आखिर कब तक धोनी खेलेंगे धीमी पारी?
अक्सर धोनी के दिमाग में क्या चल रहा होता है इसका विश्लेषण आज तक कोई भी क्रिकेट विश्लेषक नहीं कर पाया है। बात टी-20 वर्ल्ड कप के फाइनल में जोगिंदर शर्मा से आखिरी ओवर में गेंदबाजी की हो या विश्व कप 2011 में इनफॉर्म युवराज से पहले बल्लेबाजी का फैसला। उनके फैसले हमेशा चौंकाने वाले रहे हैं और उन्हें सफलता भी मिली लेकिन हाल के दिनों में धोनी अपना मिडास टच खो चुके हैं और उनका गैंबलिंग वाला अंदाज उनकी किरकिरी की वजह बन रहा है। धोनी मैच को आखिरी ओवर तक ले जाने में विश्वास रखते हैं लेकिन इस वर्ल्ड कप में उनका यह अंदाज सवालों के घेरे में आ गया है। अफगानिस्तान के खिलाफ 52 गेंदों में 28 रनों की पारी हो या इंग्लैंड के खिलाफ टीम के अंतिम 30 गेंदों में बनाए 39 रन और धोनी के 31 गेंदों में बनाए 42 रन,धोनी की धीमी पारी से सौरव गांगुली, हर्षा भोगले और वी.वी.एस लक्ष्मण जैसे दिग्गज हतप्रभ थे। आखिर धोनी आखिर के 5 ओवर में साबित क्या करना चाहते थे? आखिर उनकी धीमी पारी से टीम को क्या हासिल हुआ ? विराट अगर उनके इस अंदाज को ठीक कर लें तो टीम के लिए वो शायद बेहतर कर पाएंगे और विश्व कप में शायद अपनी एक बेस्ट पारी खेल पाएं।
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टीम चयन में हुई चूक
किसी भी मैच से पहले दोनों टीमों के कप्तान पिच का मुयाअना करते हैं और उस हिसाब से अपनी टीम चुनते हैं। भारतीय टीम के कप्तान कोहली से यहां एक बड़ी चूक हो गई। पाटा विकेट पर कोहली ने दो स्पिनर के साथ खेलने का फैसला लिया लेकिन युजवेंद्र चहल इंग्लैंड के खिलाफ एक खराब विकल्प साबित हुए और विश्व कप में सर्वाधिक 88 रन दे बैठे। इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने उनकी जमकर पिटाई की। उन्हें पिटते देख कुलदीप का भी लाइन-लेंथ भी जवाब दे गया और स्पिनर को 20 ओवर में 160 रन पड़ गए। बाएं हाथ के गेंदबाज के लिए ऐसी पिच पर जडेजा एक बेहतर विकल्प हो सकते थे और उनका वेरिएशन और स्लोअर वन भारतीय टीम के लिए फायदेमंद साबित होता। इंग्लैंड ने लियम प्लंकेट को टीम में शामिल कर साबित किया कि क्यों वो एक खतरनाक गेंदबाज साबित हुए और उन्होंने विराट,पंत और हार्दिक जैसे महत्वपूर्ण विकेट चटकाए। बड़े मैच जीतने के लिए विराट अगर कड़े फैसले लें तो परिणाम उनके पक्ष में हो सकते थे।
डेथ ओवर में शमी की गेंदबाजी
मोहम्मद शमी ने टीम इंडिया के लिए वर्ल्ड कप 2019 में 3 मैच खेले हैं और 13 विकेट लिए हैं। शमी ने इंग्लैंड के खिलाफ 5 विकेट झटके लेकिन डेथ ओवर में शमी की गेंदबाजी पर अभी भी सवाल खड़े हो रहे हैं। शमी ने अपने स्पेल के पहले 5 ओवर में जितनी धारदार गेंदबाजी की अंतिम 5 ओवर में उनके 2 ओवर भारतीय टीम के लिए घातक साबित हुए। उन्होंने पहले 5 ओवर में जहां 22 रन खर्च किए थे वहीं पारी के 47वें और 49वें ओवर में 28 रन लुटा बैठे। इस दौरान न कप्तान कोहली और न ही धोनी उसने कोई बातचीत करते दिखे। भारतीय टीम ने आखिरी के 10 ओवर में 92 रन लुटाए जो बाद में घातक साबित हुए।
लोकेश राहुल कब समझेंगे जिम्मेदारी ?
लोकेश राहुल को शिखर धवन की जगह टीम में शामिल किया गया है लेकिन बतौर ओपनर इंग्लैंड के खिलाफ उनकी पुरानी बीमारी एक बार फिर सामने आ गई। वो क्रिस वोक्स की गेंद पर कॉट एंड बोल्ड हो गए। बड़े मैच में ओपनर का इस तरह बोल्ड होना टीम इंडिया पर दबाव का कारण बना और बाद में भारतीय टीम यह मैच भी हार गई। धवन का चोटिल होना भारतीय टीम के लिए घातक साबित हुआ है और टीम के प्रदर्शन पर इसका असर देखा गया है। टीम अच्छी शुरूआत नहीं करने के बाद बड़े स्कोर चेज करने में विफल रही है।
विराट की बड़ी पारी न खेल पाना
विराट कोहली भले ही इस विश्व कप में लगातार 5 लगातार पचासा लगाने वाले पहले कप्तान बन गए हों लेकिन कहीं न कहीं उनका शतक न लगा पाना टीम इंडिया को संघर्ष की स्थिति या हार की ओर धकेल देता है। विराट कोहली ने 6 मैच में 382 रन बनाए हैं लेकिन उनके नाम इस विश्व कप में एक भी शतक नहीं हैं. इस टूर्नामेंट से पहले विराट के शतक का कंवर्जन रेट 67% था लेकिन उनके बल्ले से बड़ी पारी न निकलना टीम को भारी पड़ रहा है। कोहली को चेज मास्टर कहा जाता है लेकिन उनसे चेज करने में चूक हो रही है और वो कई बार ऑफ स्टंप के बाहर जाती गेंदों पर अपना विकेट गंवा रहे हैं। उनकी यह चूक भारतीय टीम को इंग्लैंड के खिलाफ भारी पड़ गई।
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