रोचक रहा ग्राउंडसमैन के बेटे से क्रिकेटर बनने तक का सफर
भारतीय टीम के इस पूर्व टेस्ट ऑलराउंडर खिलाड़ी का जन्म 18 मार्च, 1948 को एक ग्राउंडसमैन एकनाथ ढोंढू सोलकर के घर में हुआ था। एकनाथ सोलकर ने जब क्रिकेट के मैदान पर कदम रखा तो उस वक्त या तो बल्लेबाज या फिर गेंदबाज को ही इज्जत दी जाती थी, इस मामले में फील्डर्स को तवज्जो नहीं दी जाती थी। हालांकि उन्होंने इस सोच को बदला और अपनी चुस्त फील्डिंग के जरिये भारतीय क्रिकेट टीम के लोकप्रिय सदस्य बने।
भारतीय टीम के लिये उन दिनों जैसे बिशन सिंह बेदी, इरापल्ली प्रसन्ना, भागवत चंद्रशेखर और एस. वेंकटराघवन की स्पिन चौकड़ी की जरूरत होती थी ठीक वैसे ही इस चौकड़ी को शॉर्ट लेग पर इस फील्डर की जरूरत होती थी।
शॉर्ट लेग पर एकनाथ ने मचाया धमाल
भारतीय टीम के लिये एकनाथ सोलकर निचले क्रम में अच्छी बल्लेबाजी करते थे। उन्होंने भारत के लिये 27 टेस्टों मैच खेले जिसमें 25.42 की औसत से 1068 रन बनाए और 18 विकेट भी हासिल किये।
मुंबई के रहने वाले इस खिलाड़ी के करियर में फील्डिंग सबसे अहम पहलू रहा जिसमें उन्होंने 53 कैच पकड़े और ज्यादातर कैच शॉर्ट लेग, खासतौर पर फॉरवर्ड शॉर्ट लेग पर पकड़े।
भारतीय टीम की स्पिन चौकड़ी बिशन सिंह बेदी, इरापल्ली प्रसन्ना, भगवत चंद्रशेखर और श्रीनिवास वेंकटराघवन की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान देते हुए इस खिलाड़ी ने कई कैच लपके।
बिना हेलमेट के शॉर्ट लेग पर होते थे खड़े, बनाया यह रिकॉर्ड
एकनाथ सोलकर ने फील्डिंग के दौरान एक बड़ा रिकॉर्ड अपने नाम किया, वह दुनिया के इकलौते टेस्ट क्रिकेटर हैं जिन्होंने 12 या उससे ज्यादा पारियों में 1 से ज्यादा की औसत हर पारी में कैच पकड़े हैं। सोलकर ने 48 पारियों में 53 कैच लपके थे वो भी तब जब शॉर्ट लेग के फील्डर के पास हेलमेट नहीं होता था।
आजकल शॉर्टलेग में फील्डर हेल्मेट पहनकर फील्डिंग करते हैं, लेकिन सोलकर ने यह कारनामे बिना हेलमेट पहने किए।
न्यूजीलैंड के खिलाफ डेब्यू, इंग्लैंड में मचाया धमाल
एकनाथ सोलकर ने अपने करियर का आगाज न्यूजीलैंड के खिलाफ अक्टूबर 1969 में किया था जबकि आखिरी मैच जनवरी 1977 में इंग्लैंड के खिलाफ कोलकाता में खेला था। वह इंग्लैंड के अलावा वेस्टइंडीज के दौरे पर भी गये थे और घरेलू सीरीज में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज का सामना किया। वह भारतीय की पहली विश्व कप टीम का हिस्सा भी बने। सोलकर ने भारत की पहली टेस्ट जीत में भी अहम भूमिका निभाई थी।
उन्होंने 1971 में ओवल के मैदान पर खेले गये इस मैच में पहले उपयोगी 44 रन बनाये और बाद में 38 रन देकर तीन विकेट हासिल किये। इस मैच में उन्होंने कीथ फ्लेचर और एलन नॉट के कैच लपके थे, जिन्हें टेस्ट क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ कैचों में शुमार किया जाता है। आबिद अली के साथ गेंद की चमक उतारने के लिए गेंदबाजी का आगाज करने वाले सोलकर ने अपनी मध्यम गति की गेंदबाजी से बॉयकॉट को इस दौरे पर तीन बार पवेलियन भेजा।
सोलकर की फील्डिंग से खौफ खाते थे लॉयड और फ्रेडरिक्स
सोलकर ने 1971 में वेस्टइंडीज दौरे में अपनी बल्लेबाजी का भी अच्छा प्रभाव छोड़ा था। उन्होंने तब पांच मैच में 224 रन बनाए थे, हालांकि क्लाइव लॉयड और रॉय फ्रेडरिक्स जैसे बल्लेबाज उनकी फील्डिंग को लेकर अधिक चिंतित रहते थे। सोलकर (102 रन) ने टेस्ट क्रिकेट में एकमात्र सेंचुरी 1974-75 में वेस्टइंडीज के खिलाफ मुंबई में जड़ी थी।
फॉरवर्ड शॉर्ट लेग का यह फील्डर अब भले ही इस दुनिया में न हो लेकिन वह अपने खेल और सीख के लिए वह हमेशा याद किए जाएंगे। शॉर्ट लेग के फील्डर उनका यह सबक युगों तक दोहराते रहेंगे। हमेशा बल्लेबाज के पैरों पर निगाह टिकाये रहो, उससे पता चलेगा कि वह कौन सा शॉट खेलने जा रहा है।