स्टेन का झूठ पकड़ा गया-
हांलांकि, स्टेन की यह बात सच प्रतीत होती नहीं दिख रही है और इस कद के बॉलर से ऐसा झूठ पकड़ा जाना भी हैरान करता है। अगर कोई भी इंसान उस मैच के स्कोरकार्ड और कमेंटरी का अवलोकन करता है तो मामला कुछ ओर ही पता चलता है। दरअसल स्टेन कभी भी 190 के स्कोर के करीब पहुंचे तेंदुलकर को आउट करने की स्थिति में थे ही नहीं। वास्तव में जब से सचिन उस पारी में 150 तक पहुंचे, दाएं हाथ के सीमर ने उन्हें तीन गेंदें फेंकी और वे सभी गेंद तेंदुलकर ने बल्ले से खेली तो पगबाधा का सवाल ही नहीं उठता। सचिन ने उस खेल में स्टेन की 31 गेंदों का सामना किया और उनमें से किसी ने भी नजदीकी एलबीडब्लू अपील नहीं निकाली।
बिशन सिंह बेदी ने इस भारतीय स्पिनर को बताया भगवान का दिया उपहार
कमेंट्री डाटा के जरिए पता लगा असल में हुआ क्या था-
190 के स्कोर में सचिन के प्रवेश करने के बाद, स्टेन ने 47वें और 49वें ओवर में गेंदबाजी की। उन 12 में से सचिन ने 47वें ओवर में तीनों का सामना किया। जबकि उनके बल्लेबाजी साथी एमएस धोनी ने 49वां ओवर खुद खेला।
और सचिन ने जो स्टेन की गेंदे इस दौरान खेली उन पर दरअसल यह हुआ था- स्टेन की पहली गेंद पर सचिन ने प्वाइंट की ओर एक अच्छी लेंथ डिलीवरी देखते हुए सिंगल लिया। इसके बाद जो दूसरी गेंद जिसका सामना तेंदुलकर ने किया उस पर कोई रन नहीं बना और तीसरी डिलीवरी का सामना तेंदुलकर ने मिडविकेट की ओर किया।
स्टेन के लिए दरअसल बहुत खराब गया था वह मैच-
इससे साबित होता है कि उस खेल में स्टेन की तरफ से ऐसी कोई एलबीडब्ल्यू अपील नहीं थी, जैसा कि उनके द्वारा दावा किया गया था। यह विशेष रूप से स्टेन के लिए एक यादगार मैच नहीं था क्योंकि उन्होंने 10 ओवर के अपने पूरे कोटे से 89 रन पिटवाए और विकेट नहीं लिए। इस प्रकार, मैच कमेंट्री के डाटा को देखने के बाद एक बात स्पष्ट रूप से कही जा सकता है कि या तो प्रोटियाज पेसर झूठ बोल रहा था या उसने किसी अन्य गेम के साथ इस घटना को जोड़ दिया है।