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क्या शानदार प्रदर्शन के बावजूद केएल राहुल को किस्मत फिर देगी दगा?

नई दिल्ली। क्रिकेट के खेल में केएल राहुल का अच्छा प्रदर्शन जारी है। विश्वकप से लेकर हाल तक उनके प्रदर्शन में एक स्थिरता रही है। ऐसा लग रहा है कि क्रिकेट खिलाड़ियों के बीच प्लेइंग इलेवन को लेकर जो कड़ी प्रतियोगिता सीरीज दर सीरीज हो रही है उसमें राहुल अपने हुनर और कौशल से सबपर बीस पड़ रहे हैं। दरअसल, पहले टीम में शिखर धवन और रोहित शर्मा की ओपनिंग जोड़ी फ़िक्स थी। शिखर धवन के इंजर्ड होने के चलते उनके विश्वकप अभियान से बाहर होने के बाद केएल राहुल को धवन वाली जिम्मेदारी मिली थी। राहुल इस जिम्मेदारी में दिन प्रतिदिन निखरते गए। अब जब शिखर धवन की वापसी हुई है, तब यह कहा जा रहा था कि इंजरी से लौटकर आते ही धवन के लिए अपने ख्याति के अनुरूप प्रदर्शन करना इतना आसान नहीं होगा। बात अपनी जगह सही भी थी। लेकिन वापसी के बाद धवन के प्रदर्शन ने इसे झुठला दिया है जिसके बाद केएल राहुल फिर से मध्यक्रम में फिट होते दिख रहे हैं। लेकिन मध्यक्रम में क्या दिक्कतें हैं इसे समझते हैं।

मध्यक्रम की स्थिति

मध्यक्रम की स्थिति

वर्तमान में भारतीय क्रिकेट टीम का मध्यक्रम कमोबेश संतुलित दिखता है। विराट कोहली, श्रेयस अय्यर, मनीष पाण्डे, ऋषभ पंत जैसे खिलाड़ी मध्यक्रम में हैं। टीम संयोजन को देखें तो क्रिकेट की लगभग सभी टीमें सामान्यतया ओपनर बल्लेबाज के अतिरिक्त मध्यक्रम में चार बल्लेबाज रखते हैं जिसमें एक विशेषज्ञ विकेटकीपर होता है। कम से कम एक ऑल राउंडर और चार विशेषज्ञ गेंदबाज। भारतीय टीम में अभी ऋषभ पंत एकदिवसीय और टी-20 विशेषज्ञ विकेटकीपर के रूप में शामिल हैं। और टीम संयोजन उनपर भरोसा भी कर रही है। टीम संयोजन में अभी रविंद्र जडेजा एक ऐसे ऑल राउंडर के रूप में हैं जिनकी अनदेखी नहीं की जा सकती है। इसके बाद बचते हैं गेंदबाजों के चार स्लॉट जिसे मेंडेटरी ही समझ सकते हैं।

केएल राहुल के मध्यक्रम में आने के बाद स्थिति

केएल राहुल के मध्यक्रम में आने के बाद स्थिति

भारतीय मध्यक्रम में नंबर चार स्लॉट के लिए जो खोज विश्वकप के पहले से जारी थी वह श्रेयस अय्यर पर जाकर खत्म होती दिख रही है। अय्यर ने अपने प्रदर्शन से इस स्लॉट को हासिल किया है। ऐसे में देखें तो विराट कोहली, अय्यर और पंत के बाद एक ही स्लॉट बचता है जिसमें राहुल के आने से अन्य खिलाड़ियों के लिए प्रदर्शन करने की चुनौती काफी बढ़ जाती है क्योकिं टीम के बैंच मार्क में मनीष पांडेय से लेकर पृथ्वी शाह तक हैं जिनकी प्रतिभा पर किसी को शक नहीं है। टीम में ऐसी प्रतियोगिता का होना वैसे तो अच्छा है लेकिन इतनी कड़ी चुनौतियों से खिलाड़ियों पर कभी कभी अनावश्यक दबाब भी बन जाता है जिससे खिलाड़ी अपने प्रदर्शन में बिखरने भी लगते हैं। ऋषभ पंत की ही बात करें तो उनकी तुलना महेंद्र सिंह धोनी से होने पर उनपर अनावश्यक दवाब दिखा और उनका प्रदर्शन बैटिंग से लेकर विकेटकीपिंग तक प्रभावित हुआ था। यह टीम प्रबंधन की ही सोच थी कि प्रतिभाशाली खलाड़ियों को समय से पहले बिखरने से बचाया जाए और उन्हें पर्याप्त अवसर दिए जाएं। खैर ये तो मध्यक्रम की स्थिति है ऐसे में इस बात पर गौर करते हैं कि ऐसे कौन से कारण हैं जिससे राहुल की दावेदारी औरों से मजबूत दिखती है।

वो कारण जिससे केएल राहुल मध्यक्रम में औरों से मजबूत दीखते हैं

वो कारण जिससे केएल राहुल मध्यक्रम में औरों से मजबूत दीखते हैं

लोकेश राहुल की प्रतिभा और बल्लेबाजी के कौशल पर संदेह कभी नहीं रहा है। घरेलू क्रिकेट से लेकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मिले मौकों पर उनका प्रदर्शन बढ़िया रहा है। यही कारण है कि वह टीम संयोजन में काफी दिनों से अपनी जगह बनाए हुए हैं। चोट की वजह से शिखर धवन के टीम से बाहर रहने ने उन्हें अपने प्रदर्शन से प्रभावित करने का बढ़िया प्लेटफॉर्म दिया था। अब चोट की वजह से ऋषभ पंत के टीम से बाहर होने से एक बार फिर राहुल को विकेटकीपिंग का एक प्लेटफॉर्म मिला है। राहुल पहले भी अपनी घरेलू टीम कर्नाटक और आईपीएल में अपनी फ्रेंचाइजी टीम के लिए विकेट-कीपिंग करते रहे हैं। एक उम्दा बल्लेबाज होने के साथ-साथ समझ-बूझ वाली पारी खेलने और विकेटकीपिंग करने का अतिरिक्त हुनर उन्हें औरों से अलग करता है। ऐसे में अगर पंत प्रदर्शन में निरंतरता नहीं ला पाते हैं तो टीम प्रबंधन के पास राहुल के रूप में एक बेहतर विकल्प रहेगा जिससे टीम संयोजन में जरूरत के मुताबिक एक विशेषज्ञ बल्लेबाज, गेंदबाज या ऑल राउंडर को रखने का विकल्प खुलेगा।

कैसे केएल राहुल को अच्छे प्रदर्शन का खामियाजा भविष्य में भुगतान पड़ सकता है?

कैसे केएल राहुल को अच्छे प्रदर्शन का खामियाजा भविष्य में भुगतान पड़ सकता है?

जो केएल राहुल का मजबूत पक्ष बन रहा है उन्हें उसी का खामियाजा भी हो सकता है। ऐसा ही कुछ राहुल द्रविड़ के साथ हुआ था जब गांगुली ने उन्हें टीम हित को देखते हुए विकेटकीपिंग का भी विकल्प दिया था। ये और बात है की द्रविड़ को इसका खामियाजा नहीं भुगतना पड़ा। वे अतिरिक्त जिम्मेदारी के साथ अपने खेल के साथ न्याय करते रहे। जिस तरह से राहुल ने ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए मैच में दोहरी भूमिका निभाई है और इसमें सफल भी रहे हैं, उससे टीम प्रबंधन को भविष्य के लिए एक विकल्प के संकेत जरूर मिले होंगे। इसमें कोई शक नहीं है कि राहुल लंबी रेस के घोड़े हैं। ऐसे में अगर भविष्य में किसी भी वजह से टीम को ऐसी जरूरत होती है तो राहुल के ऊपर अपने बैटिंग स्किल से न्याय करते रहने के साथ साथ अच्छी विकेटकीपिंग करने का दोहरा दबाव रहेगा। हालांकि आज के प्रोफेशनल गेम में प्रोफेशनल खिलाड़ी मानसिक रूप से पहले की तुलना में ज्यादा मजबूत हैं और वे प्रेशर को बेहतर तरीके से हैंडल कर भी रहे हैं; लेकिन असुरक्षा की भावना अक्सर मजबूत किले में सेंध लगाती रही है।

इसे भी पढ़ें: राहुल द्रविड़: क्रिकेट का एक ऐसा योद्धा जो खुद में एक ब्रांड बन गया

Story first published: Saturday, January 18, 2020, 15:22 [IST]
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