नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण चार महीने बाद क्रिकेट शुरू हुआ है। विंडीज-इंग्लैंड की टेस्ट सीरीज में जहां कई चीजें बदलती दिखीं। वहीं दोनों टीमें नस्लवाद (रेसिज्म) के खिलाफ विरोध करती हुईं नजर भी आईं। सभी क्रिकेटरों ने घुटने के बल बैठकर नस्लवाद के खिलाफ मजकर विरोध किया। दक्षिण अफ्रीका में नस्लवाद एक बड़ी समस्या रही है। इस बीच दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान फैफ डुप्लेसी ने इसको लेकर एक मजबूत संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि किसी की भी जिंदगी तब तक मायने नहीं रखती, जब तक कि अश्वेतों का जीवन मायने नहीं रखता।
अमेरिका में अफ्रीकी मूल के जॉर्ज फ्लॉयड की एक श्वेत पुलिसकर्मी के हाथों मौत के बाद विश्व भर में 'ब्लैक लाइव्स मैटर' आंदोलन चल रहा है। इंग्लैंड और विंडीज के बीच टेस्ट सीरीज के पहले मैच से पूर्व दोनों टीमों के खिलाड़ियों ने खुलकर इसका समर्थन किया। डुप्लेसी ने कहा कि अब नस्लवाद से लड़ने का समय आ गया है। इस 36 वर्षीय क्रिकेटर ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट पर लिखा, 'पिछले दो महीनों में मुझे यह महसूस हुआ कि हमें यह तय करना होगा कि हमें किससे लड़ना है। हम अपने देश में कई तरह के अन्याय से घिरे हुए हैं जिन पर तुरंत ध्यान देने और उन्हें ठीक करने की जरूरत है।'
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डुप्लेसी ने कहा, 'मैं मानता हूं कि साउथ अफ्रीका अब भी नस्लवाद के कारण बंटा हुआ है और यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं इसके समाधान का हिस्सा बनूं।' यह डुप्लेसी के पूर्व के रवैये से बिल्कुल अलग है, जब उन्होंने नस्लवाद पर बात करने से इनकार कर दिया था। इस साल के शुरू में तेम्बा बावुमा को टीम से बाहर करने पर उन्होंने कहा था कि, 'हम रंग देखकर चयन नहीं करते।' उन्होंने आगे कहा कि 'ब्लैक लाइव्स मैटर' अभियान को उनका पूरा समर्थन है। उन्होंने कहा, 'इसलिए मैं कहूंगा कि किसी की भी जिंदगी तब तक मायने नहीं रखती जब तक कि अश्वेतों का जीवन मायने नहीं रखता। मैं अब बात कर रहा हूं क्योंकि अगर मैं उचित समय का इंतजार करूंगा तो वो कभी नहीं आएगा। बदलाव के लिए काम जारी रखना जरूरी है और हम सहमत हों या असहमत बातचीत बदलाव को लेकर आती है।'