नई दिल्ली। महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई सुपर किंग्स की टीम पर फिर से गहरा सकंट आता दिख रहा है। चेन्नई पहले से ही स्पाॅट फिक्सिंग के चलते 2 साल का बैन झेल चुकी है और एक नया विवाद उनके गले की फांस बन गया है। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय (ED)की मनी लॉड्रिंग की जांच में यह पाया गया है कि चेन्नई में इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (IL&FS) ने करीब 300 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
इस राशि की निवेश की जानकारी ईडी को तब लगी जब इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज की लोन और निवेश की जांच कर रही थी। ईडी को जांच में पता चला है कि यह निवेश विशेष निवेश की श्रेणी में किया गया है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट की मुताबिक ये निवेश साल 2018 में किया गया था। इस निवेश के पीछे की वजह को प्रवर्तन निदेशालय पता लगाने की कोशिश जुट गया है। रिपोर्ट के अनुसार अब इस मामले में सीएसके की फ्रेंचाइजी से पूछताछ की जा सकती है।
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तीन बार की आइपीएल चैंपियन टीम से इस लेन-देन को समझने के लिए ईडी पूछताछ कर सकती है। वहीं निवेश करने वाली कंपनी से भी इस बारे में बात की जाएगी। मामला सामने आने के बाद चेन्नई फ्रेंचाइजी की तरफ से अभी तक कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है। फ्रेंचाइजी का कहना है कि ईडी ने इस मामले पर अब तक उनसे कोई बात नहीं की है। बता दें कि साल 2016 और 2017 में चेन्नई टीम को निलंबित किया गया था, क्योंकि उसे स्पाॅट फिक्सिगं का दोषी पाया गया था। वहीं साल 2018 में वापसी करने पर टीम ने धोनी की कप्तानी में तीसरी बार आईपीएल का खिताब अपने नाम किया था।