रोहित-धवन का ओपनिंग स्लॉट पक्का-
अंबाती रायडू ने नंबर चार बल्लेबाजी करते हुए 90 रन बनाए थे। इसके साथ ही उन्होंने विजय शंकर और केदार जाधव के साथ मिलकर अहम भागेदारियां भी निभाई थी। वहीं निचेल मध्यक्रम पर हार्दिक पांड्या ने तूफानी पारी चिर-परिचित अंदाज में खेली थी। ऐसे में जब विश्वकप सामने आ चुका है तो भारत के भी सामने कुछ सवाल हैं जिनका शायद भारत को अब जवाब मिल जाना चाहिए। अगर हम ओपनिंग के दो स्लॉट के बारे में बात करें तो यहां पर शिखर धवन-रोहित शर्मा की जगह पूरी तरह से पक्की है।
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नंबर 4 और नंबर 6 के स्थान-
जबकि विराट कोहली नंबर पर सीमेंट की तरह मजबूत हैं तो वहीं महेंद्र सिंह धोनी नंबर 5 पर हैं। इस तरह से जो दो बल्लेबाजी स्लॉट बचते हैं, वो हैं- नंबर 4 और नंबर 6 के स्थान। इन स्थानों पर विश्व कप के लिए अंतिम ग्यारह में पेशोपश होनी है। रायडू की वेलिंग्टन पारी और केदार जाधव की अहम मौकों पर बल्लेबाजी और गेंदबाजी करने की काबिलियत उनको इन स्थानों के लिए तगड़े दावेदारों में एक बनाती हैं। लेकिन यहां बात विश्व कप की है जो इंग्लैंड में होना है। जहां पर गेंद के घूमने यानी हवा में स्विंग लेने की भी पूरी उम्मीद है।
रायडू से ऊपर रहाणे!
इसलिए अगर भारत नंबर 4 और 6 के लिए रायडू और जाधव को लेकर जाता है तो भी उसको कुछ खिलाड़ी बतौर बैकअप लेकर जाने की जरूरत होगी। इंग्लिश कंडीशन एक शास्त्रीय किस्म के परिपक्व बल्लेबाजी की मांग कर रही हैं। ऐसे में आजिंक्य रहाणे जैसा बल्लेबाज मुश्किल हालातों में टीम की एक जरूरत बन सकता है। भले ही रहाणे सारे मैच ना खेले लेकिन वे एक पूर्ण बल्लेबाज के तौर पर अगर 15 सदस्यीय भारतीय टीम में स्थान बना पाए तो कोई बड़ा आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
विजय शंकर बनाम हार्दिक पांड्या-
इस बारे में बात करते हुए भारत के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज और टीम इंडिया के कोच रह चुके दिलीप वेंगसरकर ने कहा- 'रहाणे आपको विकल्प देते हैं क्योंकि वे किसी भी स्थान पर बल्लेबाजी कर सकते हैं।' इसके बाद आता है नंबर 7 का स्लॉट। इस नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए भारत ने ऑस्ट्रेलिया में विजय शंकर को उतारा था। बाद में हार्दिक पांड्या की न्यूजीलैंड दौरे पर वापसी हुई थी और वे अंतिम वनडे मैच में शंकर के साथ भी खेले थे। शंकर एक मजबूत बल्लेबाज हैं लेकिन उनमें पांड्या वाली विस्फोटक बल्लेबाजी योग्यता का अभाव है। इसके साथ ही पांड्या के पास गेंदबाजी में विजय से ज्यादा रफ्तार है जो उनको इस नंबर पर एक मजबूत ऑलराउंडर के तौर पर पक्का करती है।
हार्दिक पांड्या बनाम रविंद्र जडेजा-
हालांकि स्पिन की मददगार पिचों पर रविंद्र जडेजा हार्दिक पांड्या का अच्छा विकल्प हो सकते हैं। ये सब इंग्लैंड में पिचों की प्रवृत्ति पर निर्भर करता है। अगर परिस्थितियां जडेजा के अनुकूल रहती हैं तो गेंदबाजी में जडेजा का कोई तोड़ हार्दिक पांड्या के पास भी नहीं है। जडेजा ना केवल सटीक लाइन से गेंदबाजी करते हुए बल्लेबाजों से मुश्किल सवाल पूछते हैं बल्कि बीच-बीच में एक या दो विकेट निकालकर टीम को मैच में आगे बढ़ाए रखते हैं। इसके अलावा चहल और कुलदीप यादव के साथ वो भारत के लिए मजबूत स्पिन आक्रमण का निर्माण कर सकते हैं। हाल-फिलहाल में देखने को मिला है कि ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका जैसी बड़ी टीमें भी भारतीय स्पिन के आगे परेशान होती नजर आई हैं।
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पिचें और परिस्थितियां होंगी अंतिम चयनकर्ता-
लेकिन जडेजा और जाधव का एक साथ खेलना थोड़ा मुश्किल होगा क्योंकि जाधव भी स्पिन गेंदबाजी कर सकते हैं। ऐसे में भारत एक ही मैच में स्पिन गेंदबाजों की फौज खड़ी नहीं करना चाहेगा। ये सब मैच परिस्थितियों के हिसाब से टीम संयोजन पर तय करेगा की भारत कितने स्पिनरों को मैच में उतारता है। जडेजा तब एक बेहतर विकल्प हो सकते हैं जब भारत एक ही मुख्य स्पिनर के साथ उतर रहा हो और अपने बल्लेबाजी को मजबूत करने के लिए स्पिन ऑलराउंडर को खिलाने के लिए योजना बना रहा हो।