स्वीकार की गलती
धर्मसेना ने कहा, "लोगों के लिए टीवी रिप्ले देखने के बाद टिप्पणी करना आसान है। अब टीवी रीप्ले देखने के बाद मैं स्वीकार करता हूं कि फैसला करने में गलती हुई। लेकिन मैदान पर टीवी रीप्ले देखने की सहूलियत नहीं थी और मुझे अपने फैसले पर कभी मलाल नहीं होगा। साथ ही आईसीसी ने उस समय किए फैसले के लिए मेरी सराहना की है।" आईसीसी के नियम 19.8 के अनुसार यदि ओवर थ्रो के बाद गेंद बाउंड्री के पार जाती है, तो पेनाल्टी के रन में बल्लेबाजों द्वारा पूरे किए गए रन भी जुड़ते हैं। यदि बल्लेबाज रन के लिए लिए दौड़ रहे हैं, तब यह देखा जाता है कि फील्डर की गेंद थ्रो करने के समय दोनों बल्लेबाज क्रॉस हुए या नहीं। और इसी को देखकर कुल रन जोड़ टीम को दिए जाते हैं। इंग्लैंड को अंतिम तीन गेंदों पर जीत के लिए 9 रन की दरकार थी और ओवर थ्रो से मिले रन के बाद उसे दो गेंद में तीन रन चाहिए थे।
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नहीं ले सकते थे तीसरे अंपायर की सलाह
इसके अलावा धर्मसेना ने यह भी बताया कि वो नियमों के अनुसार इस घटना को लेकर तीसरे अंपायर की सलाह नहीं ले सकते थे। धर्मसेना ने कहा, ''नियमों में इस मुद्दे को तीसरे अंपायर के पास भेजने का कोई प्रावधान नहीं था क्योंकि कोई आउट नहीं हुआ था।' धर्मसेना ने कहा, 'इसलिए मैंने लेग अंपायर से सलाह ली, जिसे सभी अन्य अंपायरों और मैच रैफरी ने सुना। और वे टीवी रीप्ले नहीं देख सकते थे, उन सभी ने पुष्टि की कि बल्लेबाजों ने रन पूरा कर लिया है। इसके बाद मैंने अपना फैसला किया।''
इंग्लैंड को 5 रन मिलने चाहिए थे
बता दें कि फाइनल के 50वें ओवर की चौथी बॉल पर जब न्यूजीलैंड के मार्टिन गुप्टिल ने थ्रो फेंका था, तब इंग्लैंड के बल्लेबाज बेन स्टोक्स और आदिल रशीद एक रन पूरा कर चुके थे। हालांकि, जब थ्रो फेंका गया, तब बल्लेबाज दूसरे रन के लिए एक-दूसरे को क्रॉस नहीं कर पाए थे। थ्रो पहुंचने से पहले स्टोक्स क्रीज में पहुंच चुके थे लेकिन तभी गेंद उनके बल्ले से लगकर बाउंड्री तक चली गई थी। धर्मसेना ने इंग्लैंड को 6 रन दे दिए। इसके बाद इंग्लैंड मैच टाई करने के बाद सुपरओवर में जाकर ज्यादा बाउंड्री लगाने के आधार पर जीत गया था।
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