वार्नर ने बैट में लगाया 'सेंसर'
पिछले कुछ समय से क्रिकेट में काफी तकनीकी बदलाव हुए हैं। ऐसे में वार्नर ने भी भारत-ऑस्ट्रेलिया के मैच से पहले अभ्यास के दौरान अपने बैट में कुछ तकनीकी बदलाव किए हैं। उन्होंने बैट में एक नई डिवाइस लगाई है, जिसे बैट सेंसर कहते हैं. इस डिवाइस के जरिये खिलाड़ी की बैक लिफ्ट और बल्ले की गति जैसा डाटा स्टोर किया जाता है। बैंगलुरु स्थित स्मार्ट क्रिकेट कंपनी ने इस डिवाइस को बनाया है। इस आंकड़ों का इस्तेमाल करके बाद में बल्लेबाज अपने खेल को कहीं अधिक बेहतर कर सकता है।
ऐसे होगा बुमराह का सामना-
खास बात ये है कि लैब में बैठकर इन आंकड़ों के हिसाब से बुमराह जैसे गेंदबाजों के खिलाफ रणनीति का आकलन किया जा सकता है। उदाहरण के लिए बुमराह की यॉर्कर का सामना करने के लिए बैट की स्पीड 70-75 किलोमीटर प्रति घंटे की होनी चाहिए, लेकिन वार्नर अब इस सेंसर का इस्तेमाल करके खुद को और बेहतर कर रहे हैं और 85-90 किमी प्रति घंटे की स्पीड निकालने का अभ्यास कर रहे हैं। दुनिया भर की टीमें इस समय बुमराह की गेंदबाजी का आकलन करने में जुटी हुई हैं। बुमराह का एक्शन जिस तरह का है, उसके हिसाब से बैक लिफ्ट (गेंद खेलने से पहले बैट पीछे जाना) का एंगल 120-125 डिग्री होना चाहिए और बल्ला पहली स्लिप की ओर से नीचे की ओर आना चाहिए।
ऐसे काम करता है ये सेंसर-
वैसे आपको बता दें कि इस तरह की तकनीक का उपयोग क्रिकेट में वैध है। आईसीसी ने बैट सेंसर के इस्तेमाल को दो साल पहले 2017 में ही अनुमति दे दी थी। फिलहाल ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड जैसी टीमें ही अधिककर तकनीकों का इस्तेमाल कर रही हैं। टीम इंडिया ने भी तकनीकी रुझान के प्रति अपने कदम बढ़ा दिए हैं। भारतीय टीम भी इस विश्व कप में शारीरिक स्टैस को नापने वाली डिवाइस को अपना रही है। हालांकि बैट सेंसर जैसी तकनीक अभी केवल ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों ने ही अपनाई है। यह सेंसर बल्ले के हैंडल में सबसे ऊपर लगाया जाता है और इसका डाटा एक मोबाइल एप में एकत्रित होता रहता है।
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