बाहर वालों को बोलने की जरूरत नहीं
वहीं प्रज्ञान ओझा (Pragyan Ojha) ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल का सहारा लेते हुए इस मामले पर लिखा कि भारत जानता है कि उसके लिये किसान बहुत ज्यादा जरूरी है और बेहतर होगा कि वो हमारे देश के आंतरिक मामलों पर बोलने से बचें। भारत के लिये 24 टेस्ट, 18 वनडे और 6 टी20 मैच खेल चुके प्रज्ञान ओझा (Pragyan Ojha) ने रिहाना (Rihanna) के ट्वीट का रिप्लाई करते हुए यह बात लिखी।
उन्होंने लिखा,'मेरा देश जानता है कि वहां के किसान उसके लिये क्या मायने रखते हैं और हमें उन पर गर्व है। मुझे विश्वास है कि उनके मुद्दों को जल्द सुलझा लिया जायेगा, लेकिन इसके लिये किसी बाहरी को हमारे मामलों में नाक घुसेड़ने की जरूरत नहीं है। यह हमारा आंतरिक मामला है।'
कंगना ने किसानों को बताया आतंकवादी
गौरतलब है कि 26 जनवरी को किसान आंदोलन के नेताओं की ओर से प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा और तोड़फोड़ के बाद से ही लगातार किसानों को बॉर्डर से खदेड़ने की कोशिश की जा रही है। इस रैली के दौरान किसानों ने लाल-किले में पहुंचकर अपना झंडा लहराया था और कुछ उपद्रवियों ने दिल्ली के कई इलाकों में तोड़ फोड़ भी की थी।
वहीं अक्सर ऐसे मामलों पर अपने बयानों के चलते विवाद में रहने वाली अभिनेत्री कंगना रानौत ने भी रिहाना (Rihanna) के ट्वीट पर जवाब दिया और उन्हें भारत को टुकड़ों में बांटने की साजिश का हिस्सा करार दिया।
उन्होंने लिखा,'कोई इस बारे में इसलिये नहीं बात कर रहा क्योंकि वो किसान नहीं हैं बल्कि आतंकवादी हैं जो कि भारत को बांटने की फिराक में हैं, ताकि चीन उस नाजुक स्थिति का फायदा उठाकर इसे भी अमेरिका की तरह अपनी चीनी कॉलोनी में बदल सके। इस लिये अपना मुंह बंद करो बेवकूफ, हम अपने देश को तुम डम्मीज की तरह बिकने नहीं देंगे।'
लगभग 70 दिनों से चल रहा है किसानों का प्रदर्शन
वहीं कंगना रानौत के साथ सोशल मीडिया पर गर्मागर्म बहस का शिकार हो चुके एक्टर दिलजीत दोसांझ (Diljit Dosanjh) ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरिज पर अमेरिकन सिंगर रिहाना (Rihanna) की कुछ तस्वीरें शेयर की जो कि उनके गीत रन दिस टाउन के साथ शेयर किया गया था।
आपको बता दें कि किसान पिछे साल 26 नवंबर से दिल्ली के नजदीक बॉर्डर पर जमा होकर शांतिपूर्ण तरीके से नये कृषि बिल कानून का विरोध कर रहे हैं और उन्हें सरकार से रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इसको लेकर सरकार और किसानों के बीच 11 से ज्यादा दौर की बात चीत हो चुकी है लेकिन 26 जनवरी को हुई हिंसक झड़प के बाद किसानों को लगातार हटाये जाने की कोशिश की जा रही है।