धोनी ने टीम को जीतना सिखाया, कोहली ने प्रथा को आगे बढ़ाया
उल्लेखनीय है कि साल 2014 में जब पूर्व कप्तान एमएस धोनी ने टेस्ट कप्तानी छोड़ी तो विराट कोहली ने टेस्ट कमान संभाली। विराट कोहली ने कप्तानी संभालते ही इंग्लैंड के खिलाफ विजयी आगाज किया और घरेलू टेस्ट सीरीज में 4-0 से जीत हासिल की। इसके साथ ही भारतीय टीम टेस्ट रैंकिंग में नंबर 1 भी बनी। इस सीरीज के दौरान विराट कोहली ने बतौर कप्तान 109.5 की औसत से 655 रन बनाए। इसके बाद जनवरी 2017 में वह सीमित ओवर्स में भी भारतीय टीम के कप्तान बना दिये गए।
कोच अपटन ने कहा,' एमएस धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने कई ऊंचाइयों को छुआ और विराट कोहली की कप्तानी में टीम उसी राह पर चलते हुए विरासत को आगे बढ़ाती जा रही है।'
विराट कोहली और एमएस धोनी की कप्तानी में यह है अंतर
भारतीय टीम के पूर्व मेंटल और फिजिकल कोच पैड अपटन ने दोनों कप्तानों के अंतर पर बात करते हुए बताया कि दोनों खिलाड़ियों में भावनाओं का अंतर है। एक जहां पर शांत रहकर गेम को आगे बढ़ाता है वहीं दूसरा कप्तान अपनी हर भावना का खुलकर इजहार करता है।
विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी स्टाइल के अंतर पर बात करते हुए पैडी अपटन ने कहा, 'धोनी और कोहली दो अलग तरह के कप्तान हैं। धोनी शांत रहते हैं और उनका दिमाग हमेशा स्थिर रहता है वहीं कोहली थोड़े भावुक हैं। विराट काफी उत्साहित और ऊर्जावान हैं। वह अपनी भावनाओं का खुलकर इजहार करते हैं। हम मैदान पर उनकी भावनाओं के उतार-चढ़ाव को देखकर इसका अंदाजा लगा सकते हैं।'
कप्तान के व्यव्हार का खिलाड़ियों पर होता है ज्यादा असर
भारतीय टीम के पूर्व सहयोगी कोच का मानना है कि किसी भी टीम में खिलाड़ियों पर उसके कप्तान के व्यव्हार का काफी असर देखने को मिलता है। खिलाड़ी जितना ज्यादा भावुक या भावनाओं पर ज्यादा नियंत्रण नहीं रखेंगे उतना ही वो कप्तान की बातों और उसके काम से प्रभावित नजर आयेंगे।
उन्होंने कहा, 'प्रशंसा के कुछ शब्द किसी खिलाड़ी का हौसला बढ़ाने में बहुत मदद करते हैं और उससे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करवाते हैं और वहीं नकार देने की प्रवृत्ति खिलाड़ी के आत्मविश्वास को गहरी ठेस पहुंचाती है। इस तरीके से कोहली वाकई खिलाड़ियों में जोश भर देते हैं और साथ ही उनमें खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को कमजोर करने की भी क्षमता है।'