2001 में बदली थी सोच
अश्विन ने बताया कि उनकी सोच 2001 में बदली जब उन्होंने हरभजन का ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार स्पैल देखा था। अश्विन ने बताया कि कैसे उनके रोल मॉडल हरभजन ने उन्हें ऑफ स्पिनर बनने में भूमिका निभाई। अश्विन ने कहा, "ये विकटों की संख्या जो है वो मेरे द्वारा किए जा रहे प्रयास के कारण हो रही हैं। मैं अपने खेल का आनंद लेने की कोशिश कर रहा हूं। मैं इस बात से चिंतित नहीं हूं कि मैं किस रिकाॅर्ड को पार कर रहा हूं। फिर भी यह एक अद्भुत मील का पत्थर है। जब हरभजन सिंह ने 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार स्पेल फेंका, तो मैंने नहीं सोचा था कि मैं एक दिन ऑफ स्पिनर बनूंगा।"
बल्लेबाज थे अश्विन
अश्विन ने आगे बताया कि वो शुरूआती समय बल्लेबाज थे। उन्होंने "मैं हरभजन से प्रेरित था और मैं उसी कारण आज यहां हूं। दरअसल, मैं एक बल्लेबाज की तरह था, और बहुत सारे लोग इस कहानी को जानते हैं। उसके बाद 2001 बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में हरभजन की गेंदबाजी देख मैंने स्पिन गेंदबाजी करने का फैसला किया। इस तरह मैंने शुरुआत की, मैं कुछ समय से अपनी फाॅर्म पर हूं, मुझे नहीं पता कि मैं अब हरभजन की शैली की नकल कर सकता हूं या नहीं।" जब टॉम लाथम ने कानपुर टेस्ट के अंतिम दिन रविचंद्रन अश्विन के हाथों विकेट गंवाया तब अश्विन ने विकटों की संख्या हरभजन से पार की। अब अश्विन से आगे अनिल कुंबले (617) और कपिल देव (434) हैं।
सोच रहा था कि क्या मैं फिर से टेस्ट खेलूंगा
अश्विन ने आगे कहा, "पिछले कुछ सालों में मेरे जीवन और मेरे करियर में क्या हो रहा है, इसके बारे में बहुत विनम्र होने के लिए मुझे नहीं पता था कि जब हम महामारी में थे तब मैं टेस्ट क्रिकेट खेलूंगा। मैंने क्राइस्टचर्च में (जो 29 फरवरी, 2020 से शुरू हुआ) आखिरी टेस्ट खेला था। मैं खतरे की घंटी पर खड़ा था और सोच रहा था कि क्या मैं फिर से टेस्ट खेलूंगा, मेरा भविष्य कहां है, क्या मैं टेस्ट टीम में आता हूं यही एकमात्र प्रारूप है जिसे मैं खेल रहा हूं। लेकिन भगवान दयालु हैं और मैं चीजों को बदलने में सक्षम हूं।" उन्होंने आगे कहा, "मैं तब दिल्ली कैपिटल्स में शामिल हो गया था। तब से चीजें बदल गई हैं।"
भारत ने पांचवें दिन 9 विकेट झटक लिए थे। लेकिन अंत में कीवी टीम दिन में बल्लेबाजी करने में सफल रही क्योंकि रचिन रवींद्र और एजाज पटेल की अंतिम जोड़ी ने 51 गेंदों का सामना कर मैच ड्रा करवा दिया। खेल के बारे में बात करते हुए, अश्विन ने कहा, "मैच के बाद यह अभी भी सवाल है कि हम जीत नहीं सके, हम जीत के करीब थे। मेरे लिए इसे भूलना मुश्किल है। ऐसा ही जमैका में एक बार हुआ था, जहां हम अंत में जीत नहीं कर सके, आखिरी दिन हम एक जीत के लिए कोशिश कर रहे थे लेकिन इसे प्राप्त नहीं कर सके। विशेष रूप से आखिरी पारी में गेंदबाजी करने वाले गेंदबाज के रूप में मेरे लिए इसे भूल पाने के लिए कुछ समय लगता है, लेकिन यह सिर्फ आज नहीं हुआ, पहले भी हम करीब गए।"