जब अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम को कपिल देव ने ड्रेसिंग रूम से बाहर भगाया
कपिल देव मैदान पर और मैदान के बाहर अपने निडर स्वाभाव के लिये जाने जाते थे। आपको यह जानकर हैरान होगी कि कपिल देव ने एक बार अपने ड्रेसिंग रूम में घुसे अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम को डांट कर बाहर भगा दिया था। कपिल देव और दाउद इब्राहिम के बीच हुए इस वाक्ये को 'शारजहां ड्रेसिंग रूम कांड' के नाम से भी जाना जाता है।
यह घटना 1987 की है जब भारत और पाकिस्तान के शारजहां में द्विपक्षीय सीरीज खेली जा रही था। इस दौरान दाउद इब्राहिम ने कपिल देव के ड्रेसिंग रूम में पहुंचकर उनसे पाकिस्तान के खिलाफ फिक्सिंग करने की पेशकश की। दाउद की बात सुनकर कपिल देव इस कदर गुस्से में आ गये कि उन्होंने दाउद को रूम से बाहर निकल जाने को कहा। जब दाउद ने उन्हें धमकाने की कोशिश की तो कपिल देव ने हाथ में बल्ला लेकर उन्हें डांट कर ड्रेसिंग रूम से बाहर निकाल दिया।
रावलपिंडी से कपिल देव का पुराना नाता
6 जनवरी, 1959 को जन्मे कपिल देव का होम टाउन चंडीगढ़ है जहां उन्होंने अपनी आंखे खोली। कपिल देव के पिता जो कि पेशे से बिल्डर और लकड़ी का व्यापार करते थे उनके 7 बच्चे हुए इसमें से कपिल देव का नंबर छठा था। 1947 में विभाजन से पहले कपिल देव का पूरा परिवार पाकिस्तान के रावलपिंडी में रहता था लेकिन विभाजन के बाद वह चंडीगढ़ में आकर बस गये। कपिल देव ने अपनी पढ़ाई चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेड और सेंट एडवर्ड कॉलेज से की।
शुरु से क्रिकेट की तरफ था कपिल देव का रुझान
कपिल देव बचपन से ही क्रिकेट खेलने के शौकीन थे, उन्होंने अपने स्कूली समय के दौरान ही मशहूर कोच देश प्रेम आजाद से ट्रेनिंग ली और 1975 में अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत घरेलू मैच से की। कपिल देव ने अपना पहला मैच हरियाणा की टीम के लिये पंजाब के खिलाफ खेला था। इस मैच में उन्होंने 6 विकेट लेकर हरियाणा की जीत में अहम भूमिका निभाई।
1978 में किया था अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू
साल 1979-1980 के बीच कपिल देव ने हरियाणा की ओर से घरेलू स्तर पर क्रिकेट खेला। इस दौरान उन्होंने दिल्ली के खिलाफ बेहतरीन बल्लेबाजी करते हुए 193 रन की पारी खेली और करियर का पहला शतक लगाया। इससे पहले वह 1978 में अपना अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू कर चुके थे। कपिल देव ने अपना पहला मैच 1978 में पाकिस्तान के खिलाफ खेला था। इस मैच में कपिल देव को सिर्फ 1 विकेट हासिल हुई और 8 रन बना पाये।
साल 1979 में कपिल देव ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला टेस्ट शतक लगाया और 124 गेंदों में 126 रन की पारी खेली। इसके बाद वह नहीं रुके, 1983 विश्व कप में उनके ऑलराउंड प्रदर्शन के चलते उन्हें 'विज्डन क्रिकेटर ऑफ द ईयर' से सम्मानित किया गया।
भारतीय टीम के कोच भी रहे हैं कपिल देव
कपिल देव ने भारत के लिये कप्तानी के अलावा कोचिंग का काम भी किया है। वह साल 1999 से लेकर 2000 तक भारतीय टीम के कोच के रूप में कार्यरत रहे। भारत को अपनी कप्तानी में पहली बार विश्व कप जिताने वाले कपिल देव न सिर्फ बेहतरीन गेंदबाज और बल्लेबाज थे बल्कि उतने ही बेहतरीन फील्डर भी थे। कपिल देव का नाम विश्व में सबसे अधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ियों में शुमार हैं। कपिल देव दुनिया के इकलौते ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपने टेस्ट करियर में 400 से ज्यादा विकेट लिए हैं और 5 हजार रन बनाए हैं।
19 की उम्र में कपिल देव करते थे 145 की रफ्तार से गेंद
कपिल देव के साथ खेल चुके उनके साथी खिलाड़ी बलविंदर सिंह संधू ने बताया कि कपिल जब 19 साल के थे तो वह 145 की रफ्तार से गेंदबाजी किया करते थे। लंबे समय तक वो भारत के इकलौते स्ट्राइक गेंदबाज रहे। लंबे स्पेल करने में उन्हें महारत हासिल थी। फैसलाबाद टेस्ट में कपिल ने अपने टेस्ट करियर का पहला विकेट सादिक मोहम्मद के रूप में लिया, जिन्हें उन्होंने अपनी ट्रेडमार्क आउटस्विंग गेंद पर आउट किया था।
आईसीसी के हॉल ऑफ फेम में शामिल हैं कपिल देव
क्रिकेट में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने कपिल देव को साल 1979-1980 में अर्जुन पुरस्कार से नवाजा। साल 1982 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागिरक सम्मान एक पद्म श्री से नवाजा गया। 1991 में कपिल देव को भारत के सर्वोच्च पुरस्कार में से एक पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया। 24 सितंबर, 2008 को भारतीय सेना ने उन्हें लेफ्टिनेंट कर्नल का दर्जा दिया गया। 2010 में आईसीसी क्रिकेट हॉल ऑफ फेम पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
शर्मीले स्वााभाव के थे कपिल देव
कपिल देव ने साल 1980 में 21 साल की उम्र में रोमी भाटिया से लव मैरिज की। कपिल देव बहुत ही शर्मीले स्वाभाव के थे। उनकी पत्नी रोमी भाटिया के अनुसार कपिल देव की मुलाकात उनसे एक फ्रैंड के जरिये हुई थी। वह एक साल तक उन्हें प्रपोज नहीं कर पाये थे। वह आज जितने आत्म-विश्वास के साथ नजर आते हैं उस वक्त उनमें वह गायब था।
आखिरकार कपिल देव ने उन्हें चलती हुई ट्रेन में प्रपोज किया और रोमी ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। फिर दोनों ने शादी कर ली।