घर चलाने के लिए सपनों से करना पड़ा समझौताः
फखर जमान का जन्म मर्दान के नजदीक छोटे से गांव कतलंग में हुआ। क्रिकेट की दुनिया में फखर एडम गिलक्रिस्ट को अपना आदर्श मानते थे। हालांकि फखर की उम्र तब 17 वर्ष थी, जब उन पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई। लिहाजा युवा बल्लेबाज को नौकरी तलाशनी पड़ी। तब उन्होंने पाकिस्तान नेवी में नाविक बनने का टेस्ट दिया। उन्होंने इस टेस्ट को पास किया और एक अच्छी नौकरी हासिल की। हालांकि वो अपनी नौकरी से खुश नहीं थे।
ऐसे पलटी किस्मतः
फखऱ ने बताया कि वो अपनी नौकरी से खुश नहीं थे। पीएनएस कर्साज में फखर जमान की मुलाकात नाजिम खान से हुई, जो पाकिस्तान नवल क्रिकेट एकेडमी के कोच थे। फखर ने क्रिकेट खेलने की अपनी इच्छा जाहिर की और नाजिम ने दोनों हाथ फैलाकर इसका स्वागत किया। फखर ने आजम को प्रभावित करने में ज्यादा समय नहीं लिया और अंतरराज्जीय अंडर-19 के मैच में अर्धशतक जमा दिया। इस पारी में उन्होंने चार छक्के जमाए थे। बस यहीं से फखर का सफऱ शुरू हो गया। हालांकि, परिवार में आर्थिक तंगी और मैदान पर फेल होने के कारण कई बार फखर को अपने आप पर संदेह हुआ। वह कई बार क्रिकेट छोड़ने का मन बना चुके थे। मगर आजम खान उनके मेंटर बने। आजम ने फखर का हौसला बढ़ाया और उन्हें खेल जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। इस बात के लिए फखर आज भी आजम का शुक्रियाअदा करते नहीं थकते हैं।
भारत के खिलाफ भी बिखेर चुके हैं जलवाः
जिम्बांब्वे में अपना जलवा बिखेरने वाले फखर जमान की जिंदगी ने नई करवट ली और आगे चलकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनका सिक्का चला। फखर जमान ने चैंपियंस ट्रॉफी में टीम इंडिया के खिलाफ फाइनल में शतक जमाकर विश्व क्रिकेट में डंका बजाया था। वास्तव में इस खिलाड़ी ने अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर सभी को अपना कायल बना लिया है।