नई दिल्ली। भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेले जाने वाले पहले विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल मैच को खेले जाने वाले मैच में बस 24 घंटे का समय ही बाकी रह गया है। जहां एक ओर आईसीसी ने अपने इंग्लिश कॉमेंट्री पैनल की लिस्ट जारी की है, हालांकि इस लिस्ट में से भारत के दिग्गज कॉमेंटेटर हर्षा भोगले का नाम शामिल नहीं है। पिछले कई सालोंं में भारतीय फैन्स को हर्षा भोगले ने अपनी कॉमेंट्री के जरिये खुशियां बांटने का मौका दिया। नॉन क्रिकेटिंग बैकग्राउंड से होने के बावजूद हर्षा भोगले ने बतौर कॉमेंटेटर अपना खूब नाम कमाया।
इस 59 वर्षीय कॉमेंटेटर ने जब ऑस्ट्रेलिया दौरे पर सिडनी टेस्ट मैच के दौरान कॉमेंट्री की थी तो कहा था कि भारत के पास एक बल्लेबाज, एक हैमस्ट्रिंग और एक हाथ है जिसने मैच को बचाने का काम किया, जिसे फैन्स ने काफी पसंद किया। हालांकि दुख की बात है कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेले जाने वाले फाइनल मैच में भोगले टीम का हिस्सा नहीं बन सकेंगे। जिसके बाद से सभी इस बात से हैरान हैं कि इस मशहूर कॉमेंटेटर ने खुद को टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल से दूर क्यों रखा है।
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अब इस सवाल का जवाब खुद हर्षा भोगले ने अपने ट्विटर अकाउंट से दिया है और एक पोस्ट कर जानकारी दी कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। कोरोना वायरस के चलते क्रिकेट का खेल काफी मुश्किल हो गया है। खिलाड़ियों और सपोर्टिंग स्टाफ को क्वारंटीन में रहकर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके चलते खिलाड़ी पहले से ज्यादा थके हुए महसूस कर रहे हैं और इस मुश्किल समय में मेंटल हेल्थ बड़ी समस्या बनकर सामने आ रही है।
भोगले ने साल 2020 में परिवार से दूर रहते हुए अपना काफी समय सख्त बायोबबल नियमों के अंदर बिताया है, जिसके बाद वह एक लंबा ब्रेक लेना चाहते हैं। हर्षा भोगले ने इस पर बात करते हुए कहा कि एक मैच के लिये अपने परिवार से 27-28 दिनों तक दूर रहना काफी लंंबा समय है। इस महामारी के आने के बाद से मेंटल हेल्थ एक बेहद चर्चित विषय बना रहा है, जिसको लेकर कई खिलाड़ियों ने अपनी राय रखी है।
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लेकिन जैसे-जैसे परिस्थितियां समय के साथ बेहतर हो रही हैं, खिलाड़ी और प्रसारणकर्ता इस बात का पता लगाते नजर आ रहे हैं कि उन्हें कब आराम के लिये रुकना चाहिये। इसी का ध्यान रखते हुए भोगले ने विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में कॉमेंट्री करने से ब्रेक लिया और कहा कि उन्हें इसकी बहुत ज्यादा जरूरत थी।
आपको बता दें कि बीसीसीआई ने भी इसी का ध्यान रखते हुए इंग्लैंड दौरे पर खिलाड़ियों को अपने परिवार को साथ ले जाने की इजाजत दी थी। बीसीसीआई ने ऐसा करने के पीछे का कारण बताते हुए कहा कि 4 महीने के लंबे दौरे को दखते हुए यह फैसला राहत देने वाला रहेगा।