टीम को बनाने में लगती है मेहनत तोड़ना है आसान
पूर्व भारतीय कोच मदन लाल का मानना है कि वनडे प्रारूप में विराट कोहली का कप्तानी का रिकॉर्ड बहुत शानदार है जिसे देखते हुए उन्हें कप्तानी से हटाने की कोई दरकार नहीं थी। मदन लाल का मानना है कि 2 साल भारतीय सरजमीं पर खेले जाने वाले वनडे विश्वकप विराट कोहली टीम का नेतृत्व आसानी से कर सकते थे, ऐसे में उन्हें हटाने का यह फैसला ज्यादा हैरानी भरा रहा।
मिड डे के साथ बात करते हुए मदनलाल ने कहा,'मुझे नहीं पता कि चयनकर्ताओं के दिमाग में क्या चल रहा था लेकिन मुझे लगता है कि अगर वो (कोहली) टीम के लिये सही नतीजे दे रहा था तो उन्हें बदलने की क्या जरूरत थी। मैं उनके टी20 प्रारूप की कप्तानी छोड़ने के फैसले को समझ सकता हूं क्योंकि बहुत ज्यादा क्रिकेट की वजह से आप पर दबाव बन जाता है लेकिन उसे छोड़ने के बाद वो अन्य दो प्रारूप पर ध्यान लगा सकते थे। पर आप सफल हैं और उसके बावजूद आपके पद से हटा दिया जाता है तो यह बहुत ही खराब फैसला है और मनोबल तोड़ने वाला है। मुझे लग रहा था कि कोहली 2023 वनडे विश्वकप तक टीम की कमान संभालते नजर आयेंगे। किसी भी टीम को बनाना काफी मुश्किल होता है लेकिन उसे तोड़ना बहुत ही आसान।'
गांगुली ने बताया क्यों छीनी कोहली से कमान
उल्लेखनीय है कि विराट कोहली ने आईपीएल 2021 के दूसरे लेग के दौरान ही टी20 प्रारूप से कप्तानी छोड़ने का ऐलान कर दिया था, ऐसे में जब यूएई में खेला गया कप्तान के तौर पर उनका आखिरी विश्वकप खराब गुजरा तो माना जा रहा था कि वो वनडे प्रारूप की कप्तानी से भी जल्द ही अलविदा कहते नजर आयेंगे। इस संभावना को पूर्व भारतीय कोच रवि शास्त्री ने भी बल दिया जब उन्होंने कहा कि इसमें कोई हैरानी की बात नहीं होगी अगर कोहली वनडे की कप्तानी से भी इस्तीफा देते नजर आयें।
वहीं कोहली को कप्तानी से हटाने के बाद बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली ने साफ किया कि उन्हें वनडे की कप्तानी से हटाने का फैसला चयन समिति और बोर्ड ने साथ मिलकर लिया है। गांगुली ने बताया कि हम चाहते थे कि कोहली टी20 प्रारूप की कप्तानी न छोड़ें लेकिन उन्होंने उसे छोड़ने का फैसला लिया जिसके बाद हमें लगा कि सीमित ओवर्स के दो प्रारूप के लिये अलग दो कप्तान रखने की जरूरत नहीं है। यही वजह है कि हमने कोहली से वनडे की कमान लेकर रोहित को सौंप दी।
गांगुली की बात से सहमत नहीं हैं मदन लाल
वहीं मदन लाल ने सौरव गांगुली की ओर से दी गई वजह पर भी असहमति जताई है और कहा कि यह पहली बार नहीं होगा जब खिलाड़ी दो अलग-अलग कप्तानों के नेतृत्व में खेलते नजर आते। इससे किसी भी तरह की कन्फ्यूजन होने का सवाल ही नहीं पैदा होता। सालों तक खिलाड़ियों ने धोनी और कोहली की कप्तानी में खेला है जब टेस्ट की कमान विराट संभाल रहे थे और धोनी सीमित ओवर्स प्रारूप की कमान सौंप रहे थे। लाल का मानना है कि खिलाड़ियों के बीच नॉन ट्रॉन्सपैरेंसी की कोई जगह नही है, ऐसे में खिलाड़ी दो अलग-अलग शैली वाले कप्तानों के साथ खेलते।
उन्होंने कहा,'मुझे नहीं समझ आता कि वहां पर कन्फ्यूजन क्यों होगी। हर कप्तान का टीम को संभालने का अपना अलग तरीका होता है तो वहां पर कन्फ्यूजन किस बात की होगी। टेस्ट और सीमित ओवर प्रारूप में वैसे भी कप्तानी का तरीका बदल जाता है। विराट और रोहित के पास भी टीम का नेतृत्व करने का अपना अलग तरीका है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सारा मसला अच्छा प्रदर्शन करने और प्रोफेशनलिज्म को बनाये रखने का होता है।'