कोहली ने 'कप्तान धोनी' से सीखे 2 गुर
130 करोड़ से अधिक आबादी के देश से चुने गए 15 काबिल खिलाड़ी वर्ल्ड कप नहीं जीत पाए। इन खिलाड़ियों को पिछले चार साल से इसके लिए ट्रेनिंग से लेकर हर सुविधा मिल रही थी। विराट,रोहित, बुमराह, भुवनेश्वर और धवन जैसे दिग्गज खिलाड़ियों को हर एक साल के लिए 7 करोड़ और बाकी खिलाड़ियों को अलग-अलग ग्रेड में इनसे थोड़े कम मिलते हैं। विराट ने टीम मैनेजमेंट से जो मांगा उन्हें वो मिला, मनमाफिक कोच, मुंहमांगी सैलरी लेकिन विश्व कप कहां है। क्या BCCI को टीम इंडिया को विराट की मनमानी के हवाले कर देना चाहिए या अब इन पर नकेल कसने की आवश्यकता है। कोहली 'अपने कप्तान' धोनी से कप्तानी भले नहीं सीख पाए लेकिन दो गुण सीख लिए। पहला-टीम में अपने पसंद के खिलाड़ी को खिलवाना और दूसरा भारतीय टीम की हर बड़ी हार के बाद 'रेडीमेड बहाना'। जानिए कैसे धोनी ने इस विश्व कप में टीम इंडिया को मिली हार की स्क्रिप्ट 4 साल पहले लिखी थी।
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धोनी का प्रोफेशनल रवैया
धोनी बड़े ही प्रोफेशनल खिलाड़ी हैं, यह दुनिया जानती है लेकिन उनके हर एक फैसले के पीछे एक सुनियोजित योजना होती है ये कम लोग परख पाए। धोनी ने दिसंबर 2014 में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया। 60 टेस्ट मैचों में कप्तानी करने वाले माही को 18 टेस्ट में हार मिली और 27 में जीत। इसमें अधिकांश जीत भारतीय जमीन पर मिले। धोनी ने टेस्ट से संन्यास इसलिए लिया क्योंकि यह उन्हें उबाऊ और थकाऊ गेम लगा। उन्होंने संन्यास इसलिए लिया ताकि वो आईपीएल और ODI क्रिकेट लंबे समय तक खेल सकें।यह माही की सुनियोजित योजना थी लेकिन चालाक धोनी की इस योजना को बहुत कम लोग परख पाए। धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया में उनके चहेते खिलाड़ियों को जगह मिलती थी और विराट ने उनसे यह हुनर सीख लिया। कथित तौर पर साल 2015 के दौरान धोनी के एक बयान ने मिडिल ऑर्डर के सबसे शानदार खिलाड़ी अजिंक्य रहाणे का करियर खत्म कर दिया। क्या था वो बयान जहां से शुरू हुई टीम इंडिया के लिए नंबर-4 की एक अनंत खोज।
धोनी का 4 साल पुराना बहाना
तकनीकी तौर पर सबसे अक्षम क्रिकेट खिलाड़ी धोनी ने टीम इंडिया में तकनीकी तौर पर सबसे सक्षम और प्रॉपर ट्रेडिशनल क्रिकेट खेलने वाले अजिंक्य रहाणे के बारे में कहा था "अजिंक्य तेज पिच पर आसानी से स्ट्राइक रोटेट कर पाते हैं वहीं धीमी पिच पर उन्हें सिंगल्स आसानी से नहीं मिल पाते हैं, जब भी उसने नंबर-4 या 5 पर बल्लेबाजी की उन्हें फ्री होकर स्ट्राइक रोटेट करने में दिक्कत होती है। मुझे लगता है उन्हें अभी टीम में जगह पाने के लिए इंतजार करना पड़ेगा।" धोनी का यह बयान भारतीय टीम के बांग्लादेश दौरे के दौरान आया था। टीम इंडिया इस दौरे पर बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट ड्रॉ कर पाई थी और तीन मैचों की ODI श्रृंखला में भारत को 2-1 से हार मिली थी। इस दौरे में मात्र एक मैच में रहाणे को मौका मिला था वो 25 गेंदों में 9 रन बनाकर आउट हुए और इसके बाद धोनी के इस एक मात्र बयान ने इस शानदार क्रिकेटर का ODI करियर लगभग खत्म सा हो गया। इस दौरान रहाणे धीमे खेल रहे थे यह सच है लेकिन अगर उन्हें मौका दिया जाता तो इंग्लैंड की पिच पर इस स्लॉट के लिए उनसे बेहतर बल्लेबाज शायद ही कोई होता यह वो पिछले तीन साल से टेस्ट में साबित करते आ रहे हैं। धोनी ने जिस स्ट्राइक रोटेट न कर पाने का बहाना बनाकर रहाणे को टीम से बाहर का रास्ता दिखाया था आज वही स्ट्राइक नहीं रोटेट कर पाना उनकी सबसे बड़ी कमजोरी बन गई है और टीम को सेमीफाइनल में हार मिली।
4 साल बाद जारी रही पुरानी बीमारी
वर्ल्ड कप 2015 में मिली हार के बाद भारतीय टीम में एक मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज की अनंत खोज शुरू हुई जो 2019 विश्व कप के सेमीफाइनल में भी पूरी नहीं हुई और रवि शास्त्री इसी नंबर-4 को हार का सबसे बड़ा जिम्मेदार बता रहे हैं। पिछले 4 सालों में अजिंक्य रहाणे, मनीष पांडे, दिनेश कार्तिक, केदार जाधव, अंबाती रायडू जैसे कई खिलाड़ियों को आजमाया गया लेकिन जगह विजय शंकर को मिली। अगर आप भारतीय टीम के कप्तान और कोच के पिछले तीन साल में टीम चयन के दौरान दिए बयान का विश्लेषण करें तो आपको लगेगा इन दोनों के पास न तो टीम को लेकर को विजन था और न ही प्लान-बी। इसको इस बात से समझें। विजय के चोटिल होने के बाद आनन-फानन में ऋषभ पंत को बुलाया गया जिसे सिर्फ 6 ODI का अनुभव था और जिसे चयनकर्ता ने यह कहते हुए नहीं चुना था कि 'कार्तिक मैच फिनिशर हैं उनमें बड़े मैच फिनिश करने की क्षमता है' लेकिन वर्ल्ड कप के पहले 6 मैच में कार्तिक जैसा अनुभवी खिलाड़ी बेंच पर बैठता है और पंत के इंग्लैंड जाते ही वर्ल्ड कप में डेब्यू हो जाती है। मैच रिदम में न होने की वजह से कार्तिक फ्लॉप हुए और यह स्वाभाविक था। पंत ने वही गलती की जो वो पिछले दो सालों से करते आ रहे हैं। विराट को 'अपनी टीम' से वर्ल्ड कप खेलना था और उन्होंने वही किया भले आप जीतें या न जीतें। हार के बाद उन्होंने एक रटा रटाया "45 मिनट के बुरे खेल" का बहाना चुना, उपकप्तान रोहित ने "30 मिनट के खराब खेल का" और ऐसे ही शास्त्री ने मिडिल ऑर्डर का। शास्त्री को 45 दिनों की मोहलत मिल गई है और आगे भी मिल जाएगी और वो एक बार फिर नंबर-4 की खोज में जुट चुके हैं।
जगदाले ने भी उठाया सवाल
BCCI के पूर्व सचिव जिन्होंने टीम इंडिया के लिए 2003, 2007 वर्ल्ड कप और 2007 की टी-20 टीम के लिए चयनकर्ता की भूमिका निभाई थी उन्होंने भी एक अंग्रेजी वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है कि " टीम मैनेजमेंट में रायडू और कार्तिक जैसे गलत खिलाड़ी को इस स्लॉट के लिए आजमाया जिनकी कभी टीम में जगह ही तय नहीं थी। उनकी जगह अजिंक्य रहाणे को मौका देना चाहिए था जिन्होंने टेस्ट में इस नंबर पर खेलते हुए बढ़िया प्रदर्शन किया था और जो खिलाड़ी कठिन परिस्थिति में टीम के लिए 50 ओवर खेलने की क्षमता रखता हो"। वर्ल्ड कप की टॉप-4 टीमों में इंग्लैंड में जो रुट, न्यूजीलैंड की टीम में रॉस टेलर और ऑस्ट्रेलिया की टीम में स्टीव स्मिथ ने इस विश्व कप में यह भूमिका निभाई और अपनी टीमों के लिए बड़े मैच भी जिताए। इस हार के बाद अब उम्मीद की जा सकती है कि जो मिडिल ऑर्डर कभी टीम की मजबूती होती थी और अब बीमारी बन गई है उसके लिए विराट और शास्त्री जल्द कोई निदान ढूंढ लेंगे।
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