मुश्किल पिचों पर बल्लेबाजों ने बनाए रिकॉर्ड-
इस विश्व कप के शुरू होने से पहले कहा गया था कि इस बार पिचों पर 350 प्लस का स्कोर होगा लेकिन ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला इसलिए सबसे पहले बात बल्लेबाजों की बात करते हैं। विश्व कप के अधिकतर मैच कम स्कोर वाले रहे लेकिन बल्लेबाजों ने व्यक्तिगत रूप से शानदार प्रदर्शन किया। इस बार कुल सात बल्लेबाजों ने 500 प्लस का स्कोर खड़ा किया। इनमें सबसे ज्यादा रन टीम इंडिया के दिग्गज ओपनर रोहित शर्मा ने बनाए। उन्होंने रिकॉर्डतोड़ पांच शतकों के साथ 648 रन बनाए। रोहित के अलावा अन्य 6 बल्लेबाजों ने 500 प्लस स्कोर किया। ये बल्लेबाज हैं- डेविड वार्नर (647), शाकिब अल हसन (606), केन विलियमसन (578), जो रूट (556), जॉनी बेयरस्टो (532) और एरोन फिंच (507)। रोहित से पहले जहां किसी भी बल्लेबाज ने एक विश्व कप में पांच शतक नहीं लगाए तो शाकिब ने एक विश्व कप में सर्वाधिक 7 अर्धशतक लगाने के सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली।
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तेज गेंदबाजों के नाम रहा यह विश्व कप-
विश्व कप शुरू होने से पहले कोहली-शास्त्री की जोड़ी समेत सभी भारतीय क्रिकेट पंडितों ने कुलदीप-चहल की जोड़ी को भारतीय गेंदबाजी का सबसे खतरनाक हथियार बताया था लेकिन ठीक इसके उल्ट हुआ। पूरे विश्व कप में ही इस जोड़ी के अलावा कलाई के अन्य स्पिनर भी चल नहीं सके। मजेदार बात यह रही कि टॉप 18 विकेट टेकर्स में सभी तेज गेंदबाज रहे। इससे पहले आज तक किसी भी विश्व कप में ऐसा नहीं हुआ। इतना ही नहीं, अगर औसत के आधार पर देखें तो इस बार टॉप 22 गेंदबाज तेज गति से गेंदबाजी करने वाले थे। वहीं, स्ट्राइक रेट के हिसाब से भी इस बार टॉप 10 गेंदबाजों में 9 पेस बॉलर थे। सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज की बात की जाए तो मिशेल स्टॉर्क ने 27 विकेट लेकर रिकॉर्ड बनाया। इससे पहले किसी भी गेंदबाज ने एक विश्व कप में इतने विकेट नहीं लिए थे। बता दें कि स्टॉर्क भी तूफानी तेज गेंदबाज की श्रेणी में आते हैं।
फील्डिंग और डॉट बॉल में भी बने नायाब रिकॉर्ड-
फील्डिंग में इंग्लैंड की टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। इंग्लैंड के टेस्ट कप्तान जो रूट ने ही अकेले 13 कैच पकड़कर विश्व कप के 11 मैचों में सनसनी मचा दी। यह अब तक किसी भी फील्डर द्वारा (विकेटकीपर को छोड़कर) एक विश्व कप में पकड़े गए सबसे ज्यादा कैच हैं। रूट के साथ उनके साथी जॉनी बेयरस्टों ने भी बखूबी निभाया। बेयरस्टो ने स्लिप में भी शानदार कैचिंग की और उनके नाम विश्व कप में कुल 9 कैच रहे। इसके अलावा प्रोटियाज कप्तान फाफ डु प्लेसिस के नाम भी 9 ही कैच रहे। ना केवल फील्डिंग बल्कि इंग्लैंड की ओर से डॉट बॉल में भी बढ़िया काम किया गया। सच तो यह है कि इंग्लैंड की गेंदबाजी जोफ्रा आर्चर के आ जाने से उनकी बल्लेबाजी से भी ज्यादा अच्छी लगने लगी। आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि आर्चर ने इस विश्व कप में कुल 371 डॉट गेंदें फेंकी जो किसी भी गेंदबाज के द्वारा फेंकी गई सर्वाधिक डॉट बॉल्स साबित हुई। उन्होंने और मार्क वुड्स ने क्रमशः 20 और 18 विकेट भी लिए। इससे पहले इंग्लैंड का कोई भी गेंदबाज विश्व कप में इतने विकेट नहीं ले पाया था।
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300 प्लस रन और फाइनल मैच का रिकॉर्ड-
यह विश्व कप भले ही 400 से ज्यादा का स्कोर किसी भी टीम के द्वारा नहीं देख पाया। पिचें भी काफी अबूझ मानी गई। खासकर बाद में बैटिंग करने वाली टीमें जूझती हुई नजर आई। कई बार तो लगा जैसे एक ही मैच में दो टीमें अलग-अलग पिचों पर बल्लेबाजी कर रही हों। लेकिन फिर भी इस विश्व कप में 27 बार 300 से ज्यादा का स्कोर बना जो विश्व कप इतिहास में दूसरा सबसे ज्यादा बार बना 300 प्लस स्कोर है। इस दौरान बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए लीग मैच में कुल मिलाकर 714 रन बने जो किसी भी मैच में बने अब के ज्यादा विश्व कप रन हैं। उधर विश्व कप के फाइनल मैच की बात की जाए तो यह अद्भुत था। पहली बार विश्व कप के इतिहास में कोई फाइनल मुकाबला टाई हुआ था। दोनों ही टीमें 100 ओवरों के खेल के बाद सुपरओवर में भी यह मैच टाई करा गई। यह डबल टाई रिकॉर्ड था जो अब शायद ही किसी विश्व कप के फाइनल में देखने को मिलेगा।