मैच टाइमिंग ने खत्म किया ओस का प्रभाव-
यह कुल मिलाकर 12वां दिन-रात्रि टेस्ट होगा, लेकिन सर्दियों में खेला जाने वाला पहला मैच होगा। इससे पहले 11 में से नौ गर्मियों में खेले गए थे जबकि अन्य दो को दुबई द्वारा होस्ट किया गया था, जिसमें एक ज्यादा ठंडी सर्दी में नहीं हुआ था। सर्दियों के साथ भारी ओस आती है। गेंद भारी और फिसलन भरी हो जाती है, जिससे बल्लेबाजी आसान हो जाती है। यह एकदिवसीय मैचों में काफी कठिन होता है, ऐसे टेस्ट पर इसका प्रभाव समझा जा सकता था। इसलिए बीसीसीआई और सीएबी ने मिलकर तय किया है कि डे-नाइट मैच दोपहर 1 बजे शुरू होगा और रात में 8 बजे तक खत्म हो जाएगा क्योंकी 8 बजे के बाद ही ओस प्रभावी हो पाती है। भारत में इससे पहले जितने भी प्रथम श्रेणी डे-नाइट मैच हुए हैं, सभी अगस्त और सितंबर के महीनों में खेले गए हैं। तब भी ओस की शिकायतें थीं।
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क्या गुलाबी गेंद सही मिलेगी?
गुलाबी एसजी की गेंद के साथ यह पहला टेस्ट होगा। ग्रेटर नोएडा में 2017 में डे-नाइट प्रथम श्रेणी मैचों के बाद जो प्रतिक्रियाएं मिली हैं वह मिली-जुली थी। दिन के दौरान या रोशनी के दौरान गेंद को देखना कोई मुद्दा नहीं था, लेकिन शाम के बाद धुंधलके के दौरान यह एक संघर्ष था क्योंकि हवा में उछलने पर गेंद का रंग नारंगी दिखाई देता था। हालांकि, ज्यादा बड़ी समस्या यह थी कि इसने स्पिनरों को समीकरण से बाहर कर दिया था। कुलदीप यादव, जिन्होंने उस दलीप ट्रॉफी को खेला, ने कहा कि गुलाबी गेंद में अतिरिक्त लाह की आवश्यकता थी जिसके कारण यह स्पिनरों के लिए बहुत अधिक कामयाब नहीं हुआ। हालांकि इस बार कंपनी एसजी का कहना है कि गेंद में सुधार की प्रक्रिया में काफी काम हुआ है जिसके चलते गेंद की चमक इस बार काफी ओवर तक बरकरार रहेगी। फिलहाल ईडन गार्डन्स में मैच देखने के बाद ही वास्ताविक स्थिति का पता चलेगा।
भारत-बांग्लादेश ने नहीं खेला कोई ऐसा मैच-
एक मुख्य बात में से एक यह है कि भारत और बांग्लादेश को रोशनी के तहत टेस्ट क्रिकेट खेलने का पर्याप्त अनुभव नहीं है। भारत टीम में, चेतेश्वर पुजारा, मयंक अग्रवाल, ऋषभ पंत और कुलदीप पहले दिन-रात का क्रिकेट खेल चुके हैं। और पुजारा ने वहां दोहरा शतक भी बनाया। शमी और साहा ने गुलाबी गेंद से क्लब मैच खेला है। इसके अलावा, यह दूसरों के लिए अज्ञात ही है। बांग्लादेश में केवल एक प्रथम श्रेणी का डे-नाइट मैच हुआ है लेकिन तब फरवरी 2013 में अधिकांश मुख्य खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय ड्यूटी पर थे। ऐसे में भारत के पास मेहमानों की तुलना में थोड़ा अनुभव भले ही ज्यादा है लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दोनों ही टीमों के लिए यह डे-नाइट मैच की शुरुआत ही होगी। हालांकि कभी शुरुआत करनी होती है ऐसे में उम्मीद है कि दोनों ही टीमों के पास अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को इस प्रारूप में खुद को ढालने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
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क्या ऑस्ट्रेलिया में डे-नाइट मैच खेलेगा भारत?
पिछले साल भारत ने ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर प्रस्तावित एक डे-नाइट टेस्ट खेलने से साफ इन्कार कर दिया था। इसका कारण यह था कि भारतीय टीम की तुलना में कंगारूओं को डे-नाइट टेस्ट खेलने का अनुभव कहीं ज्यादा था। ऐसे में भारतीय टीम स्मिथ-वार्नर की अनुपस्थिति में कमजोर लग रही ऑस्ट्रेलियाई टीम को कोई भी मौका नहीं देना चाहते थी। उस समय भारत के पास डे-नाइट टेस्ट ना खेलने की तैयारी का भी बहाना था लेकिन अब जब भारत और बांग्लादेश की टीमें टेस्ट खेल रही हैं तो क्या भारतीय टीम इसी तर्क के आधार पर 2020 में ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर क्या कंगारूओं की जमीन पर डे-नाइट खेलना चाहेगी या फिर मना कर देगी, ये भी एक सवाल है जिसका ठोस उत्तर अभी नहीं है। ऑस्ट्रेलियाई धरती पर निश्चित तौर पर डे-नाइट मैच में कंगारूओं का पलड़ा भारत से ज्यादा भारी नजर आएगा।
क्या भारत में Day-Night Test का असली मकसद पूरा होगा ?
भारतीय टेस्ट स्थलों में कम भीड़ के साथ एक बड़ी बहस यह है कि क्या यह खराब मैदानी स्थिति और ऐसी सुविधाओं के कारण है या फिर इसका कारण टेस्ट क्रिकेट के प्रति दर्शकों की लगातार घटती रूचि है? नए बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली की प्रतिक्रिया थी कि वही लोग दूरियों और असुविधाओं की परवाह नहीं करते हैं जब आईपीएल ऐसे ही मैदान पर खेला जाता है। ऐसे लोगों के लिए, दिन-रात्रि टेस्ट क्रिकेट बड़ा समाधान है। कोलकाता आमतौर पर बड़ी भीड़ दिखाता है, जो दिन-रात के टेस्ट के लिए और भी बड़ी हो सकती है। टिकटों के प्रति शुरुआती उत्साह अच्छा है लेकिन यह सवाल अभी भी बाकी है कि क्या लोग भविष्य में होने वाले तमाम डे-नाइट टेस्ट मैचों के लिए मैदान पर आएंगे या नहीं?