पहले ही ओवर में छोड़ा एलिसा हीली का कैच
ऑस्ट्रेलिया के लिये सलामी बल्लेबाज एलिसा हीली और बेथ मूनी ने बल्लेबाजी की शुरुआत की। वहीं भारत की ओर से दीप्ती शर्मा ने गेंदबाजी की शुरुआत की। एलिसा हीली ने पहली ही गेंद पर चौका लगाकर अपना खाता खोला और ओवर की चौथी गेंद पर दूसरा चौका लगाया। पांचवी गेंद पर हीली ने फिर से एक बड़ा शॉट लगाने की कोशिश की लेकिन गेंद हवा में उठ गई और कवर्स में खड़ी शैफाली वर्मा के पास पहुंची। शैफाली वर्मा यह कैच नहीं लपक सकी और हीली को जीवनदान मिल गया।
फाइनल में बनाया सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड
एलिसा हीली ने खुद को मिले इस जीवनदान का अच्छा उपयोग किया और फाइनल मैच में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया। एलिसा हीली ने 39 गेंद में 7 चौके और 5 छक्के की मदद से 75 रनों की पारी खेली। उनकी यह पारी महिला विश्व कप फाइनल में किसी भी खिलाड़ी की ओर से बनाया गया दूसरा सर्वोच्च स्कोर है। हीली ने अपनी पारी के दौरान शिखा पांडे के खिलाफ 11वें ओवर में लगातार 3 गेंदों पर 3 छक्के लगाये।
बेथ मूनी का कैच भी छूटा
भारतीय टीम ने फाइनल मैच के दौरान फील्डिंग में एक और गलती की, उन्होंने न सिर्फ एलिसा हीली का कैच छोड़ा बल्कि दूसरी सलामी बल्लेबाज बेथ मूनी का कैच भी छोड़ा जिसका खामियाजा यह हुआ कि ऑस्ट्रेलिया की इस खिलाड़ी ने भी अर्धशतक लगाया और 54 गेंदों में 78 रन की पारी खेली। इसके साथ ही वह विश्व कप फाइनल में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली महिली खिलाड़ी बन गई। पारी के चौथे ओवर में राजेश्वरी गायकवाड़ गेंदबाजी करने आई थी और अपने ही ओवर की तीसरी गेंद पर खुद राजेश्वरी के पास कैच एंड बोल्ड का मौका गंवाया।
भारत को जीत के लिये 185 रनों की दरकार
भारतीय टीम की यह गलतियां उस पर इस कदर भारी पड़ी कि एक वक्त ऐसा लग रहा था कि ऑस्ट्रेलिया की टीम आसानी से 200 रनों का आंकड़ा पार कर लेगी। लेकिन दीप्ती शर्मा ने भारतीय टीम की वापसी कराई और एक ही ओवर में 2 विकेट चटकाकर ऑस्ट्रेलिया को 200 रनों को पार करने से रोका। ऑस्ट्रेलिया ने निर्धारित 20 ओवर में 4 विकेट खोकर 184 रन बनाये और भारत को पहली बार चैम्पियन बनने के लिये 185 रनों की दरकार है।