लोग क्या कहेंगे के डर का शिकार थे मोंटी पनेसर
अपने मानसिक स्वास्थ्य पर बात करते हुए पनेसर ने कहा कि वह काफी समय तक इस बात को स्वीकार करने को तैयार नहीं थे।
उन्होंने कहा,' मुझे डर था कि लोग मेरे बारे में क्या कहेंगे कि मेरे जैसा क्रिकेटर डिप्रेशन का शिकार कैसे हो गया। इसलिये काफी लंबे समय तक मैं इसे स्वीकार ही नहीं कर पाया। ऊपर से मैं पंजाबी जट्ट हूं। तो मुझे लगा कि हर कोई कहेगा कि यह कुछ भी नहीं है और तुम ठीक हो जाओगे।'
दोस्त-परिवार से बात करता तो शायद जल्दी ठीक हो जाता
पनेसर ने कहा,' मुझे इस बात का अहसास बहुत बाद में हुआ कि अगर मैं इस बारे में अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करता हूं तो मैं तेजी से ठीक हो सकता हूं। मंझे अहसास हुआ कि मैं कितना गलत था।'
गौरतलब है कि मोंटी पनेसर ने साल 2006 में भारत के खिलाफ अपने करियर का आगाज किया था। उन्होंने अपने करियर के दौरान इंग्लैंड के लिये 50 टेस्ट मैच खेले और साल 2013 में अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला। इस दौरान उन्होंने ब्राइटन नाइट क्लब के बाउंसरों पर पेशाब कर दिया था जिसके बाद उनके करियर को काफी बड़ा झटका लगा। इसी के बाद से वह डिप्रेशन में चले गये और लंबे समय तक उबर नहीं पाये।
पनेसर ने बताया कैसे उबरे डिप्रेशन से
आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के हरफनमौला खिलाड़ी ग्लेन मैक्सवेल समेत कई खिलाड़ियों ने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर हाल के दिनों में अपनी आवाज बुलंद की है। पनेसर ने इस पर बात करते हुए मौजूदा प्लेयर्स को इस सामना करने और इससे निपटने की सलाह दी है।
उन्होंने कहा, ‘अगर आप पेशेवर क्रिकेटर हैं और अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं तो इस बारे में बात करना काफी मुश्किल होता है। आप किसी करीबी से इसे साझा कर सकते हैं। अगर क्रिकेट से ब्रेक लेने की जरूरत हो ब्रेक लेना चाहिए क्योंकि स्वास्थ्य जरूरी है।'
पनेसर ने अपने संघर्ष के बारे में बात करते हुए परिवार और दोस्तों का शुक्रिया किया और कहा कि उन्होंने शराब पीना छोड़ दिया है और अब कीर्तन में जाते हैं जो उनके लिए डिप्रेशन फ्री मेडिसिन का काम करता है।