नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट को विश्व क्रिकेट की ऊंचाइयों पर ले जाने का काम टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के नाम है, जिन्होंने अपनी कप्तानी में भारत के लिये नये-नये कीर्तिमान हासिल किये। धोनी ने साल 2004 में पहली बार भारतीय टीम में जगह बनाई और उसके बाद लगभग 16 सालों तक देश की सेवा की, इस दौरान उन्होंने भारत को टेस्ट क्रिकेट में दुनिया की नंबर 1 टीम बनाने से लेकर आईसीसी की तीनों ट्रॉफीज जीतने का सम्मान भी हासिल किया। धोनी ने न सिर्फ विकेट के पीछे से बल्कि मैदान पर कितनी भी मुश्किल परिस्थितियां हो, कूलनेस के साथ खेलते हुए कई बार टीम को जीत दिलाने का काम किया।
हालांकि 2004 में धोनी का टीम में चयन करने वाले पूर्व मुख्य चयनकर्ता किरण मोरे ने बताया कि उनका सेलेक्शन आसान नहीं था। हाल ही में दिये गये एक इंटरव्यू में पूर्व भारतीय विकेट कीपर बल्लेबाज किरण मोरे ने बताया कि किन परिस्थितियों में धोनी को राहुल द्रविड़ की जगह टीम में शामिल किया गया।
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भारतीय महिला क्रिकेट टीम के कोच डब्ल्यू वी रमन के पोडकास्ट इनसाइड आउट में बात करते हुए उन्होंने बताया कि यह वो समय था जब भारतीय टीम लगातार अपने विकेटकीपर बदल रही थी। हालांकि वनडे क्रिकेट में राहुल द्रविड़ के विकेटकीपिंग करने से भारत को थोड़ी राहत मिली थी जिन्होंने 73 वनडे मैच में 71 कैच 13 स्टंपिंग की थी।
उन्होंने कहा,'हमारे लिये यह मुश्किल दौर था, हम टीम के लिये एक नियमित विकेटकीपर बल्लेबाज की तलाश कर रहे थे और लगातार नये विकल्प ढूंढ रहे थे। वैकल्पिक विकेटकीपिंग कर रहे राहुल द्रविड़ पहले ही 75 मैचों में यह जिम्मेदारी निभा चुके थे, हम राहुल का वर्कलोड कम करके उन्हें आराम देना चाहते थे। तभी हमारी नजर इंडिया ए से केन्या दौरे पर गये एमएस धोनी पर पड़ी, जो कि अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे।'
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धोनी की पारी को याद करते हुए किरण मोरे ने कहा कि जब केन्या में हमने धोनी को खेलते देखा तो उनमें हमें एक अलग झलक दिखाई दी। वह जिस तरह से गेम को पढ़कर आगे बढ़ा रहा था वह शानदार था। उस दौरे पर उसने 600 रन बनाये थे। हमारे पास पहले ही युवराज जैसा खिलाड़ी मौजूद था, ऐसे में धोनी के आने से टीम को कंपलीट पैकेज मिल गया। उन्होंने भारतीय टीम में तूफान पैदा करने का काम किया।