हड़बड़ी वाले कार्तिक बने फिनिशर
2004 की चैंपियंस ट्रॉफी में दिनेश कार्तिक टीम इंडिया के लिए ड्रिंक्स पहुंचा रहे थे। सौरव गांगुली उस समय टीम के खिलाड़ियों से पेप टॉक (खेल से पहले की रणनीति) कर रहे थे। कार्तिक खुद को रोक न सके और उनसे टकरा गए। कुछ सालों तक उन्हें आपने जब कभी मैदान में देखा होगा वो थोड़े से नर्वस दिखते थे और जल्दी स्ट्राइक बदलना चाहते थे। 2015 में जब उनकी शादी दीपिका पल्लिकल से हो रही थी तो उनके हाथ से रिंग गिर गया था और दोनों एक दूसरे को देख मुस्कुराने लगे थे लेकिन हमेशा हड़बड़ी में दिखने वाले कार्तिक को टीम इंडिया में एक फिनिशर के तौर पर शामिल किया जाता रहा है और कई मौकों पर उन्होंने यह साबित भी किया।
READ MORE : कोहली की जगह नंबर-3 पर इन तीन खिलाड़ियों को मिल सकता है मौका
रोटेशन पॉलिसी से बाहर हुए कार्तिक
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चुनी गई टीम इंडिया में दिनेश कार्तिक को जगह नहीं मिली तो यह कयास लगने लगे कि उन्हें विश्व कप की ड्रीम टीम में शायद ही मौका मिले लेकिन टी-20 हो या ODI कार्तिक हाल के कुछ महीनों में मिले मौके में एक बेहतर फिनिशर साबित हुए हैं। मुख्य चयनकर्ता प्रसाद ने पंत को टीम में कार्तिक की जगह शामिल करने की वजह टीम इंडिया की "रोटेशन पॉलिसी" को बताया है। ऑस्ट्रेलिया में चार टेस्ट खेलने के बाद पंत को आराम दिया गया था वहीं कार्तिक ने न्यूजीलैंड के खिलाफ ODI और टी-20 खेला। टीम इंडिया इन दिनों खिलाड़ियों के वर्क लोड मैनेजमेंट का काफी ध्यान रख रही है जिसकी वजह से हर नई श्रृंखला के लिए खिलाड़ी फ्रेश और रन बनाने को आतुर दिखें। बुमराह और विराट को आराम भी इसी प्लानिंग का हिस्सा था।
MUST READ : विश्व कप 2019 : भुवनेश्वर या शमी, किसे मिलेगी प्लेइंग-11 में जगह
किसके आंकड़े मजबूत
ऋषभ पंत और दिनेश कार्तिक दोनों को विश्व कप टीम के संभावित-15 का दावेदार माना जा रहा है। यह हम नहीं बल्कि इन दोनों खिलाड़ी के आंकड़े कह रहे हैं। प्रसाद के बयान के मुताबिक लेफ्ट-राइट कॉम्बिनेशन को बेहतर बनाने के लिए विश्व कप से पहले पंत के लिए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक और मौका मिला है। हालांकि विंडीज के भारत दौर पर पंत शॉर्ट गेंदों पर ODI में जूझते नजर आए थे। साल 2018 से अब तक कार्तिक ने टी-20 में सबसे बेस्ट स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं वहीं पंत संघर्ष करते नजर आए हैं। कार्तिक हाल के दिनों में अपने जीवन के बेहतरीन फॉर्म में हैं और उन्हें जब कभी ODI या टी-20 में मौका मिला उन्होंने साबित किया है कि क्यों उन्हें एक समझदार फिनिशर के रूप में टीम में जगह मिलनी तय है।
एक साल से प्राइम फॉर्म में DK
फरवरी 2017 से लेकर अब तक खेले गए 10 ODI मुकाबले में दिनेश कार्तिक 7 बार नाबाद रहे हैं और कई दफे टीम इंडिया की जीत में बड़ी भूमिका निभाई है। नाबाद रहने और टीम को जीत दिलाने वाले खिलाड़ियों की सूची में कार्तिक का औसत इन मुकाबलों में 272 का रहा है। ये नाबाद मैचों के आंकड़े हैं। कार्तिक ने इस दौरान 82.92 की औसत से रन बनाए हैं और न्यूजीलैंड में कई मौकों पर ODI में टीम इंडिया को जीत दिलाई। ये आंकड़े अपने आप में कार्तिक के फॉर्म की कहानी बयान करते हैं। 91 ODI खेल चुके कार्तिक के पास घरेलू क्रिकेट का लंबा अनुभव है, उन्होंने ODI में 73.70 की औसत से 1738 रन बनाए हैं। अनुभव के आधार पर भी कार्तिक कहीं न कहीं पंत पर भारी हैं।
फेल साबित हुए हैं पंत
अगर ऋषभ पंत के आंकड़ों की बात की जाए तो वो कार्तिक से कहीं भी मुकाबला करते नहीं दिख रहे हैं। टीम चयन के बाद सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने यह भी लिखा कि डीके की छुट्टी में 'फेवरिज्म' दिख रही है। क्या 21 अक्टूबर 2018 को ODI डेब्यू करने वाले ऋषभ के पास अगले दो टी-20 और 5 ODI में इतना अनुभव हो जाएगा कि वो इंग्लैंड की तेज और उछाल भरी पिचों पर किसी भी स्थिति से मैच निकाल सकें। अब तक महज 3 ODI खेल चुके पंत ने आईपीएल में भले ही खूब रन बनाए हों लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फेल रहे हैं। अब तक खेले 3 ODI में उन्होंने सर्वाधिक 24 रन बनाए हैं और तीनों मैचों में कुल 41 रन उनके नाम है। टी-20 में भी वो फेल ही रहे हैं और 13 मैच की 12 पारियों में कुल 22.90 की औसत से कुल 229 रन बनाए हैं।
कार्तिक को क्यों मिले मौका
कार्तिक को पिछले एक साल में जितने मौके मिले उन्होंने एक कंपोज खिलाड़ी की तरह उसका भरपूर इस्तेमाल किया। 15 साल पहले ODI डेब्यू करने वाला खिलाड़ी अब शायद ही किसी और वर्ल्ड कप टीम में शामिल होने के लिए 5 साल इंतजार करे लेकिन पंत को और भी मौके मिल सकते हैं क्योंकि वो अभी महज 21 साल के खिलाड़ी हैं। क्रिकेट विश्लेषक और कमेंटेटर हर्षा भोगले ने भी कार्तिक के टीम से बाहर किए जाने पर हैरानगी जताई है। आंकड़े, फॉर्म और बैटिंग ऑर्डर कार्तिक के पक्ष में है वहीं पंत को अभी एक और परीक्षा से गुजरना होगा।
नंबर-4 के लिए अंबाती रायडू और दिनेश कार्तिक के बीच हो गई 'लड़ाई'