द्रविड़ और सहवाग का मिश्रण हैं मयंक
टीम इंडिया में हाल के दिनों में किसी भी खिलाड़ी की जगह पक्की नहीं मानी जा रही है। वर्ल्ड कप में मिडिल ऑर्डर की समस्या से जूझ रहे भारतीय टीम को बड़ा झटका तब लगा जब प्रैक्टिस सेशन के दौरान चोटिल जसप्रीत बुमराह की गेंद पर चोटिल हुए विजय शंकर टीम इंडिया से बाहर हो गए और मयंक अग्रवाल को टीम में उनके बदलाव के तौर पर बुलाया गया। जानिए कैसे सहवाग की तरह तूफानी अंदाज और द्रविड़ की तरह कंपोजर वाले इस खिलाड़ी ने चयनकर्ताओं को टीम में शामिल करने के लिए मजबूर कर दिया।
चयन के दिन भी चमके
टीम इंडिया के घरेलू क्रिकेट इतिहास में किसी भी डोमेस्टिक सीजन में सबसे अधिक रन बनाने वाले मयंक अग्रवाल की सफलता के पीछे उनकी कड़ी मेहनत, द्रविड़ का मार्गदर्शन और उनका आत्मविश्वास है। किसी भी व्यक्ति के सफल होने पर हमें उस व्यक्ति की सफलता तो आसानी से दिख जाती है लेकिन उसके पीछे की मेहनत,त्याग और तपस्या की कहानी अनसुनी रह जाती है। जिस दिन मयंक का टीम में चयन हुआ उसी दिन उन्होंने विंडीज एकादश के खिलाफ खेलते हुए 90 रनों की पारी खेली। परिवार वालों ने उन्हें जीवन की सबसे बड़ी खुशखबरी दी और राहुल द्रविड़ पहले ऐसे शख्स थे जिन्होंने उन्हें बधाई दी। क्या आपने कभी सोचा कि आखिर इस खिलाड़ी ने कैसे चयनकर्ताओं को मजबूर किया इसके पीछे है मयंक की पिछले दो साल की मेहनत और सिर्फ मेहनत।
सहवाग की तरह हैं विस्फोटक
कर्नाटक के लिए रणजी ट्रॉफी खेलने वाले इस खिलाड़ी ने सहवाग के स्टाइल में ताबड़तोड़ बल्लेबाजी से अपनी अलग पहचान बनाई। 27 वर्षीय इस खिलाड़ी को फेम साल 2010 के अंडर-19 वर्ल्ड कप से मिली जो न्यूजीलैंड में खेला गया था। आईपीएल में साल 2011 में इनकी बोली लगी और तब से इन्होंने RCB, दिल्ली डेयरडेविल्स और पुणे सुपर जाइंट्स के लिए एक से बढ़कर एक पारियां खेली। इन्हें वीरेंद्र सहवाग का फैन कहा जाता है, उनसे तुलना किए जाने पर मयंक ने कहा कि "मैं उन्हें खेलते हुए देखना पसंद करता हूं, आप उन्हें कॉपी नहीं कर सकते, या वो खेलने का तरीका हो या फिर एक इंसान के रूप में। इतने महान खिलाड़ी से मैं अपनी तुलना तो कभी नहीं कर सकता हूँ।
आईपीएल में नाम बड़े और दर्शन छोटे
फटाफट क्रिकेट से टीम इंडिया में कई खिलाड़ियों की जगह मिली है लेकिन मयंक के लिए यहां भी असफलता हाथ लगी। उन्होंने टीम मिली, खरीददार भी मिले लेकिन उनके बल्ले से रन नहीं निकले। आईपीएल में कई टीमों से खेलने वाले इस खिलाड़ी के नाम बहुत अच्छे रिकॉर्ड नहीं है, इन्होंने एक-आध अच्छी पारी खेली जो चयनकर्ताओं को प्रभावित करने में नाकाफी साबित हुए। इन्होंने आईपीएल में अब तक 16.7 की औसत और 123.9 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं। इनकी विस्फोटक बल्लेबाजी को पहचान तो मिली लेकिन इनकी गिनी-चुनी पारियां इन्हें मंजिल के करीब पहुंचाने में नाकाम साबित हुए।
विपश्यना और लंबी दौड़ का सहारा
2014-15 सीजन में इस धाकड़ खिलाड़ी को तब बड़ा सेटबैक लगा था जब इन्हें अपने स्टेट लेवल टीम से ड्रॉप कर दिया गया था। इस साल कर्नाटक ने रणजी ट्रॉफी का खिताब जीता था लेकिन इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी को टूर्नामेंट के बीच में फिटनेस और अधिक वजन होने की वजह से टीम में नहीं चुना गया। फिटनेस इश्यू की वजह से टीम में न चुने जाने पर इन्होंने लंबी दौड़ शुरू की। राहुल द्रविड़ (इंडिया-A के कोच) ने एक साक्षात्कार में साल 2015 में कहा था कि 'मयंक ने अपना वजन बहुत कम किया और अपनी फिटनेस पर जमकर काम किया' , मयंक ने अपने पिता से विपश्यना (मेडिडेटशन) का सहारा लिया और क्रिकेट में दमदार वापसी की। कर्नाटक की रणजी टीम में (2017-18) दोबारा शामिल हुए मयंक ने अपने कप्तान विनय कुमार का भरोसा जीता और उन्होंने टीम में उनकी जगह के लिए काफी संघर्ष भी किया।
घरेलू क्रिकेट में बरसाए रन
मयंक अग्रवाल ने रणजी ट्रॉफी के अगले मैच (2017-18) में 304* की पारी खेली, इस खिलाड़ी ने घरेलू क्रिकेट में रनों का अंबार खड़ा कर दिया। उन्होंने रणजी ट्रॉफी में 1160 रन (5 शतक, स्ट्राइक रेट 105.45), सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में 458 रन (3 अर्धशतक, स्ट्राइक रेट:145), विजय हजारे ट्रॉफी में 723 रन (स्ट्राइक रेट 107.9, 3 शतक और 4 अर्धशतक) बनाकर चयनकर्ताओं को टीम में चुनने के लिए मजबूर किया लेकिन साल 2017-18 में इस खिलाड़ी ने इतने रन बनाए कैसे। यह सवाल हर शख्स के जेहन में है। राहुल द्रविड़ से पहले जिस शख्स ने मयंक की बल्लेबाजी पर सबसे अधिक काम किया उनका नाम है आर. मुरलीधर।
मुरलीधर ने मयंक को दी नई पहचान
बेंगलुरू में RX क्रिकेट अकादमी चलाने वाले मुरलीधर ने मयंक को एक शानदार बल्लेबाज के रूप में निखारा। मयंक ने विसडेन क्रिकेट से बातचीत में इस बात का खुलासा किया कि कैसे उन्होंने अपने कोच के साथ बैठकर "तकनीक की जगह स्किल आधारित ट्रेनिंग पर जोड़ दिया बेंगलुरू में RX क्रिकेट अकादमी चलाने वाले मुरलीधर ने मयंक को एक शानदार बल्लेबाज के रूप में निखारा। मुरलीधर ने विसडेन क्रिकेट से बातचीत में इस बात का खुलासा किया कि कैसे उन्होंने कैसे मयंक को इस बात को मानने के लिए राजी किया कि "सबसे पहले यह मानना सीख लो कि अगर लक्ष्य नहीं भी हासिल हुआ तो क्या" उन्होंने कहा कि यह बात मयंक को मनवाने में मुझे बहुत मेहनत करनी पड़ी। मयंक ने ट्रेनिंग के दौरान दूसरी सबसे बड़ी चीज पर काम किया वह था 'तकनीक की जगह स्किल आधारित ट्रेनिंग पर जोड़'। मयंक ने भी अपने साक्षात्कार में बताया है कि वो एक दिन में कम से कम 700 से 1000 गेंदों का सामना करते थे, इसमें थ्रो डाउन और दिनभर की ट्रेनिंग शामिल होते थे।
हर बड़े मैच में ठोका शतक
डोमेस्टिक सीजन 2017-18 में जब मयंक एक से बढ़कर एक रिकॉर्ड तोड़ पारियां खेली तब भी इस खिलाड़ी का चयन नहीं हो पा रहा था। टीम इंडिया के मुख्य चयनकर्ता एम.एस.के. प्रसाद से (फरवरी-2018 में) जब मयंक के टीम इंडिया में चुने जाने पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि वो जल्द ही टीम में चुने जाएंगे। इंडिया- A की ओर से इस खिलाड़ी ने हाल में आयोजित दो-तीन दौरों पर भी खूब रन बनाए। इनमें इंग्लैंड लायंस के खिलाफ (दो लगातार शतक) 112 रनों की पारी, विंडीज-A के खिलाफ 112 रनों की पारी, साउथ अफ्रीका के खिलाफ 220* रनों की पारी और इंडिया-B की ओर से 124 रनों की पारी शामिल है।
सचिन तेंदुलकर का तोड़ा रिकॉर्ड
मयंक ने कर्नाटक के पिछले 5 साल में तीन रणजी ट्रॉफी जीत में भी कई अहम पारियां खेली हैं। उन्होंने अपनी रणजी टीम को इस साल (2018) सेमीफाइनल में 81 गेंदों में 86 रनों की पारी और फाइनल में 90 रनों की पारी से जीत दिलाई। इस खिलाड़ी ने लिस्ट-A मैच में विजय हजारे ट्रॉफी में 105.45 की औसत से 723 रन बनाए हैं। यह किसी भी भारतीय खिलाड़ी का लिस्ट-A टूर्नामेंट में सर्वाधिक स्कोर है। उन्होंने साल 2003 विश्व कप में सचिन तेंदुलकर के एक टूर्नामेंट में बनाए सबसे अधिक 673 रनों के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया।
द्रविड़ बना रहे हैं टीम इंडिया की नई 'दीवार'
टीम इंडिया के बेंच स्ट्रेंथ को इतना मजबूत करने में जिस दिग्गज की सबसे बड़ी भूमिका रही है वो कोई और नहीं बल्कि खुद राहुल द्रविड़ हैं। इंडिया-A और इंडिया अंडर-19 के कोच ने हनुमा विहारी, पृथ्वी शॉ, मयंक अग्रवाल, ऋषभ पंत, श्रेयस अय्यर और संजू सैमसन, शुभमन गिल जैसे कई नवोदित हीरे को तरास कर कोहिनूर बना दिया है जो क्रिकेट जगत में या तो अपनी चमक बिखेर चुके हैं या बिखेरने को बेताब हैं। मयंक उनमें से ही एक नाम हैं। जब मयंक से उन्हें क्रिकेट में नई लाइफलाइन देने में द्रविड़ की भूमिका पर सवाल पूछा गया तो उनके शब्द थे 'उन्होंने सिर्फ मुझे रन बनाने को कहा, और बांकी चीजें भूल जाने को कहा। जो होना होगा, वही होगा तुम्हारा काम है स्कोर करना। मैं उनकी सलाह को मानकर सिर्फ इस बात पर काम किया जिससे मुझे बहुत मदद मिली।' इस खिलाड़ी के लिए साल-2018 काफी लकी रहा है, पहले शादी हुई और अब टीम इंडिया में चयन. आशा है यह अपने बल्ले से टेस्ट मैच में जल्द ही बड़ा स्कोर करते दिखेंगे।
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