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बीसीसीआई अध्यक्ष गांगुली को 10 महीने बाद विदाई देने के मूड में नहीं गंभीर, कही ये बात

नई दिल्ली: प्रशासकों की समिति के लंबे कार्यकाल के बाद सौरव गांगुली के बीसीसीआई का अध्यक्ष बनने को ताजा हवा के झोंके की तरह से लिया जा रहा है। दादा ने आते ही कुछ महत्वपूर्ण फैसले लेने पर काम भी शुरू कर दिया। उनके फैसले का बड़ा जमीनी असर सबसे पहले 22 नवंबर को दिखाई देगा जब टीम इंडिया अपने टेस्ट इतिहास का पहला डे-नाइट मैच कोलकाता में बांग्लादेश के खिलाफ खेलेगी। लेकिन गांगुली केवल 10 महीने के लिए इस कुर्सी पर बैठे हैं। यह बात उनके फैंस और भारतीय क्रिकेट के जानकारों को अखरती है।

भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज और लोकसभा के सदस्य गौतम गंभीर ने मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली को विस्तार देने के पीछे अपनी राय दी है। टाइम्स ऑफ इंडिया में अपने कॉलम में लिखते हुए, गंभीर ने भारतीय क्रिकेट प्रशासन में गांगुली जैसे लोगों की आवश्यकता पर जोर दिया।

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"व्यक्तिगत रूप से, मैं पदाधिकारियों के लिए कूलिंग-ऑफ पीरियड का बहुत बड़ा प्रशंसक नहीं हूं। मैंने पहले भी यह कहा है और मैं फिर से कहूंगा कि भारतीय क्रिकेट को सौरव गांगुली जैसे व्यक्तियों की जरूरत है। उनके पास न केवल अपने दिमाग हैं, बल्कि उनके पास समावेशी विकास का नेतृत्व करने की दृष्टि और क्षमता भी है। इसके अलावा, वह अपनी कमजोरियों को अपनी ताकत से बेहतर जानते हैं और जानता है कि उन पर कैसे काम किया जाए। अगर 10 महीने बाद गांगुली को पद छोड़ना पड़े तो यह शर्म की बात होगी। हालांकि, मैं लोढ़ा समिति द्वारा किए गए शानदार काम दरकिनार करने का सुझाव नहीं दे रहा हूं।, "गंभीर ने अपने कॉलम में लिखा।

गंभीर ने इस दौरान यह माना है कि बीसीसीआई के मौजूदा अधिकारियों के कार्यकाल बढ़ाने पर चर्चा काफी गहनता से जारी होने के बावूजद इसको लेकर कोर्ट के चक्कर काटने से बीसीसीआई को बचना चाहिए। अगले महीने BCCI की वार्षिक आम बैठक (AGM) में संभवतः क्रिकेट बॉडी के सुधारों के लिए न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा समिति की रिपोर्ट में प्रमुख धाराओं में संशोधन करने का प्रयास होगा।

बता दें कि कूलिंग-ऑफ पीरियड के तहत अक्टूबर में चुने गए गांगुली को अगले साल पद छोड़ना होगा। जब तक एजीएम उस खंड को नहीं कहता है जिसमें राज्य इकाई या बीसीसीआई में छह साल के बाद कार्यालय में तीन साल के कूलिंग-ऑफ अवधि में प्रवेश करने की आवश्यकता होती है। इसमें किसी बदलाव के लिए एजीएम को इस तरह के प्रावधान में फेरबदल करना होगा और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट को भी इस संसोधन को अपनी मंजूरी देनी होगी।

Story first published: Wednesday, November 13, 2019, 16:38 [IST]
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