चैपल ने बताया पहली बार कब नस्लवाद से हुआ सामना
'ईएसपीएनक्रिकइंफो' के साथ बात करते हुए इयान चैपल ने बताया कि अपने जीवन में वह पहली बार नस्लवाद से तब वाकिफ हुए जब उन्होंने ट्रैवल करना शुरु किया था।
चैपल ने याद किया, 'मेरा पहला विदेशी दौरा 1966-67 में था और यह मेरे लिए आंखे खोलने वाला था। तब सत्ता में रंगभेद करने वाला शासन था और केप टाउन में दूसरा टेस्ट जीतने के बाद ही हमें इस घिनौनी चीज का पता चला। गैरी सोबर्स को क्यों नहीं चुना? पूरी टीम अश्वेत खिलाड़ियों से भरी थी और ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज ग्राहम थॉमस पर टीम होटल में आपत्तिजनक टिप्पणी की गई। थॉमस की अमेरिकी वंशावली उस समय की है, जब गुलामी के दिन हुआ करते थे।'
कप्तान बनने के बाद लगा दी नस्लीय टिप्पणीयों पर रोक
चैपल ने आगे बताया कि जब वह ऑस्ट्रेलियाई टीम के कप्तान बने थे तो उन्होंने इस तरह के वाक्यों पर रोक लगा दी थी जिसमें नस्लवाद होता था।
उन्होंने कहा, '1972-73 में मैंने ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों से बात की जब हमें पाकिस्तान के खिलाफ घरेलू सीरीज के बाद कैरेबियाई सरजमीं का दौरा करना था। मैंने उन्हें चेताया कि अगर अश्वेत शब्द का कोई भी वाक्य इस्तेमाल किया गया तो परेशानी होगी। मैंने उन ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों से इस तरह की कोई भी टिप्पणी नहीं सुनी।'
विव रिचर्डस के साथ भी हुआ था रेसिज्म का मामला
इयान चैपल ने आगे खुलासा करते हुए कहा कि नस्लवाद की घटना वेस्टइंडीज के महान खिलाड़ी सर विव रिचर्डस के साथ भी हुई थी जब वह ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर 1975-76 में आये ते। उन्होंने बताया कि खुद रिचर्डस ने उन्हें ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के नस्लीय टिप्पणी करने की बात बताई थी लेकिन बाद में यह भी भरोसा दिलाया था कि यह मामला सुलझ गया था।
उन्होंने कहा, 'मौजूदा समय में नस्लवाद काफी अहम भूमिका निभा रहा है। क्रिकेट के अंदर और बाहर इस पक्षपात के मेरे अनुभव को बताना सही है। मैं ऐसे परिवार में बड़ा हो रहा था, जहां बतौर युवा मैंने कोई भेदभाव नहीं देखा था, जबकि वह श्वेत ऑस्ट्रेलियाई नीति का युग था। मैं सचमुच नस्लवाद के बारे में वाकिफ नहीं था।'