नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम आईसीसी के विश्व कप के इतिहास में सबसे मजबूत टीम मानी जाती है। आरोन फिंच की कप्तानी में टीम इस बार अपना खिताब बचाने के इरादे से मैदान पर उतरेगी। जहां कई कंगारू इंग्लैंड की तेज पिचों पर रन बरसाने को बेताब हैं तो वहीं उनके आलराउंडर ग्लेन मैक्सवेल ने दर्शकों को बल्ले से नहीं, बल्कि गेंद से खुश करने की ठान रखी है। मैक्सवेल ने फिंच के कप्तान बनने के बाद हर मैच में कम से कम 5 ओवर फेंकते हैं। इसी कारण मैक्सवेल ने कहा कि भारत और दुबई के दौरे में मुझे ज्यादा ओवर गेंदबाजी करने का मौका मिला, जिससे निरंतरता में मदद मिली। उसके बाद मुझे लंकाशायर की ओर से खेलते हुए भी गेंदबाजी के कई मौके मिले। क्रीज पर काफी समय मिलने से लय और गेंदबाजी में सुधार महसूस किया। एक पार्ट-टाइम गेंदबाज होने के नाते लय बरकरार रखने के लिए क्रीज पर ज्यादा से ज्यादा समय बिताना जरूरी होता है।
मैक्सवेल ने ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट टीम में अपनी जगह फिर पाने के लिए आईपीएल छोड़कर काउंटी क्रिकेट खेला। उन्होंने कहा कि आईपीएल नहीं खेलना बड़ा फैसला था। लंबे समय में मैं अपनी पहचान दो बार विश्व कप जीतने वाले खिलाड़ी के रूप में बनाना चाहता हूं, अमीर खिलाड़ी के रूप में नहीं। उन्होंने आगे कहा कि अगर सब कुछ अच्छा रहता है और मैं अच्छा प्रदर्शन कर पाता हूं तो शायद मैं आगे भी खेलता रहूं।
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मैक्सेवल ने विश्व कप में अपनी भूमिका के बारे में बताते हुए कहा, "ज्यादातर समय मैं गेंदबाजी करते वक्त सिर्फ चौके और छक्के रोकने की कोशिश करता हूं। अगर बल्लेबाज मेरी गेंद पर अच्छे शॉट लगाते हैं तो मैं उससे बहुत निराश नहीं होता। लेकिन अगर मैं अपने ओवर में बड़े शॉट्स रोक लेता हूं, कुछ डॉट बॉल्स या टाइट ओवर करता हूं तो जाहिर तौर पर बल्लेबाज पर दबाव बनता है। इसलिए मेरे लिए एक अन्य गेंदबाज के साथ पार्टनरशिप में बॉलिंग करना फायमंद साबित होगा।"