आईसीसी ने बीच में बदला अपना प्वाइंट सिस्टम
आईसीसी के पुराने प्वाइंट सिस्टम के हिसाब से एक सीरीज में अधिकतम 120 अंक दिये जा सकते हैं चाहें टीमें कितने भी मैच खेल रही हों, इस दौरान टीमें जितने मैच खेलेंगी उसमें बराबर अंक बांट दिये जायेंगे। हालांकि बाद में आईसीसी ने प्वाइंट सिस्टम को बदलकर जीत प्रतिशत में बदल दिया और उसी के चलते न्यूजीलैंड की टीम फाइनल की रेस में शामिल हुई और फाइनल में पहुंच गई।
आईसीसी ने हर सीरीज के लिये समान प्वाइंटस सिस्टम की व्यवस्था इसलिये की थी ताकि कम टेस्ट खेलने वाली टीम पर इसका गलत असर ना पड़े।
ब्रॉड ने उठाये आईसीसी के प्वाइंटस सिस्टम पर सवाल
स्टुअर्ट ब्रॉड ने आईसीसी के प्वाइंट सिस्टम की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें समझ नहीं आता कि 5 मैचों की एशेज सीरीज और 2 मैचों की भारत-बांग्लादेश टेस्ट सीरीज के अकं बराबर कैसे हो सकते हैं।
उन्होंने कहा, 'टेस्ट प्रारूप को बेहतर करने के लिये विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप का आयोजन कराना अच्छी सोच है लेकिन मुझे नहीं लगता कि अभी तक यह बिल्कुल सही है। पहली बार इसका आयोजन किया जा रहा है लेकिन मेरी समझ में नहीं आ रहा कि 5 मैचों की एशेज सीरीज और 2 मैचों की भारत-बांग्लादेश सीरीज के एक जैसे अंक कैसे हो सकते हैं।'
आईसीसी को अपने प्वाइंट सिस्टम पर काम करने की जरूरत
इंग्लैंड के लिये 500 से ज्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले दूसरे गेंदबाज बने स्टुअर्ट ब्रॉड का मानना है कि मौजूदा प्वाइंट सिस्टम के तहत इंग्लैंड के लिये विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल मैच में पहुंच पाना बेहद मुश्किल होगा।
उन्होंने कहा, 'आईसीसी को अपने प्वाइंट सिस्टम पर काम करने की जरूरत है। हमारे पास मौका था लेकिन इंग्लैंड की टीम जितना अधिक टेस्ट क्रिकेट खेलती है और उसे देखते हुए मौजूदा व्यवस्था में उसके लिये फाइनल में जगह बनाना मुश्किल होगा।'
इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया को हरा भारत ने बनाई फाइनल में जगह
गौरतलब है कि विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम ने सबसे पहले जगह बनाने का काम किया था जिसके बाद दूसरी टीम के लिये ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और भारत के बीच रेस जारी थी लेकिन भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 2-1 और इंग्लैंड की टीम को 3-1 से हराकर अंकतालिका में पहला स्थान हासिल कर लिया और फाइनल में पहुंच गया। ऑस्ट्रेलिया की टीम तीसरे पायदान पर काबिज रही जबकि इंग्लैंड की टीम ने चौथा स्थान हासिल किया।