नई दिल्ली: हितों के टकराव का मामला भारतीय क्रिकेट में इस समय काफी गर्मागर्म है। राहुल द्रविड़ के एनसीए अध्यक्ष पद संभालने के समय इस मामले ने जो तूल पकड़ा था वह अब सौरव गांगुली के अगले बीसीसीआई अध्यक्ष बनने की प्रक्रिया के बीच भी जारी है। गांगुली ने इस मसले को काफी गंभीर मामला बताया है। वहीं अब प्रशासकों की समिति (सीओए) ने खुद ही बोर्ड के संविधान में संशोधन की सिफारिश की है ताकि पूर्व खिलाड़ियों को जल्द ही कई भूमिकाओं को निभाने की अनुमति दी जा सके।
मौजूदा संविधान में, कोई भी व्यक्ति एक ही समय में एक ही भूमिका में नजर आ सकता है। जिसके कारण सौरव गांगुली सहित भारतीय क्रिकेट में कुछ सबसे बड़े नामों को हितों के टकराव का सामना करना पड़ा, इनमें वीवीएस लक्ष्मण, सचिन तेंदुलकर, कपिल देव जैसे प्रमुख खिलाड़ी भी हैं। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई अपनी 11 वीं और अंतिम स्टेटस रिपोर्ट में, सीओए ने बीसीसीआई संविधान में नियम 38 में संशोधन का प्रस्ताव दिया।
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यदि संशोधन को स्वीकार कर लिया जाता है, तो बीसीसीआई या राज्य संघों के साथ दो साल से कम अनुबंध वाले पूर्व खिलाड़ियों को कई भूमिकाएं निभाने की अनुमति होगी। उन्हें क्रिकेट सलाहकार समिति (CAC) की तरह कई समितियों में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी और कमेंटरी करने से रोक नहीं दी जाएगी। इस प्रस्ताव के तहत सीओए ने सिफारिश की है कि एक पूर्व खिलाड़ी कई भूमिकाएँ निभा सकता है यदि उसके पास बीसीसीआई का लंबे समय तक का अनुबंध नहीं है।
बता दें कि गांगुली और लक्ष्मण पर अपने हालियां आदेश में, बीसीसीआई के नैतिकता अधिकारी डीके जैन ने कहा था कि वे एक समय में एक ही भूमिका का चयन करें। गांगुली और लक्ष्मण दोनों क्रमश: आईपीएल टीमों दिल्ली कैपिटल और सनराइजर्स हैदराबाद से जुड़े होने के अलावा क्रिकेट सलाहकार (समिति) सीएसी का हिस्सा थे।
सौरव गांगुली के बीसीसीआई के अध्यक्ष बनने के बाद तीन साल से भारतीय क्रिकेट के प्रशासन की बागडौर संभाल रही प्रशासको की समिति का भी कार्यकाल खत्म हो जाएगा।