नई दिल्ली। क्रिकेट को डकवर्थ-लुईस नियम देने वाले गणितज्ञ टोनी लुईस का निधन हो गया है। डकवर्थ लुईस नियम को साल 2014 से डकवर्थ-लुईस-स्टर्न(DLS) के नाम से पुकारा जाने लगा था। अपने साथी गणितज्ञ फ्रैंक डकवर्थ के साथ मिलकर वह फॉर्म्युला निकाला था जिससे मौसम के कारण प्रभावित हुए मैच में रनों का पीछा करने को तर्कसंगत बनाया जा सके। इस जोड़ी ने 1997 में इस फॉर्म्युले को आईसीसी के सामने रखा था और इसे 1999 में इंग्लैंड में खेले गए वर्ल्ड कप में पहली बार लागू किया गया था।
इस फॉर्मूले से पहले आईसीसी का नियम सिर्फ टीम का रन औसत ही देखती थी। यानी मैच में जिस टीम ने बारिश के समय ज्यादा औसत से रन बनाए होते थे, उसे विजेता घोषित कर दिया जाता था। इस पुराने नियम में विकेट गिरने की बात का ख्याल नहीं रखा जाता था। जबकि डकवर्थ-लुईस नियम में बारिश से बाधित मैच तक के ओवरों में दोनों टीमों का रन औसत और विकेट को ध्यान में रखा जाता है।
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इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने बुधवार को बयान जारी कर कहा, 'ECB को टोनई लुईस MBE की मौत के बारे में जानकर बहुत दुख हुआ है। वह 78 साल के थे।' ईसीबी ने कहा, 'टोनी ने अपने साथी गणितज्ञ फ्रैंक डकवर्थ के साथ मिलकर 1997 में डकवर्थ-लुईस का नियम दिया था जिसे आईसीसी ने 1999 में अपनाया था।' ईसीबी ने कहा, '2014 में इसका नाम बदलने के बाद भी गणित का यह फॉर्म्युला दुनियाभर में वर्षा आधारित मैचों में इस्तेमाल होता रहा है। दोनों, टोनी और फ्रैंक के योगदान के लिए क्रिकेट उनका ऋणी रहेगा। हम टोनी के परिवार के प्रति शोक व्यक्त करते हैं।'
1992 में इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका के सेमीफाइनल के बाद गणितीय नियम लागू करने पर विचार किया गया। इस मैच में लक्ष्य का पीछा कर रही अफ्रीका टीम को जीत के लिए 13 गेंद पर 22 रन की जरूरत थी। इसी दौरान कुछ समय के लिए हुई बारिश के कारण मैच रोक दिया गया था। इसके बाद अफ्रीकी खिलाड़ी उस समय हैरान रह गए, जब जीत के लिए स्कोरकॉर्ड पर 1 गेंद पर 21 रन का टारगेट दिखाया था। यह मैच अफ्रीका 19 रन से हार गई थी। इसके बाद ही आईसीसी ने डकवर्थ-लुईस सिस्टम पर विचार किया।