नई दिल्ली। चार साल पहले भारतीय क्रिकेट से जुड़ा हुआ एक किस्सा हुआ था जिसने तब काफी तूल पकड़ा था। यह मामला था- भारत दौरे पर आई वेस्टइंडीज टीम द्वारा दौरे को अधूरा छोड़कर ही चले जाना। तब वेस्टइंडीज टीम और उसके बोर्ड के बीच सैलरी और कॉन्ट्रैक्ट का मुद्दा इस विवाद का कारण बना था। 2014 में हुई इस अधूरे दौर पर वेस्टइंडीज के कप्तान टी20 के चैंपियन ऑलराउंडर ड्वेन ब्रावो थे।
उस घटना के चार साल बीतने के बाद ब्रावो ने उस दौरान के अपने अनुभव पर बातें की हैं। एक चैनल को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि किस तरह से टीम के लोगों के अंदर एक डर का माहौल बन चुका था। कई खिलाड़ियों को डर था कि शायद उन पर 'लाइफ टाइम बैन' लग जाए। इस इंटरव्यू में उन्होंने बीसीसीआई के रवैये की तारीफ की। तब बीसीसीआई के चेयरमैन एन श्रीनिवासन थे।
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बीसीसीआई ने किया सपोर्ट
ब्रावो ने इस पर बात करते हुए कहा, 'दौरा बीच में छोड़ने का फैसला हमने एक टीम के रूप में किया था। मैंने हर एक खिलाड़ी को सुना था। सिर्फ एक खिलाड़ी को छोड़कर सभी ने दौरा बीच में छोड़ने को लेकर एक पेपर पर साइन किया था। इस बारे में हमने कई बार वेस्टइंडीज प्लेयर असोसिएशन के अध्यक्ष वैवेल हिंड्स और क्रिकेट वेस्ट इंडीज के अध्यक्ष डेव कैमरन से संपर्क करने की कोशिश भी की थी।'
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इस दौरान ब्रावो ने यह भी खुलासा किया कि वे लोग पहला मैच भी नहीं खेलना चाहते थे। उसके बाद भी हमने कुछ मैच खेले और बाद में वे लोग जो हो रहा था, उससे खुश नहीं थे। उनको फिर ये फैसला करना पड़ा। ब्रावो इस पूरे घटनाक्रम में बीसीसीआई की भूमिका से काफी संतुष्ट दिखाई दिए। उनके अनुसार बीसीसीआई ने हमको काफी सपोर्ट किया। बता दें कि यह स्टार ऑलराउंडर हाल ही में अंतराष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास लेने की घोषणा कर चुका है।