नई दिल्ली। दीपक चाहर श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में दूसरे वनडे में नाबाद 69 रनों की शानदार पारी के दम पर दुनियाभर में छा गए हैं। आठवें नंबर पर आते हुए, 28 वर्षीय चाहर ने 276 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए दबाव में शानदार पारी खेली। चाहर के रूप में भारत के पास निचले क्रम में एक संभावित गेंदबाजी ऑलराउंडर था, जिसने प्रशंसकों और आलोचकों को हैरान किया।
लेकिन चाहर के पिता को एक बात का अफसोस है। दरअसल, चाहर को 2018 में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की नीलामी के दाैरान एक ऑलराउंडर के रूप में नहीं, बल्कि एक गेंदबाज के रूप में चुना गया था। इस बात का दुख उनके पिता को आज भी है। चाहर को 80 लाख में चेन्नई सुपर किंग्स ने खरीदा था, जबकि उनके छोटे चचेरे भाई राहुल चाहर को मुंबई इंडियंस ने 1.9 करोड़ में खरीदा था। परिवार राहुल के लिए खुश था लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि कि दीपक को भी अधिक रकम मिल सकती थी।
अब दीपक के पिता लोकेंद्र चाहर ने टाइम्स ऑफ इंडिया से इस बारे में बात की। उन्होंने कहा, "यह हमारी गलती थी। दीपक ने ऑलराउंडर के तौर पर फॉर्म भरा था। ऑलराउंडर वर्ग देर से आया। राहुल गेंदबाज बनकर गए। नीलामी में राहुल का नाम जल्दी आया। बाद में दीपक का आया। जब तक दीपक का नाम आता तब तक टीमों का काफी पैसा खत्म हो चुका था नहीं तो दीपक को 2 करोड़ रुपए से ज्यादा मिल जाते। हमें अंदाजा था कि राहुल पर बड़ी बोली लगेगी। यह कोई आश्चर्य या अजूबा नहीं था कि वह इतने के लिए गए।"
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यह एक सर्वविदित तथ्य है कि चाहर बल्लेबाजी विभाग में अपने कौशल को तेज करने पर काम कर रहे हैं। 2018 सीजन में, नीलामी होने से ठीक पहले उन्होंने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में भी कुछ आसान रन बनाए। सीएसके के कप्तान एमएस धोनी ने दीपक की बल्लेबाजी क्षमता को देखा और उन्हें छठे नंबर पर भेजा जब किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ लक्ष्य का पीछा हो रहा था। दीपक ने तब सिर्फ 20 गेंदों में 39 रन बनाए और सीएसके प्रबंधन को अपना बल्लेबाजी कौशल दिखाया।
लोकेंद्र को लगता है कि राजस्थान के लिए घरेलू मैच खेलते हुए दीपक हमेशा अपनी बल्लेबाजी पर काम करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एक कौशल सेट में अच्छा होने के बजाय बहुआयामी होना जरूरी है। उन्होंने कहा, "उस टूर्नामेंट के बाद चोटिल होने से पहले वह राजस्थान के लिए अच्छी बल्लेबाजी कर रहा था। लेकिन दीपक जानता है कि वह एक आयामी क्रिकेटर नहीं हो सकता है।"