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ICC से क्रिकेट का बड़ा नियम बदलने की मांग कर रहे हैं सक्लैन मुश्ताक, कहा- गेंदबाजों को मिलेगी मदद

Saqlain Mushtaq
Photo Credit: PTI

नई दिल्ली। पाकिस्तान के पूर्व ऑफ स्पिन गेंदबाज सक्लैन मुश्ताक ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल के सामने स्पिन गेंदबाजों के सामने 15 डिग्री एल्बो नियम को बदलने की मांग की है। पिछले कुछ सालों में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के कई स्पिन गेंदबाज आईसीसी के इस नियम के चलते रडार में आ चुके हैं, खास तौर से ऑफ स्पिन गेंदबाज। आईसीसी के इस नियम के चलते जिन गेंदबाजों को अपने गेंदबाजी एक्शन पर काम करना पड़ा, उनमें से एक सक्लैन मुश्ताक भी हैं।

हाल ही में मोहम्मद हाफिज को 15 डिग्री नियम के चलते सस्पेंड होना पड़ा है। इसके चलते मुश्ताक ने आईसीसी के सामने इस नियम को बदलने की मांग की है ताकि ऑफ स्पिनर्स ज्यादा आजादी से गेंदबाजी कर सकें। मुश्ताक का मानना है कि आईसीसी को इस नियम पर फिर से पुनर्विचार करना चाहिये और नियम में जरूरी बदलाव करने की दरकार है।

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मुश्ताक ने इस पर बात करते हुए कहा कि वेस्टइंडीज, एशियाई और बाकी देश के खिलाड़ियों की गेंदबाजी करने के पास गेंदबाजी की अलग-अलग तकनीक हैं और आईसीसी को इस बारे में पुनर्विचार करना चाहिये।

क्रिकेट नेक्स्ट के साथ बात करते सक्लैन मुश्ताक ने कहा,'मैं जानना चाहूंगा कि आईसीसी के एक्सपर्टस ने क्या सोचकर यह 15 डिग्री घुमाव का नियम गेंदबाजों के लिये बनाया है, क्यो उसके रिसर्चर्स ने एशियाई खिलाड़ियो, कैरिबियाई खिलाड़ियों और बाकियों पर अनुसंधान किया था क्योंकि सब अलग होते हैं। एशियाई खिलाड़ियों का शरीर अलग होता है, उनकी बाजूओं में ज्यादा लचीलापन देखने को मिलता है और हाइपरमोबाइल ज्वाइंटस। अगर आप कैरिबियाई और इंग्लिश खिलाड़ियों पर नजर डालें तो सबका शरीर अलग होता है।'

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मुश्ताक का मानना है कि इस नियम के चलते कई सारे युवा स्पिन गेंदबाज अब ऑफ स्पिन गेंदबाजी लेने से बचते हैं जो कि उनका विकेट लेने का एकमात्र जरिया है। मुश्ताक का मानना है कि अगर 15 डिग्री एल्बो का नियम नहीं होगा तो ऑफ स्पिनर्स के पास दूसरा फेंकने या फिर टॉपस्पिन करने का विकल्प होगा लेकिन जब से यह नियम लागू हुआ तब से ज्यादा से ज्यादा ऑफ स्पिनर्स लेग स्पिन या कलाई के स्पिन गेंदबाज बनते जा रहे हैं।

उन्होंने कहा,'मैं निजी तौर से मानता हूं कि अगर यह नियम बदल दिया जाये तो एक गेंदबाज ऑफ ब्रेक, दूसरा या टॉप स्पिन ज्यादा आजादी से फेंक सकता है। लेकिन जब से यह नियम आया है तब से मैंने कई ऑफ स्पिन गेंदबाजों को देखा है जो कि लेग स्पिनर या कलाई के स्पिनर बन गये हैं। यह एक नया ट्रेंड बन गया है जिसमें ज्यादातर टीमें सफेद बॉल प्रारूप में स्पिनर्स रखना चाहते हैं, जैसे कि भारतीय टीम चाहल और यादव, ऑस्ट्रेलिया के पास एडम जाम्पा और स्टीफेनसन और इंग्लैंड के पास आदिल राशिद वगैरह और यह नियम ऑफ स्पिन गेंदबाजों के लिये निराशा भरा है।' सक्लैन मुश्ताक का मानना है कि मौजूदा समय में ज्यादातर टॉप टीमें खासतौर से सीमित ओवर्स प्रारूप में कलाई स्पिनर्स पर निर्भर होने लगी है।

Story first published: Thursday, July 22, 2021, 17:57 [IST]
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