नई दिल्ली। आज तक ऐसे कई खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने कठिन व्यक्तिगत परिस्थितियों के बावजूद अपनी टीम के लिए खेलना अहम समझा है। कई खिलाड़ियों ने आगे बढ़कर अपना और अपने देश का नाम राैशन किया। भारतीय टीम की बात करें तो महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर, मौजूदा भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली और मोहम्मद सिराज ने अपने पिता के निधन के बाद भी घर लाैटने की बजाय खेलना जारी रखा। ऐसा ही वाकया न्यूजीलैंड के पूर्व क्रिकेटर बॉब ब्लेयर के साथ हुआ था। उन्होंने उस समय भी बिना हार माने अपनी टीम का प्रतिनिधित्व किया।
बॉब ब्लेयर का जन्म 23 जून, 1932 को न्यूजीलैंड के पिटोनो में हुआ था। ब्लेयर एक तेज गेंदबाज थे। उनके जीवन में कठिन समय आया था। दिसंबर 1953 में ब्लेयर जोहानिसबर्ग में साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेल रहे थे।
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क्रिसमस की पूर्व संध्या पर तांगीवाई में एक ट्रेन दुर्घटना में उनकी मंगेतर की मौत हो गई थी। रेलवे पुल पार करते समय नदी का पुल टूट गया और उनकी होने वाली पत्नी सहित ट्रेन के छह डिब्बे नदी में गिर गए। उस हादसे में 151 लोगों की मौत हो गई थी। यह सुनकर उन्हें बेहद दुख हुआ। न्यूजीलैंड की टीम ने भी उन्हें हाैसला देने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। जब ब्लेयर 9 विकेट लेने के बाद बल्लेबाजी करने मैदान पर आए तो स्टेडियम में मौजूद सभी दर्शक हैरान रह गए।
ब्लेयर ने न्यूजीलैंड के लिए 19 टेस्ट खेले। उन्होंने अपने करियर में कभी भी 5 विकेट नहीं लिए थे। उन्होंने 19 टेस्ट में 43 विकेट लिए थे। उनकी सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी एक पारी में 85/4 और पूरे मैच में 142/7 थी। दाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज को प्रथम श्रेणी में एक महान गेंदबाज के रूप में जाना जाता था। उन्होंने 119 प्रथम श्रेणी मैचों में 537 विकेट लिए थे। उन्होंने एक पारी में 72 रन देकर 9 विकेट लेने का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया था।