नई दिल्ली। विश्व कप में भारत में पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के कीपिंग गलव्स पर बना 'बलिदान बैज' देश में राष्ट्रीय विमर्श का नया मुद्दा बनकर उभर गया है। इसको लेकर आईसीसी और बीसीसीआई के बीच संशय की स्थिति भी पैदा हो गई है। जब भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच हुए मुकाबले में धोनी के दस्ताने पर पैरा कमांडो का खास निशान 'बलिदान बैज' कैमरों की पकड़ में आया तब से ही इस मामले ने तूल पकड़ा हुआ है।
इस निशान को देखने के बाद आईसीसी ने बीसीसीआई से अनुरोध किया था कि इस निशान को हटा लिया जाए क्योंकि आईसीसी अपने टूर्नामेंट में किसी भी खिलाड़ी को ऐसा निशान धारण करने की छूट नहीं देता जिसका संबधी किसी राजनीतिक, धार्मिक, नस्लीय, सैन्य या फिर व्यवसायिक महत्ता से है। इसपर बीसीसीआई के सीओए चीफ विनोद राय ने धोनी के पक्ष में खड़े हो गए हैं। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई धोनी के साथ हैं, ऐसे में विनोद ने कहा कि धोनी अपने ग्लव्स से "बलिदान बैज" नहीं हटाएंगे। हम इसके बारे में आईसीसी से भी बात करेंगे।
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उन्होंने धोनी का पक्ष रखते हुए साफ कहा, 'आईसीसी के नियमों के मुताबिक कोई खिलाड़ी ऐसा निशान नहीं पहन सकता है जिसकी कोई राजनीतिक, धार्मिक, नस्लीय, सैन्य या फिर व्यवसायिक महत्ता है। इस केस में धोनी का 'बलिदान बैज' किसी भी उपरोक्त श्रेणी में नहीं आता है। इसलिए अब हम आईसीसी को बताने जा रहे है कि इसको हटाने की कोई जरूरत नहीं है।'
आपको बता दें कि इस बैज में 'बलिदान' शब्द को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। यह बैज चांदी की धातु से बना होता है, जिसमें ऊपर की तरफ लाल प्लास्टिक का आयत होता है। यह बैज केवल पैरा-कमांडो द्वारा पहना जाता है। भारतीय सेना की एक स्पेशल फोर्सेज की टीम होती है जो आतंकियों से लड़ने और आतंकियों के इलाके में घुसकर उन्हें मारने में दक्ष होती है। धोनी को 2011 में टेरीटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि से नवाजा गया था। उसके बाद साल 2015 में धोनी ने पैरा फोर्सेज के साथ बुनियादी ट्रेनिंग और फिर पैराशूट से कूदने की स्पेशल ट्रेनिंग भी पूरी की जिसके बाद धोनी को पैरा रेजिमेंट में शामिल किया गया और उन्हें ये बैज लगाने की अनुमति दी गई।