ये गेंदबाज हैं हेराथ से आगे
उनसे ज्यादा विकेट केवल मुरलीधरन, वॉर्न, कुंबले, एंडरसन, मैकग्राथ, वॉल्श, कपिल देव, ब्रॉड और हैडली ने लिए हैं। जबकि स्पिनर के तौर पर उनसे ज्यादा विकेट केवल मुरलीधरन, कुंबले और शेन वार्न ने लिए हैं। हालांकि यहां एक दिलचस्प आंकड़ा है। हेराथ ने मौजूदा मैच से पहले तक 168 पारियां खेली हैं। जबकि अगर शेन वार्न के इतनी ही पारियों में विकेट की संख्या को देखा जाए तो हेराथ उनसे 34 विकेट आगे हैं। वार्न के विकेट इस दौरान केवल 396 थे।
स्ट्राइक रेट में हेराथ के सामने पानी भरते दिग्गज
वहीं, स्ट्राइक रेट के स्तर पर केवल अश्विन (53.1), मैकगिल (54), मुरलीधरन (55) और वॉर्न (57.4) ही उनसे आगे हैं। इसका सीधा मतलब ये है कि इसका मतलब है कि हेराथ ने कुंबले, स्वान, सकलैन, हरभजन, प्रसन्ना, बेदी के मुकाबले प्रति विकेट कम गेंदों पर लिए हैं। जबकि अगर प्रति पारी के हिसाब से देखा जाए तो उन्होंने हर पारी में औसतन 2.60 विकेट लिए हैं। यह आंकड़ा चंद्रशेखर (2.49), सक्लेन (2.41), स्वान (2.33), बेदी (2.25), हरभजन (2.19) जैसे अन्य स्पिन गेंदबाजी दिग्गजों की तुलना मे बेहतर है।
टीम की जीत के सबसे बड़े हीरो
खिलाड़ी की रन बनाने या विकेट लेने की क्षमता में ये सबसे ज्यादा देखा जाता है कि उसने टीम की जीत में कितना योगदान दिया। इस मामले में हेराथ बेमिसाल रहे। जीतने वाले मैचों में हेराथ का औसत 18.83 है - यह अश्विन (19 .66) और वॉर्न (22.47), स्वान (22.66) आदि जैसो से बहुत अच्छा है। वहीं, इन मैचों में 43.3 की उनकी स्ट्राइक रेट मुरलीधरन (42.7) के बाद स्पिनरों में सर्वश्रेष्ठ है। (टीमों की जीत में कम से कम 100 विकेट लेने वाले गेंदबाजों का आंकड़ा)
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नहीं मिला कोई दिग्गज जोड़ीदार
इससे पता चलता है हेराथ श्रीलंका की सफलता के मामले में भारत के अश्विन या महान शेन वार्न से कही ज्यादा महत्वपूर्ण साबित होते हैं। यहां ध्यान देने वाली बात है कि अश्विन के पास जड़ेजा के रूप में प्रभावशाली जोड़ीदार है तो वार्न के पास भी ग्लैन मैकग्रा जैसा साथी था जिसने विकेट के दूसरे छोर पर भी लगातार दबाव बनाए रखा। जबकि हेराथ की श्रीलंका की टीम में वापसी ही प्रमुखता से तब हुई तब वास और मुरलीधरन की जोड़ी सन्यास ले चुकी थी।