विराट ने बताया सेमीफाइनल मैच में क्या सोच रहे थे?
विश्व कप से बाहर होने के करीब 4 महीने बाद विराट कोहली ने सेमीफाइनल में मिली हार पर आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ी। कोहली ने कहा कि मुझे जब लगता है कि मेरी टीम को उस वक्त मेरी जरूरत होगी मैं वहां पर उसके साथ खड़ा होता हूं। उस वक्त मुझे लगा कि जब कीवी गेंदबाज हमारे शीर्ष क्रम को मुश्किल में डाल रहे हैं तो मैंने मध्यक्रम में जाने का फैसला किया। हालांकि आपका हर फैसला आपके लिये सही साबित हो यह जरूरी नहीं, फिर चाहे ऋषभ पंत को उस क्रम में शामिल करना ही क्यों न हो।
इंडिया टुडे के साथ बातचीत के दौरान कप्तान विराट कोहली ने बताया कि सेमीफाइनल मैच में जब वह मैदान पर उतरे थे तो उनके दिमाग में क्या चल रहा था और हार से क्या फर्क पड़ा। विराट कोहली ने कहा सेमीफाइनल में हारने के बाद मुझे भी वही महसूस हुआ जो किसी भी खिलाड़ी या कप्तान को होता।
सेमीफाइनल में हार के बाद कैसा महसूस कर रहे थे विराट कोहली
विराट ने कहा,' क्या असफलताओं से मुझ पर फर्क पड़ता है? हां बिल्कुल पड़ता है और वैसे ही पड़ता है जैसे सबको पड़ता है। मैं जानता था कि टीम को मेरी जरूरत पड़ेगी। मुझे बहुत तीव्र अहसास था कि मैं भारतीय टीम को सेमीफाइनल मैच की उन मुश्किल हालात से बाहर निकाल कर नाबाद लौटूंगा। लेकिन सभी जानते हैं फिर क्या हुआ।'
कोहली ने कहा,' हो सकता है उस समय यह मेरा अति आत्म विश्वास था जिसनें मुझे कुछ इस तरह की अनुमानित भावना दिमाग में भर दी। आपको सिर्फ तीव्र अहसास हो सकता है या फिर यह वो भावना थी जिसे मैं हर हाल में सच करना चाहता था।'
हार से नफरत करते हैं विराट कोहली
आये दिन अपने प्रदर्शन से युवा खिलाड़ियों के लिये नये बेंचमार्क सेट करने वाले विराट कोहली ने इंटरव्यू के दौरान बताया कि उन्हें हारना बिल्कुल नहीं पसंद है। वह मैदान पर अपना सब कुछ झोंक देना पसंद करते हैं।
विराट ने कहा,'मुझे हार से नफरत है। मैं खुद को यही कहता रहता हूं कि मैं यह कर सकता था और उससे भागना नहीं चाहता। मैं जब भी मैदान पर कदम रखता हूं तो लगता है कि यह कितने सौभाग्य की बात है। जब मैं मैदान से बाहर जाता हूं तो जीरो एनर्जी के साथ वापस जाता हूं।'
विराट कोहली ने आगे कहा कि मौजूदा टीम इंडिया अपने आगे एक लेगेसी छोड़ना चाहती है जो भविष्य में आने वाले खिलाड़ियों के लिये एक नया बार सेट करे ताकि वो हमसे बेहतर क्रिकेट खेलें।