विदेशी दौरे पर खिलाड़ियों की पत्नियां और गर्लफ्रेंड्स जाएंगी या नहीं। सीओए ने अपने फैसले में कहा, 'बीसीसीआई मैनेजमेंट ने पत्नियों और गर्लफ्रेंड्स के मामले पर फैसले लिए। यहां पर ये नोट करने की जरूरत है कि बीसीसीआई के संविधान में क्रिकेट और गैर क्रिकेट मामलों को अलग रखने की जरूरत है। किसी भी दौरे या उनके साथ जाने वाले लोगों पर कप्तान और कोच को फैसला लेना चाहिए। दूसरा ये खिलाड़ियों के फैमिली क्लॉज कॉन्ट्रैक्ट में साफ तौर पर होना चाहिए।' CoA ने यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई जस्टिस लोढ़ा पैनल की ओर से की गई सिफारिशों के आधार पर लिया है।