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विहारी के शतक पर बोलीं उनकी बहन- बुमराह के विकेटों से फीका नहीं हुआ मेरे भाई का प्रदर्शन

नई दिल्ली: कैरेबियाई दौरे पर हनुमा विहारी टीम इंडिया की खोज साबित हुए हैं। वैसे तो विहारी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भी भारतीय टीम की प्लेयिंग इलेवन का हिस्सा थे लेकिन उनके खेल को असली पहचान वेस्टइंडीज की धरती पर हुई दो टेस्ट मैचों की सीरीज ने दी। विहारी ने विहारी ने दो अर्धशतक और एक शतक के दम पर 96.33 के औसत से बल्लेबाजी करते हुए सीरीज में सर्वाधिक 289 रन बनाए। इतना ही नहीं, उनका स्ट्राइक रेट (59.59) भी रहाणे और कोहली से काफी बेहतर रहा। विहारी के अलावा यह टेस्ट सीरीज जसप्रीत बुमराह के नाम भी रही जिन्होंने गेंदबाजी में हैट्रिक समते दो बार पांच या उससे ज्यादा विकेट लेकर बल्लेबाजों की दुनिया में अपना खौफ नए सिरे से स्थापित किया।

बुमराह का प्रदर्शन और उनकी ख्याति कुछ इस तरह की है जिसके सामने विहारी जैसे टेस्ट विशेषज्ञ बल्लेबाज का प्रदर्शन छुप सकता था लेकिन विहारी की बहन वैष्णवी विहारी का मानना है कि बुमराह की छह विकेट के सामने विहारी का शतक नहीं ढक सका है। बता दें कि विहारी ने जमैका टेस्ट की पहली पारी में 111 रन बनाए थे जिसके दम पर भारत ने पहली पारी में 416 रन बनाए थे जो अंत में निर्णायक साबित हुए। इसके बाद बुमराह की घातक गेंदबाजी के दम पर भारत ने वेस्टइंडीज की टीम को पहली पारी में 117 रनों पर ढेर कर दिया।

चौथे एशेज टेस्ट से ख्वाजा की छुट्टी, स्मिथ के साथ हुई इस घातक गेंदबाज की वापसीचौथे एशेज टेस्ट से ख्वाजा की छुट्टी, स्मिथ के साथ हुई इस घातक गेंदबाज की वापसी

विहारी की बहन का इस पर कहना है, 'मुझे नहीं लगता कि बुमराह की गेंदबाजी ने मेरे भाई के शतक को फीका कर दिया है। ये दोनों के लिए ही स्पेशल दिन था। दोनों ने अच्छा खेल दिखाकर भारत को अच्छी स्थिति में पहुंचाया। मैं बहुत खुश और भावुक हूं। मैंने मैच देखा और मैं भाई की बल्लेबाजी मिस नहीं करती हूं।' वैष्णवी ने यह बात डेक्कन क्रॉनिकल से हुई बातचीत के दौरान कही। विहारी केवल 12 साल के थे जब उनके पिता का देहांत हो गया था। अपने पहले टेस्ट शतक को विहारी ने पिता को समर्पित किया था। इस बारे में बात करते हुए विहारी की बहन कहती हैं, 'हमारे पिता आज जहां भी होंगे वह गर्व महसूस करने के साथ काफी खुश और भावुक होंगे।'

उन्होंने आगे कहा, 'हमारे पिता सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड में पूर्व अधीक्षण इंजीनियर थे। वह काफी अच्छे दिल के इंसान थे। वह मेरे भाई को 12 साल की उम्र में 50 रन बनाते या फिर 3 विकेट लेते हुए देखकर भावुक हो जाते थे और उनकी आंखों में खुशी के आंसू होते थे। कल से मैं ये सोच रही हूं कि अगर आज हमारे पापा पास में होते तो किस तरह से रिएक्ट करते।'

Story first published: Tuesday, September 3, 2019, 14:05 [IST]
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