जब धोनी और सांगकारा को हो गई कन्फ्यूजन
मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गये इस ऐतिहासिक फाइनल मुकाबले में टॉस के लिये भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और श्रीलंका के कप्तान कुमार संगकारा मैदान पर मैच रेफरी जैफ क्रो और कॉमेंटेटर रवि शास्त्री के साथ मौजूद थे। मैच रेफरी जैफ क्रो ने टॉस करने के लिए सिक्का धोनी के हाथों में दिया। कुमार संगाकारा ने अपना विकल्प चुना और सिक्का जमीन पर गिरा। हालांकि यहां पर किसी को यह समझ नहीं आया कि टॉस कौन जीता।
टॉस का फैसला न हो पाने के पीछे का मुख्य कारण था कि किसी को यह पता ही नहीं चला कि कुमार संगाकारा ने क्या मांगा था। दोनों कप्तानों के बीच कन्फ्यूजन को देखते हुए मैच रेफरी ने दोबारा टॉस कराने का फैसला किया।
पहली बार भी संगाकारा ही जीते थे टॉस, धोनी से हुई गलती
पहली बार टॉस के बाद धोनी को लगा वो टॉस जीत गये हैं, जबकि संगाकारा ने दावा किया कि टॉस उन्होंने जीता है। दरअसल धोनी को पता ही नहीं चला कि कुमार संगकारा ने हेड्स मांगा या टेल्स। जब टेलीविजन रिप्ले में दिखाया गया कि कुमार संगकारा ने पहली बार हुए टॉस में ‘हेड्स' कहा था लेकिन धोनी को लगा था कि संगकारा ने ‘टेल्स' कहा था इसीलिए उन्होंने टॉस जीता हुआ समझकर शास्त्री से पहले बल्लेबाजी की बात कही थी।
हालांकि अंत में एक बार फिर से दोबारा टॉस किया गया और दूसरी बार भी कुमार संगाकारा ने हेडस कहा और श्रीलंका टॉस जीत गया और उन्होंने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया।
भारत ने 28 साल बाद जीता था विश्व कप
वर्ल्ड कप 2011 के फाइनल में श्री लंका ने 274 रन बनाए थे। इसमें महेला जयवर्धने के 103 रन शामिल थे। जवाब में भारतीय टीम की शुरुआत उतनी अच्छी नहीं रही थी और उसने 31 रन पर दो विकेट खो दिए थे। वीरेंदर सहवाग और सचिन तेंडुलकर पविलियन लौट चुके थे। गौतम गंभीर और विराट कोहली ने तीसरे विकेट के लिए 83 रनों की साझेदारी की। इसके बाद 22वें ओवर में कोहली भी आउट हो गए। इसके बाद चौथे विकेट के लिए धोनी ने गंभीर के साथ मिलकर 109 रनों की पार्टनरशिप की। गंभीर 97 रन बनाकर आउट हुए।
इसके बाद धोनी ने युवी के साथ मोर्चा संभाला और नाबाद 54 रनों की साझेदारी करते हुए टीम इंडिया को विश्व विजेता बना दिया। युवी 24 गेंद पर 21 रन बनाकर नाबाद रहे, जबकि धोनी ने 79 गेंदों में 8 फोर और 2 सिक्स की मदद से 91 रन बनाकर नाबाद लौटे।