
मुझे बाहर करने का कारण नहीं बताया गया
हरभजन ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा, "जब कोई 400 से अधिक विकेट लेता है और फिर उसे मौका नहीं मिलता है या उसे ड्रॉप का कारण नहीं बताया जाता है, तो कई सवाल मन में उठते हैं। मैंने कई लोगों से टीम से बाहर होने के बारे में पूछा, लेकिन मुझे कोई जवाब नहीं मिला।" हरभजन ने यह भी कहा कि अगर उन्हें 2012 के बाद कुछ खास लोगों का समर्थन मिला होता तो उन्होंने 500 या 550 टेस्ट विकेट हासिल कर लिए होते। अनुभवी इस तथ्य से भी निराश थे कि उन्हें उनके शानदार प्रदर्शन के बावजूद समर्थन नहीं मिला।

ऐसा होता तो पहले ही संन्यास ले लेता
हरभजन ने कहा, "उस समर्थन को पाकर हमेशा अच्छा लगता है। मैं कहूंगा कि अगर मुझे सही समय पर समर्थन मिलता तो मैं 500-550 विकेट के बाद बहुत पहले ही संन्यास ले लेता क्योंकि जब मैं 400 विकेट के आंकड़े तक पहुंचा था तब मैं 31 साल का था। अगर मैं 3-4 साल और खेलता, तो मैं 500 विकेट तक पहुंच जाता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।"

मुझे समर्थन की जरूरत थी
हरभजन का मनना है कि उन्हें कभी किसी का साथ नहीं मिला। उन्होंने कहा, "कई कारण थे और अगर मैं उन पर ध्यान दूं, तो हम शायद बहुत सी चीजें खो देंगे। मुझे 2001-02 के बाद कभी समर्थन की आवश्यकता महसूस नहीं हुई। 400 विकेट लेने के बाद मुझे समर्थन की जरूरत थी और अगर किसी खिलाड़ी को उस मुकाम तक पहुंचने के बाद इसकी जरूरत होती है, तो मुझे नहीं पता कि हम अपने खिलाड़ियों की देखभाल कैसे करते हैं। एक समय आता है जब आपको अपने खिलाड़ियों का सम्मान करने की आवश्यकता होती है क्योंकि वे इसके लायक होते हैं। लेकिन यह निर्णय लोगों के एक निश्चित समूह के साथ है।" इसके अलावा हरभजन ने बताया कि सचिन तेंदुलकर, मुथैया मुरलीधरन, शेन वार्न, अनिल कुंबले, स्टीव वा ये कुछ ऐसे खिलाड़ी हैं जो हर दौर में मेरे पसंदीदा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि शायद ही ऐसा कोई शख्स हो जिससे मेरी बनती नहीं हो। युवराज, आशीष नेहरा, सचिन पाजी, अजित अगरकर, जहीर या जितने भी युवा खिलाड़ी हैं उनसे बात करें तो कोई यह नहीं कहेगा कि हरभजन के साथ बात करके मजा नहीं आता था। यही कहेगा कि इनके साथ मजा आता था।
हरभजन सिंह का क्रिकेट करियर
टेस्ट- 103 मैच, 417 विकेट, 8/84 सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
वनडे- 236 मैच, 269 विकेट, 5/31 सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
टी20- 28 मैच, 25 विकेट, 4/12 सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन