नई दिल्ली। इंडियन प्रीमियर लीग के सबसे सफल कप्तानों की बात की जाये तो गौतम गंभीर का नाम जरूर आता है जिनकी कप्तानी में कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम ने दो बार खिताब जीतने का काम किया। इस दौरान गौतम गंभीर ने न सिर्फ कप्तानी में बल्कि बतौर बल्लेबाज भी केकेआर के लिये काफी अहम भूमिका निभाई थी। गौतम गंभीर की कप्तानी को लेकर अब तक कई खिलाड़ियों ने तारीफ की है और बताया है कि कैसे वो युवा खिलाड़ियों को अपनी कप्तानी के दौरान बैक करते थे और सामने से टीम का नेतृत्व करते थे।
इसी फेहरिस्त में अब एक और नाम जुड़ गया है जो कि केकेआर की टीम के बल्लेबाजी विभाग का साल 2012 में काफी अहम हिस्सा हुआ करते थे। हम बात कर रहे हैं पूर्व खिलाड़ी मनविंदर बिसला की जिन्होंने गंभीर की कप्तानी में आईपीएल 2012 का फाइनल मैच खेलते हुए सबसे ज्यादा रन बनाने का काम किया था। बिसला ने सीएसके के खिलाफ खेले गये इस फाइनल मैच में 48 गेंदों का सामना कर 89 रनों की पारी खेली थी जिसकी मदद से केकेआर की टीम 190 रनों का लक्ष्य आसानी से हासिल कर पहला खिताब जीता था।
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बिसला ने आईपीएल में 39 मैचों में शिरकत की और 21 की औसत से 798 रन बनाने का काम किया। ईएसपीएन क्रिकइंफो के साथ बात करते हुए बिसला ने गंभीर बतौर कप्तान कैसे रहे थे और उनके सफर को लेकर कहानी सुनाई और बताया कि वह अपने खिलाड़ियों के लिये बहुत ही ज्यादा प्रोटेक्टिव थे और वक्त आने पर लड़ने से पीछे नहीं हटते थे।
उन्होंने कहा,'एक कप्तान के रूप में गौतम गंभीर अपने खिलाड़ियों के लिये काफी ज्यादा प्रोटेक्टिव थे। वह हमारे लिये एक बड़े भाई की तरह थे। हम जीते या हारें उन्हें बस आपकी कोशिश और लगन से मतलब होता था। इतना ही नहीं जब मेरे बल्ले से ज्यादा रन नहीं निकल रहे थे तब भी उन्होंने मुझे कभी कुछ नहीं कहा बल्कि मेरी कोशिशों के लिये तारीफ ही की। उनके साथ अलग-अलग समय पर की गई बातचीत मेरे लिये काफी मायने रखती थी जिसने मुझे खुद पर काम करने के लिये प्रेरित किया। हमारे सहायक कोच विजय दहिया भी काफी शानदार थे और इन दोनों ने हमें सफल और असफल होने के बीच डील करना सिखाया।'
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गौरतलब है कि गौतम गंभीर की ही कप्तानी में केकेआर की टीम को एक और शानदार खिलाड़ी मिला था जिसने साल 2015 और 2019 में केकेआर के लिये दो सीजन में शिरकत की। केसी करियप्पा ने भी गंभीर की कप्तानी में खेलने के अपने अनुभव को हाल ही में शेयर किया था और उन्हे बेहद शानदार कप्तान करार दिया था।
स्पोर्टसकीड़ा से बात करते हुए करियप्पा ने कहा,' गंभीर बहुत ही अच्छे कप्तान थे। वह गेंदबाजी में डिसिप्लिन को लेकर थोड़ा सख्त थे और मैदान पर कोशिश को लेकर कोई भी समझौता नहीं चाहते थे। मैदान के बाहर वो आपको परेशान नहीं करते थे लेकिन मैदान पर वो खिलाड़ी से उसका 100 प्रतिशत मांगते थे और यही मुझे पसंद था।'